“नवरात्री विशेष”
श्री षष्टी माता मंदिर -शहर का प्राचीन धार्मिक स्थल
छिन्दवाड़ा/ छिंदवाड़ा शहर में स्थित श्री षष्टी माता मंदिर एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, जिसकी स्थापना हजारों वर्ष पूर्व हुई मानी जाती है। कहा जाता है कि षष्टी माता स्वयंभू स्वरूप में प्रकट हुई थीं। प्रारंभ में यह मंदिर एक छोटी मढ़िया के रूप में था, जहां माता के दो कलश प्रज्ज्वलित किए जाते थे। वर्तमान में यह मंदिर भव्य और विशाल रूप ले चुका है, जहां हजारों कलश स्थापित किए जाते हैं।

धार्मिक मान्यताएं और महत्व
मंदिर के प्रति मान्यता है कि जो भी भक्त यहां श्रद्धापूर्वक अपनी मनोकामना लेकर आता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर में ‘मैली माता’ का भी एक स्थान है, जो बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान करती हैं। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त ‘मैली माता’ के पास एक लोटा जल अर्पित करता है, तो बच्चों को सूखा रोग, चर्म रोग या अन्य बीमारियों से राहत मिलती है।

विशेष भोग और पूजा-पद्धति
षष्टी माता को विशेष रूप से आटे का कसार (एक प्रकार का व्यंजन) और पूरी-गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है। जिन दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती, वे यहां आकर ‘ओली भरने’ की परंपरा निभाते हैं, जिससे उन्हें संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
प्रमुख आयोजन एवं परंपराएं
श्री षष्टी माता मंदिर में विशेष रूप से षष्ठी पर्व पर भव्य आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर भक्तजन बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं और माता को विशेष भोग अर्पित करते हैं। इसके अलावा नवरात्रि, जन्माष्टमी तथा अन्य धार्मिक अवसरों पर भी यहां विशेष आयोजन किए जाते हैं।

भौगोलिक स्थिति और पहुंच
यह मंदिर छिंदवाड़ा शहर में परासिया रोड स्थित है और स्थानीय लोगों के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र है।
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
श्री षष्टी माता मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि लोगों की आस्था का प्रतीक भी है। दूर-दराज से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं और माता के दर्शन कर स्वयं को कृतार्थ मानते हैं। मंदिर परिसर में भक्तों के लिए दर्शन, पूजन एवं अन्य व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की गई हैं, जिससे श्रद्धालुओं को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा-अर्चना का अवसर प्राप्त होता है।