जनजातीय विभाग में अटैचमेंट का खेल, यहां नहीं चलते कोई नियम-कायदे…
सहायक आयुक्त ऑफिस में एक दर्जन से अधिक कर्मचारी/ शिक्षक अटैच, एक वर्ष से स्कूल ही गए शिक्षक, दर्जनों कर्मचारी सहायक आयुक्त कार्यालय में जमे हुए हैं, व्यवस्था के नाम पर जिला मुख्यालय पर दर्जनों शिक्षक/ शिक्षिका भी अटैच…
जिला मुख्यालय में संचालित छात्रावास में पदस्थ चार अधीक्षक और एक शिक्षक (बाबू) सहायक आयुक्त के सरकारी बंगाला में सुबह शाम करते हैं दरबारी…?
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा /प्रदेश सरकार और जनजातीय विभाग के नियम-कायदे छिंदवाड़ा जिलें में बिल्कुल नहीं चलते हैं। जनजातीय विभाग में तो अटैचमेंट के नाम पर नया खेल बड़ी तेजी से चल रहा है। रोक के बावजूद भी सेंकडो शिक्षक/शिक्षिका अटैचमेंट के नाम पर जिला मुख्यालय की आश्रम शाला कन्या शिक्षा परिसर एवं छात्रावास/ आश्रम शाला या मलाईदार कुर्सी पर जमे हुए हैं। ऐसा ही इन दिनों देखने को मिल रहा है जनजाति कार्यविभाग के कुछ बाबू इन दोनों अटैचमेंट के नाम पर धन बटोरने में लगे हुए है, ऐसा ही मामला सुर्खियों में आया जब झिलमिली के अधीक्षक को जिला मुख्यालय के संयुक्त बालक छात्रावास छिंदवाड़ा का अधीक्षक रातों रात बना दिया गया और दुसरा मामला इन दिनों विभिन्न समाचार पत्रों की सुर्खियों में बना हुआ है पूर्व में चौरई अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास अधीक्षक के पद पर पदस्थ एक प्राथमिक शिक्षिका को जिला मुख्यालय में स्थित आदिवासी कन्या आश्रम में अधीक्षिका बना दिया गया है,सूत्रो की जानकारी के अनुसार इन दोनों शिक्षक को अधीक्षक के पद पर पदस्थ करने के लिए लाखों का लेनदेन हुआ है

सुभाष देशपांडे (शिक्षक) कई बरसों से सहायक आयुक्त कार्यालय में कर रहा बाबू गिरी…
सहायक आयुक्त महोदय के सबसे विश्वास पात्र बाबू है सुभाष देशपांडे,जो कई बरसों से है सहायक आयुक्त कार्यालय में अटैचमेंट पर है पदस्थ…?धर में रहकर करते है सहायक आयुक्त कार्यालय का काम…?
जनजाति कर विभाग में इन दोनों अटैचमेंट के मामले खूब सुर्खियों में चल रहे हैं, ऐसा ही मामला देखने को मिला कटकूही में पदस्थ शिक्षक जो वर्षों से सहायक कार्यालय में अटैचमेंट पर पदस्थ है इस से पहले सिल्लेवानी में इनकी पोस्टिंग थी लेकिन ये यह महाशय कभी भी चलने वाली बालक आश्रम में पढ़ने नहीं गए और अब दिखाने के लिए अपनी पोस्टिंग जुन्नादेव ब्लॉक के कटकुही स्कूल में पदस्थ है लेकिन कभी स्कूल नहीं जाते है और आपने धर में बैठकर सहायक आयुक्त कार्यालय का पूरा करते है जबकि इनकी कई शिकायत होने के बाद भी सहायक आयुक्त इन्हें नही हटा रहे है
जबकि वरिष्ठ कार्यालय भोपाल द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य व शैक्षणिक कार्य के लिए भी किसी भी परिस्थिति में मूल पदस्थ शाला से अन्य शाला में नहीं भेजा जाए इसके लिए सहायक आयुक्त कार्यालय से शपथ पत्र भी लिया गया था की समस्त शिक्षक मूल पंदाकित शाला में ही पदस्थ हैं और वहीं पर कार्य कर रहे हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों की मर्जी के आगे यहां कोई नियम न चलते दिखाई दिए।
पूर्व में भी हुआ था खुलासा हुआ है ऐसा ही एक मामला कुछ वर्ष जिलें में चल रहा है व्यवस्था के नाम पर अटैचमेंट किया गया इन शिक्षकों की पेमेंट भी अभी तक मूल शाला से ही हो रही है लेकिन प्रशासन तंत्र ऐसा है जिसमें चर्चाएं और आदेश तो खूब चलते हैं सुविधा शुल्क मिलते ही पता नहीं रास्ते में कहां गुम हो जाते है और संबंधित तक नहीं पहुंच पाते ना क्रियान्वयन हो पाता है पंचायत दिशा समाचार द्वारा जब ऐसे मामले की खोजबीन की गई तो पता चला कि जिलें में ऐसे सैकड़ो शिक्षक है जो व्यवस्था के नाम पर अटैचमेंट है।
सूत्र बताते हैं कि व्यवस्था के नामपर कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें पर अटैच किया गया है, जिसके लिए ऐसे शिक्षक /शिक्षिकाओं से मोटी रकम लेकर इनकी पोस्टिंग कि जाती है







