“नवरात्री विशेष”
आस्था का केंद्र : चांदामेटा का मां खेड़ापति मंदिर
छिन्दवाड़ा/ छिंदवाड़ा शहर के विकासखंड परासिया में स्थित मां खेड़ापति मंदिर आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक आस्था भक्तों को सदियों से आकर्षित करती आ रही है। सौ वर्षों से अधिक समय से यहां भक्तजन पिंड स्वरूप में मां खेड़ापति देवी की पूजन और आराधना करते आ रहे हैं।
भक्तों के सहयोग से हुआ नवनिर्माण
लगभग ढाई दशक पहले भक्तों ने श्रमदान और धनदान से मां खेड़ापति देवी के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्वार कर भव्य नवनिर्माण किया था। इस नवनिर्मित मंदिर के समीप हिमाचल प्रदेश में स्थित मां ज्वाला देवी से लाई गई अमर ज्योति वर्ष 2008 से लगातार प्रज्जवलित हो रही है, जो भक्तों के बीच विशेष आस्था का केंद्र बनी हुई है।
प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा का विशेष आयोजन
मंदिर के नवनिर्माण और प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा का विशेष आयोजन वर्ष 2003 में किया गया था। इस दौरान प्रथम शतचंडी महायज्ञ का भव्य आयोजन हुआ था। 6 फरवरी 2003 को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां जगदम्बा की सुंदर संगमरमर निर्मित प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और श्रीश्री 1008 गरीबदास बाबा के सानिध्य में सम्पन्न हुई थी। इसी आयोजन से मंदिर में पंचवर्षीय पटोत्सव की परंपरा प्रारंभ हुई।
अमर ज्योति की स्थापना
हिमाचल प्रदेश में स्थित मां ज्वाला देवी से वर्ष 2008 में भक्तों ने अमर ज्योति लाकर मां खेड़ापति मंदिर चांदामेटा में द्वितीय पंचवर्षीय महा आयोजन के दौरान स्थापित किया। तब से यह अखंड ज्योति लगातार प्रज्जवलित हो रही है।
पंचवर्षीय पटोत्सव की परंपरा
अब तक इस मंदिर में पांच पंचवर्षीय पटोत्सव आयोजित हो चुके हैं।
प्रथम पटोत्सव : वर्ष 2003
द्वितीय पटोत्सव : वर्ष 2008
तृतीय पटोत्सव : वर्ष 2013
चतुर्थ पटोत्सव : वर्ष 2018
पंचम पटोत्सव : वर्ष 2023
अब आगामी षष्टम पंचवर्षीय पटोत्सव वर्ष 2028 के चैत्र माह में आयोजित होगा, जिसे भव्य रूप से मनाने की तैयारी रहेगी।
मंदिर तक पहुंचने का मार्ग
मां खेड़ापति मंदिर तक पहुंचने के लिए छिंदवाड़ा-सारनी मार्ग पर परासिया और चांदामेटा की सीमा पर स्थित पहाड़ी मार्ग से पहुंचा जा सकता है। मंदिर चांदामेटा-उमरेठ मार्ग पर स्थित है, जो चांदामेटा बस स्टैंड से लगभग डेढ़ किलोमीटर दक्षिण दिशा में तथा उमरेठ से आठ किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित है। भक्तजन परासिया-चांदामेटा तक सवारी वाहनों के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं।