वन विभाग नहीं कर पाया काले हिरणों की सुरक्षा,एंव संरक्षण..
काले हिरण के संरक्षण पर सवाल,कागजों में दबा प्रस्ताव..
पूर्व वनमंडल छिदंवाडा के अधिकारी की फिर देखी उदासीनता…
रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
दिनांक-17/7/2024
स्थान-छिदंवाडा म.प्र
छिदंवाडा(पंचायत दिशा समाचार)-काले हरिण शिकार मामला जहां पिछले कई सालों से फिल्म अभिनेता की वजह से चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में सलमान खान भले ही सलाखों के पीछे चले गए हो, लेकिन मध्यप्रदेश के छिदंवाडा जिले में काले हिरण (कृष्ण मृग) की सुरक्षा करने में वन विभाग पूरी तरह नाकाम ही साबित होता नजर आ रहा है। पूर्व वनमंडल के चौरई रेंज के जंगलों में विलुप्त होते काले हिरण का संरक्षण लगता है सिर्फ कागजों में कही दब कर रह गया है। जबकि चौरई रेंज में बहुतायत में पाए जातें है लेकिन वनविभाग के लचर रवैया के चलते इनका संरक्षण नहीं होने के चलते शिकार और हादसें के मामले में आए दिनों बढोतरी हो रही है ।अब काले हिरण विलुप्त. होने की कगार पर है। चौरई रेंज के ग्राम बींझावाडा, हरनभटा,सलखनी ,केदारपुर समेत अन्य ग्रामों के आसपास गांव में काले हिरण के झुंड अक्सर नजर आतें है । इन ग्रामों में भरी मात्रा में काले हिरण पाए जाते है । इसी के साथ चौरई रेंज के धने जंगलों में भी काले हिरण बहुतायत में पाए जाते है। लगभग एक दर्जन गांवों में हजारों की संख्या में बताएं जाते है । विलुप्त होने की कगार पर काले हिरणों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा कई बार कार्ययोजना बनाई गई लेकिन वह कुछ समय के बाद कागजों में ही सिमट कर रह गई ।जिसमें इनके संरक्षण नहीं होने पर अब वन विभाग पर सवालिया निशान उठ रहे है। वन विभाग ने इसके संरक्षण के लिए बीझांवाडा में वन चौकी खोलने का प्रस्ताव बनाया था। इसके अलावा जगलों में गश्ती के लिए एक वाहन समेत एक वनरक्षक की तैनाती के लिए प्रस्ताव बनाया था ।इसी के साथ बिना मुंडरे के बने कुएं को पक्का बनाने के लिए योजना तैयार हुई थी ।
अब 2 हजार से भी कम काले हिरण
जानकारी के अनुसार चौरई रेंज में अब काले हिरण दो हजार से भी कम बताई जा रही है यह अधिकांश समय झुंड से अलग रहते है। इनका कलर काला होने के कारण ये दूर से ही नजर आते है। यह बेहद ही आकर्षक दिखाई देते है।
रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8839760279
हादसों के साथ शिकार में इजाफा..
काले हिरण अब विलुप्त होने की कगार पर है लगभग 5 साल पहले गोली मारकर शिकार किया गया था। इसी के साथ सड़क हादसे सहित बिना मुंडेर के कुएं में गिरने की धटना भी समाने आ चूकी है
क्या रहे कम होने के कारण
काले हिरणों के कम होने के कारणों में जंगलों का कम होना, खेती का विस्तार तथा वर्ष में दो बार फसल तैयार किया जाना जहां कारण माना जा रहा है। वहीं पानी की आवश्यक व्यवस्था आदि नहीं होने के कारण इधर उधर भटकने के कारण कुत्तों एवं वन्यजीवों का शिकार भी होते रहे हैं। साथ ही नर भी मादा के मुकाबले कम होने की स्थिति भी सामने आई है।