Home STATE आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल, शिक्षकों की मनमानी…

आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल, शिक्षकों की मनमानी…

जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त साहब देखों कैसी शिक्षा व्यवस्था…

कहा है निरीक्षण करने वालें क्षेत्रसंयोजक रवि कनौजिया …?

गायखुरी के अधीक्षक से लेकर शिक्षक भी नदारद..!

छिंदवाड़ा के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित आश्रम शालाओं में बच्चे है लेकिन स्कूल टीचर और अधीक्षक नही..

आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल..

छिदंवाडा/ पांढुर्ना-देश और प्रदेश भर में सरकार समय-समय पर लगातार शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए नित नए-नए नियम निकलती हैं। रैलिया की जाती है।घर-घर जाकर समझाया जाता है की पढ़ेंगे बच्चे तभी तो आगे बढ़ेंगे। लेकिन सरकार के द्वारा रैली निकालना नए-नए नियम लाना क्या बच्चों के भविष्य को बदलने में कारगर साबित हो रहा है तो जवाब मिलेगा नहीं।आखिर हम ऐसा किस लिए कह रहे हैं तो यह हमें समझने की जरूरत है

ग्रामीण क्षेत्रों के कई विद्यालयों में शिक्षकों का समय से न पहुंचने का सिलसिला जारी है। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसके बाद भी लापरवाह शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई महज खानापूर्ति के लिए की जाती है। सरकार शिक्षा के प्रति सजग है और कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे इसके लिए प्रयास कर रही है। लेकिन कर्तव्यविहीन शिक्षक सरकार की मंशा पर पलीता लगा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार पांढुर्ना के बालक आश्रम शाला गायखुरी में शिक्षक/शिक्षिका समय पर स्कूल नहीं पहुंचती है। समय पर शिक्षक के स्कूल नहीं आने की वजह से बच्चे इधर-उधर खेलते-घूमते रहते हैं। इन बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

पांढुर्णा बीईओ नहीं कर रहे कार्यवाही ..

ग्रामीणों ने बताया कि गायखुरी बालक आश्रम शाला में अधीक्षक क्षीर सागर एंव शिक्षिका कभी भी समय में नहीं आते है ।आज एक भी शिक्षक/शिक्षिक स्कूल नहीं आयें है। इसलिए बच्चे ग्राउण्ड में खेलते रहे है । ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में शिकायत के बावजूद आज तक कोई कार्यवाही नही हुई है। बीईओ से कुछ ग्रामीणों ने बात की लेकिन बीईओ द्वारा भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। बीईओ द्वारा कहा गया है। नोटिस दिया जायेगा। उसके बाद कार्यवाही की जायेगी।

निगरानी करने वालें पर उठाए सवाल..।

ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल की निगरानी करने वालें जनजातीय कार्यविभाग के अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभा रही है। जिस कारण बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ चल रहा है। पांढुर्ना के गायखुरी बालक आश्रम में आज एक भी शिक्षक नहीं पहुंचे ना ही अधीक्षक आश्रम शाला में आयें ,बच्चों स्कूल के समाने खेलते नजर आयें जबकि अधीक्षक इससें पहलें भी लापरवाही के कारण निलंबित हो चूकें है। लेकिन राजनेताओं एंव अधिकारी से सांठगांठ कर फिर से गायखुरी में अधीक्षक बन बैठे और फिर लापरवाही करने लगें। आज तो हद हो गई जब स्कूल में चार शिक्षक और एक अधीक्षक होने के बाद भी कोई स्कुल नहीं पहुंचे तो ग्रामीणों ने इसकी शिकायत ,सहायक आयुक्त को किया , गांव वालें स्कूल पहुंचे तो वंहा एक भी शिक्षक नहीं थे। शिक्षक का स्कूल में नहीं पहुंचना कहां तक सही है? सवाल उठता है क्या ऐसे शिक्षक बच्चों का भविष्य सुधार पाएंगे?

स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नई शिक्षा नीति सफल नहीं हो सकती.।

स्कूलों में जब तक बुनियादी सुविधाएं नहीं होंगी, तब तक कोई भी नीति सफल नहीं हो सकती। 25 साल में शिक्षा में नवाचार के नाम पर कई प्रयोग किए गए, लेकिन अच्छे शिक्षक व अच्छी सुविधाओं के बिना कुछ भी संभव नहीं है..

रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284