Home CITY NEWS परिवीक्षा अवधि में चल रही शिक्षिकाओं का किया अटैचमेंट…..

परिवीक्षा अवधि में चल रही शिक्षिकाओं का किया अटैचमेंट…..

परिवीक्षा अवधि में चल रहे शिक्षक का किया अटैचमेंट..।

छिदंवाडा – जनजातीय कार्यविभाग में नियम कायदें भले ही सरकार बनाती हो, लेकिन इन नियम कायदों को ताक पर रखकर अपने नियम कायदें चलाने का काम जिला में बैठे सहायक आयुक्त हमेशा करते रहे हैं।खासकर जब अटैचमेंट की बात हो तब शासन के दिशा-निर्देशों को हमेशा ही नजरअंदाज करते सेवा शुल्क लेकर शिक्षकों /शिक्षिकाओं को कही छात्रावास अधीक्षक बना देते है

तो कई शिक्षकों को शहर की शालाओं में एंव कार्यालयीन काम के लिए अटैचमेंट करना आम बात है। हाल ही में अटैचमेंट का नया कारनामा बिल्कुल चौंका देने वाला है। सहायक आयुक्त महोदय ने परिवीक्षा अवधि में चल रही शिक्षिका करुणा गुप्ता का अटैचमेंट कर दिया है,और उन्हें चौरई कान्या छात्रावास में अधीक्षिका के पद पर अटैचमेंट कर दिया है। जिससे शिक्षिका की मूल पदस्थापना स्थल पर बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी पड़ गई है।

नए शिक्षा सत्र में पठन-पाठन के लिए शिक्षा विभाग ने वर्ग-1 के करीब एक सैंकड़ा शिक्षक भर्ती किए हैं। इन शिक्षकों को काउंसलिंग के बाद विषय आधारित जरूरत वाले स्कूलों में पदस्थ किया गया हैं। इन्हें में से शिक्षिका करुणा गुप्ता को हर्रई विकासखंड के हडाई संकुल केन्द्र में पद स्थापना की गई थी । लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त ने सेवा शुल्क लेकर इन्हें अटैचमेंट पर चौरई कान्या छात्रावास में अधीक्षिका बना दिया ।जबकि इन्हें स्कूल में पढ़ाने के लिए पदस्थी दी गई है। जनजातीय कार्य विभाग के निर्देशानुसार संविदा अवधि में काम करने वाले शिक्षक को शाला विशेष के लिए पदस्थ किया जाता है। किसी भी परिस्थिति में उसे दूसरे स्कूल या किसी कार्यालय में अटैच नहीं किया जा सकता। 3 साल तक एक ही स्कूल में ठीक तरह से पढ़ाने पर ही उसकी परिवीक्षा अवधि पूरी मानकर नियमित करने की कार्रवाई की जाती हैं। इस नियम के विरूद्ध सहायक आयुक्त सतेंद्र सिंह मरकाम ने छात्रावास में अटैच कर दिया, जो उसकी परिवीक्षा अवधि नियमों के विपरीत तो है साथ ही जिस स्कूल में उसकी पदस्थी अंग्रेजी विषय पढ़ाने के लिए हुई थी, उससे वहां के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं।

शहरी क्षेत्र में शिक्षकों की भरमार ,ग्रामीण स्कूलों में टोटा …
जिलें के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित सरकारी स्कूल भगवान भरोसे चल रहे है। कई सरकारी स्कूल में एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है ,और कई स्कूल ऐसे है जंहा एक भी शिक्षक नहीं है। इसका मुख्य कारण है कि ग्रामीण अंचलों में पदस्य शिक्षक/ शिक्षिका जिलें में बैठे सहायक आयुक्त से सांठगांठ अटैचमेंट शहर के नजदीक की शाला में कर लेते हैं जिसके कारण आज ग्रामीण आदिवासी अंचलों के स्कूलों में पढ़ने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त को कोई प्रभाव नहीं पड़ता उन्हें तो सिर्फ मतलब है सेवा शुल्क लेने से इसके बाद आदिवासी बच्चे पढ़े या ना पढें उन्हें कोई मतलब नहीं।
आदिवासी समाज में आक्रोश…

आज जिले में आदिवासी समाज अपने बच्चों के भविष्य को लेकर कभी चिंतित है। उन्हें अपने बच्चों को शिक्षा के लिए चिंतित होना पड़ रहा है। क्योंकि ग्रामीण आदिवासी अंचलों के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेहाल है । सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं है। जिसका मुख्य कारण है जिले में बैठे सहायक आयुक्त महोदय जिन्होंने शिक्षकों के बडे पैमाने पर अटैचमेंट एंव ट्रांसफर कर दिया गया है , ऐसे में यंहा अब और शिक्षकों की कमी हो गई है।जिसका सीधा असर छात्रों के भबिष्य पर पड़ रहा है । जिसको लेकर आज ग्रामीण आदिवासी समाज अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

जनजातीय कार्यविभाग पर उठ रहे सवाल…
जिलें में बगैर शिक्षकों की नियुक्ति किए ही उनका अन्य जनपदों में ट्रांसफर एंव अटैचमेंट कर दिया गया ,ऐसे में यंहा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगें है।

जनजातीय कार्यविभाग में अटैचमेंट में बाबू बना बैठा शिक्षक सुभाष देशपांडे का बडा खेल ..? रातों- रात शिक्षक को बना दिया जाता है अधीक्षक…

जिलें के जनजातीय कार्यविभाग में इन दिनों खूब सुर्ख़ियों में चल रहा है। क्योंकि यंहा पर पदस्य सहायक आयुक्त की कार्यप्रणाली की चर्चाएं पूरे जिलें में है। क्योंकि नियम कायदे भले ही सरकार बनती है लेकिन इन नियम कायदों को ताक पर रखकर अपने नियम कायदें चला रहे है। सहायक आयुक्त महोदय जब चाहे जिस शिक्षक का जहां चाहे वहां अटैचमेंट कर देते हैं और जहां चाहे वहां उनका ट्रांसफर भी कर देते हैं सूत्रों की जानकारी के अनुसार जो शिक्षक सेवा शुल्क दे देते है उनकों अधीक्षक बना देते है । चाहे वह जितना भी भ्रष्टाचारी एवं लापरवाह क्यों ना हो, ऐसे कई अधीक्षक जो लापरवाही के कारण निलंबित हुए थे उन्हें कुछ सेवा शुल्क लेकर पुनःबहाल कर दिया गया

रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8989115284