
छिदंवाडा के आदिवासी अंचल के स्कूल में टीचर है गुम…
बच्चों तो निकलते है पढने के लिए लेकिन खेलकूद कर आ जाते है धर..
रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
दिनांक-20/07/2024
स्थान-छिदंवाडा म.प्र
छिंदवाड़ा (पंचायत दिशा समाचार ) मध्यप्रदेश के छिदंवाडा जिलें के आदिवासी अंचल के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हाल बेहाल है. जिले में सेंकडों प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी टीचर नहीं हैं. वहीं कई स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं.
शिक्षा व्यवस्था का यह बुरा हाल आदिवासी इलाकों में ज्यादा है…
आज मध्यप्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए कई योजनाएं चल रही है।लेकिन जिले में बैठे भ्रष्ट अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। सरकार तो नारे लगा रही है …
‘पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया’ का नारा तो जोर-शोर से चल रहा है. लेकिन अगर स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है तो कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया. जी हा हम बात कर रहे हैं छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी अंचलो की जहां पढ़ने के लिए बच्चे स्कूल तो जाते हैं लेकिन पढ़ाने के लिए स्कूलों में टीचर ही नहीं है. सरकार ने ‘स्कूल चले हम’ अभियान तो जोर-जोर से चलाया.लेकिन सरकार के मंत्री और जिले के अधिकारी एंव जनप्रतिनिधि भूल जाते है कि आज भी जिले में सेकडों स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। जिलें के जनप्रतिनिधि भी इस और कभी ध्यान नहीं देतें है । और ऐसे शिक्षकों की सिफारिश कर देते हैं जो आदिवासी अंचल में टीचर है।और वे जिला मुख्यालय में या आसपास अटैचमेंट कर लेते है जिसके कारण आदिवासी अंचल के स्कूल में पढने के लिए एक भी टीचर नहीं रहते है। छिंदवाड़ा जिले के सेंकडों स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी टीचर की नियुक्ति नहीं हुई है। जिले में सेंकडों शासकीय प्राइमरी-मिडिल स्कूल ऐसे है जहां पर पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है. इन स्कूलों में विद्यार्थी तो दर्ज है लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है. इतना हीं नहीं सेंकडों स्कूल ऐसे है जहां पर सिर्फ एक शिक्षक ही हैं. यानि कि कक्षा पहली से पांचवीं तक या फिर पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में सिर्फ एक ही टीचर से काम चल रहा है. सबसे ज्यादा स्कूल आदिवासी क्षेत्र के हैं, जहां पर एक भी शिक्षक नहीं हैं.
प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की कमी की तरह यंहा के हाई/हायर सेकेंडरी स्कूलों के भी बुरे हाल हैं. आदिवासी अंचल के हाई/हायर सेकेंडरी स्कूल ऐसे हैं जहां पर प्रिंसिपल की नियुक्ति ही नहींं हुई है. इन स्कूलों में प्रभारी के भरोसे कामकाज चल रहा है…
आदिवासी अंचल के स्कूलों में टीचरों की कमी..

जनजातीय कार्यविभाग के जुन्नारदेव में 63, तामिया में 41 और र्हरई विकासखंड में सबसे ज्यादा 48 स्कूल ऐसे है जहां पर एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है. अतिथियों शिक्षकों के भरोसे कराई जाती है पढ़ाई..
जिलें के जनजातीय कार्यविभाग में अटैचमेंट के खेल ने इन आदिवासी अंचलों में टीचरों की कमी का मुख्य कारण है। आदिवासी अंचलों में पदस्थ टीचर साठगांठ कर जिला मुख्यालय में या आसपास अटैचमेंट कर लेते है इसलिए ग्रामीण अंचलों में टीचरों की कमी है
जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त की उदासीनता के कारण आदिवासी बच्चों के
भबिष्य संकट …
जिलें में बैठे जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त के कारण आज आदिवासी बच्चों का भविष्य संकट में है । क्योंकि आज आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों से टीचर रहना नहीं चाहते है ।वो जुगाड़ करके जिला मुख्यालय में आने के लिए लाखों रुपये का प्रसाद चढ़ते हैं और जिला मुख्यालय में पदस्थ हो जाते हैं जिसके कारण आज आदिवासी ग्रामीण अंचल में शिक्षकों की कमी है
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