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जिलें में हर साल जनजातीय विभाग में बस्ती विकास के नाम पर करोड़ों का बजट…फिर भी आदिवासी समाज मूलभूत सुविधाओं से वंचित…

जनजातीय विभाग कार्यालय छिंदवाड़ा में बस्ती विकास एवं घुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग का काम देख रहे बाबू बिना चढवा के बिना नहीं देते पंचायत में फंड…

नेतागिरी के नाम पर जनजातीय विभाग कार्यालय के बाबू देते है पंचायत में बस्ती विकास योजना का फंड .?

पंचायत दिशा समाचार

छिंदवाड़ा/ मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी समाज आजादी के इतने साल बाद भी क्यों नहीं सुधरी इस वर्ग की हालत… छिंदवाड़ा जिले की आदिवासी बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं की कमी की खबरें समय-समय पर आती रहती है हालांकि सरकार द्वारा कल्याणकारी योजना चलाई जा रही है लेकिन जमीनी स्तर पर उनका कार्यान्वयन एक चुनौती है छिंदवाड़ा जिले में विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य शिक्षा पेयजल और आवास जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी एक बड़ी समस्या है कुछ आदिवासी बस्तियों में पक्की सड़क है बिजली और स्वास्थ्य पेयजल की सुविधा नहीं है इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी सीमित है स्वास्थ्य सुविधा की कमी और डॉक्टरों की अनुउपलब्धता के कारण आदिवासी सामुदायिक को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है शिक्षा के क्षेत्र में भी आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है के बावजूद आदिवासी बस्तियों में इन सुविधाओं की कमी एक चिंता का विषय है अनावश्यक है कि सरकार इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें और इन योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन करे ताकि आदिवासी समाज को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आवश्यक सुविधाएं मिल सके..

छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी बच्चों के लिए संचालित छात्रावास / आश्रम शाला में मूलभूत सुविधाओं का अभाव…

आज मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आदिवासी समाज के बच्चों के अच्छी शिक्षा एवं मूलभूत सुविधाएं मिल सके इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए इन आदिवासी बच्चों के लिए बने छात्रावास एवं आश्रम शालाओं में दे रही है लेकिन उसके बाद भी जिले में बैठे जनजाति विभाग के अधिकारी कर्मचारी इनका सही कार्यान्वयन नही कर रहे है जिसके कारण आज आदिवासी के बच्चे मूलभूत सुविधा से वंचित है… इन्हें ना अच्छा भोजन मिल रहा है ना अच्छी शिक्षा न ही इन्हें खेल कूद के लिए कोई सामग्री दी जा रही है तो कैसे इन आदिवासी बच्चों का विकास होगा आखिर इन आदिवासी बच्चों को मूलभूत सुविधा नहीं मिलने के लिए जिम्मेदार कौन है..?

सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं…

जिले की आबादी 37फीसदी भागीदारी, फिर भी मूलभूत सुविधाओं से आखिर वंचित…?

छिंदवाड़ा जिले की जनसंख्या में आदिवासियों की भागीदारी 37 फीसदी है। इस वर्ग में पांच फीसदी संपन्न लोगों को छोड़ दिया जाए तो बड़ी आबादी हर साल अपने पेट की भूख मिटाने के लिए काम की तलाश में अपना घर बार छोड़ दूसरे शहरों में काम करने के लिए जाते है।

लाखों करोड़ का बजट फिर भी आदिवासी समाज मूलभूत सुविधाओं से वंचित…

मध्य प्रदेश एवं केंद्र सरकार हर वर्ष इन आदिवासी समाज के उत्थान के लिए करोड़ों रुपए का बजट जनजाति कार्य विभाग में बस्ती विकास के नाम पर देती है ताकि इन आदिवासी समाज के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा शिक्षा सड़क पानी बिजली मिल सके लेकिन कुछ भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी के कारण इन आदिवासियों तक मूलभूत सुविधा के लिए जो बजट सरकार देती है वह नहीं पहुंच पाता जिसके कारण आदिवासी समाज का विकास नहीं हो पा रहा है, सरकार की तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद अधिकांश आदिवासी गांव पेयजल,इलाज,सडक़ और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के मोहताज है

जिले के आदिवासी इलाके की तस्वीर आज भी सिस्टम को दे रहे चुनौती…..

छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी इलाकों की तस्वीर यह देखने के लिए भी काफी होगी की आजादी के इतने साल बाद भी कहीं न कहीं हमारे सिस्टम को चुनौती दे रही है।क्योंकि आदिवासी क्षेत्र में सिर्फ कागजों में ही योजना चल रही है, जिला के जनप्रतिनिधि को चिंतन-मनन कर इन आदिवासी इलाकों में मूलभूत मूलभूत सुविधा मुहैया करने की जरूरत है। आदिवासियों के जीवन स्तर सुधारने के लिए हमेशा आवाज उठती रही है। इस पर सरकार शिक्षा, सडक़,बिजली,पानी समेत तमाम मदों में करोड़ों-अरबों रुपए का बजट दे रही है। इसके बावजूद भी कहीं न कहीं कोई ऐसी कमी है,जिससे यह समाज अपेक्षा के अनुरूप तरक्की नहीं कर पा रहा है। इनकी समस्याओं को देखना तो कलेक्ट्रेट में हर मंगलवार कलेक्टर जनसुनवाई में देखा जा सकता है।

रिपोर्ट -ठा. रामकुमार राजपूत

मोबाइल -8989115284