Home AGRICULTURE यूरिया का संतुलित उपयोग है लाभकारी, अति उपयोग से हो रहा भारी...

यूरिया का संतुलित उपयोग है लाभकारी, अति उपयोग से हो रहा भारी नुकसान.

यूरिया का संतुलित उपयोग है लाभकारी, अति उपयोग से हो रहा भारी नुकसान

छिन्‍दवाड़ा/ कृषि विज्ञान केंद्र-II, देलाखारी (तामिया) के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.आर.एल. राऊत ने एक महत्वपूर्ण जानकारी किसानों तक पहुंचाई है जिससे यूरिया उर्वरक के उपयोग में संतुलन बनाकर फसल की उत्पादकता तो बढ़ाई ही जा सकती है, साथ ही बेवजह की लागत और उर्वरक की बर्बादी से भी बचा जा सकता है।

   डॉ. राऊत ने बताया कि यूरिया में सबसे अधिक मात्रा में नाइट्रोजन होने के कारण इसका कृषि में सबसे ज्यादा उपयोग होता है। इसकी अधिक घुलनशीलता को देखते हुए सरकार इसे नीम लेपित और दानेदार रूप में उपलब्ध करवा रही है ताकि यह धीरे-धीरे घुले और पौधे को लाभ दे। भारत सरकार द्वारा किसानों को राहत देने के उद्देश्य से प्रति बोरी यूरिया पर 2183.50 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। अगर यह सब्सिडी नहीं दी जाए, तो यूरिया किसानों को 50 रुपये प्रति किलो की दर से मिलेगी, जिससे उसकी कीमत कई गुना बढ़ जाएगी।

कैसे करें यूरिया का सही उपयोग- यूरिया का प्रयोग फसल बोने के 20-21 दिन बाद शुरू करना चाहिए और इसे केवल पौधों की वानस्पतिक वृद्धि तक ही देना उचित होता है। विशेषकर मक्के की फसल में फूल आने के बाद यूरिया नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे पौधों को कोई लाभ नहीं होता, बल्कि जमीन की उर्वरता पर बुरा असर पड़ सकता है। सब्जियों में भी यूरिया कम मात्रा में और फास्फोरस-पोटाश की अधिक मात्रा देनी चाहिए।

   डॉ. राऊत ने बताया कि अत्यधिक घुलनशीलता के कारण अगर किसान एक बार में अधिक मात्रा में यूरिया डालते हैं तो इसका बड़ा हिस्सा बह जाता है या वाष्पीकृत होकर नष्ट हो जाता है। एक बार में प्रति एकड़ 25 किलोग्राम से अधिक यूरिया डालना व्यर्थ है। बेहतर यही होगा कि यूरिया को 7-8 दिन के अंतराल में 20-25 किग्रा प्रति एकड़ की मात्रा में दें ताकि पौधे पूरी तरह से उसे उपयोग कर सकें।

पर्णीय छिड़काव से बढ़ेगी उपयोगिता– यूरिया की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए पत्तियों पर छिड़काव एक असरदार तरीका है। 1 प्रतिशत यूरिया घोल (1 लीटर पानी में 10 ग्राम यूरिया) का छिड़काव करने से 80-85 प्रतिशत तक यूरिया का लाभ पौधों को मिलता है, जबकि मिट्टी में डालने से केवल 25-30 प्रतिशत ही उपयोग होता है। 1 प्रतिशत से अधिक के घोल से पत्तियां जल सकती हैं, इसलिए मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है।

अत्यधिक उपयोग से नुकसान ही नुकसान- कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मक्के में प्रति पौधे केवल 3-4 ग्राम यूरिया डालने की सलाह दी गई है। मगर वास्तविकता यह है कि किसान प्रति पौधा 15-20 ग्राम यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं और एक एकड़ में 3 से 5 बोरी यूरिया डाल रहे हैं जबकि अधिकतम 2 बोरी पर्याप्त है। इससे जहां उर्वरक की बर्बादी हो रही है वहीं जमीन की उर्वरता भी प्रभावित हो रही है।

    छिंदवाड़ा जिले में लगभग 6 लाख एकड़ में मक्का बोया गया है और यदि हर एकड़ में औसतन 2 बोरी अतिरिक्त यूरिया डाला गया है तो कुल 12 लाख बोरी यूरिया व्यर्थ गई है। इसका बाजार मूल्य लगभग 3.21 करोड़ रुपये है और इसमें सरकार की सब्सिडी राशि लगभग 262 करोड़ रुपये बेकार गई है। यह स्थिति केवल एक जिले की है, देश के 787 जिलों में यह समस्या और भयावह हो सकती है।

   डॉ. राऊत ने किसानों से अपील की है कि वे वैज्ञानिक तरीके से, सीमित मात्रा में और चरणबद्ध तरीके से यूरिया का उपयोग करें, ताकि भूमि की उर्वरता बनी रहे और उत्पादन भी बेहतर हो। अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विज्ञान केन्द्र देलाखारी (तामिया) से संपर्क कर सकते हैं।