भाजपा की सरकार में खाद के लिए दर-दर भटक रहा जिले का किसान- पुष्पेन्द्र चौधरी
–विगत दो वर्षों से मांग के अनुरूप किसानों को नहीं मिल रही 18-46 डीएपी खाद
–खाद के अभाव में फसलों का उत्पादन लगातार हो रहा प्रभावित, किसानों को होगा आर्थिक नुकसान
छिन्दवाड़ा:- भाजपा की सरकार में जिले का किसान हर स्तर पर परेशान है। कभी बिजली के बढ़े हुए बिलों से त्रस्त है तो कभी मौसम की मार झेल रहा। सरकार से मदद की बजाए केवल कोरे आश्वासन मिल रहे। जिले के राजनैतिक जिम्मेदार व प्रशासनिक अफसरों को किसानों की मूल समस्याएं नजर नहीं आ रही। फसलों की अच्छी उपज के लिए जो खाद चाहिए उसकी कमी लगातार बनी हुई है। मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं होने से निश्चित तौर पर फसलों की उपज बुरी तरह प्रभावित होगी जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ भाजपा की सरकार जिम्मेदार होगी। उक्त उदगार आज किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र चौधरी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से डीएपी की किल्लत पर व्यक्त किए हैं।

पुष्पेन्द्र चौधरी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसान हितैषी बनने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं केन्द्र के कृषि मंत्री को घेरते हुए कहा कि छिन्दवाड़ा जिला मुख्यत: कृषि प्रधान जिला है। यहां की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। किसानों की आय से ही यहां के हाट बाजार से लेकर अन्य व्यवसाय संचालित होते हैं। यही नहीं देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। इन सम्पूर्ण तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यक है कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में वह खाद उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिससे फसलों का उत्पादन अच्छा हो, किन्तु विगत दो वर्षों से छिन्दवाड़ा के किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद नहीं दी जा रही है। जबकि मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ जी एवं जिले के पूर्व सांसद माननीय नकुलनाथ जी के कार्यकाल में किसानों को कभी भी खाद के लिए भटकना नहीं पड़ा। सम्पूर्ण खाद की रैक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जाती थी। परिणामस्वरूप फसलों का अच्छा उत्पादन मिला और किसान आर्थिक रूप से सशक्त बनें, किन्तु विगत दो वर्षों से भाजपा की सरकार में किसानों को 18-46 डीएपी नहीं मिल रहा है, वर्तमान में भी जिले के किसान डीएपी के लिए भटक रहे हैं। किसान सहकारी सोसाइटी से डीएपी खाद मांग रहा है और उसे 20-20-013 एनपीके, 16-16-16 व टीएसपी थमाया जा रहा है जिससे किसान नाराज होने के साथ ही आक्रोशित भी है, क्योंकि डीएपी खाद के अभाव में फसलों का उत्पादन प्रभावित होने का डर उन्हें बुरी तरह सता रहा है।
