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हॉस्टल अधीक्षकों की पदस्थापना में गड़बड़ी:10-15 सालों से एक ही जगह पर हैं पदस्थ,

हॉस्टल अधीक्षकों की पदस्थापना में गड़बड़ी:10-15 सालों से एक ही जगह पर हैं पदस्थ,

अफसर की मेहरबानी से जामे है अधीक्षक/आधीक्षिका..

शासन के निर्देश को ठेंगा दिखा रहे हैं जिले में बैठे जनजातीय विभाग के अधिकारी…

छिंदवाड़ा /छिंदवाड़ा जिलें के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास आश्रम शालाओं बरसों से एक ही जगह पर दर्जनों अधीक्षक / अधीक्षिका एक ही छात्रावास में पदस्थ है, जनजाति कार्य विभाग ने छात्रावासों के संचालन के लिए तीन सालों के लिए शिक्षक /शिक्षिकाओं को छात्रावासों में अधीक्षक /अधीक्षिकाओं के प्रभार दियें थे लेकिन जिलें में सहायक आयुक्त की मेहरबानी से कई शिक्षक बीस बीस सालों से अधीक्षक के पद पर पदस्थ है उन्हें हटाने वाला कोई नहीं है जिसके कारण आज आदिवासी ब्लाकों के स्कूलों में शिक्षको की कमी है, जिलें के कई छात्रावास अधीक्षकों के विवाद के कारण जिले के सभी छात्रावासों की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं। छात्रावासों में अधीक्षकों की नियुक्ति भी अब विवादों में घिरने लगी है। जानकारी के मुताबिक जिन छात्रावासों और आश्रमों में शिक्षकों को पदस्थ कियें है उनकी कई शिकायत के बाद भी नही हटाया गया है जिसके कारण आज जनजातीय विभाग के सहायक आयुक्त की कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। जिलें में
वर्तमान स्थिति यह है कि 17-18 संविदा अधीक्षक ही वर्तमान में छात्रावासों में पदस्थ हैं। यह भी वे हैं जिनका संविलियन नहीं हो पाया है। माना जा रहा है की इनका भी जैसे ही संविलियन होगा, इन्हें हटाकर इनकी जगह सामान्य शिक्षक पदस्थ कर दिए जाएंगे।

जानकारों का कहना है कि इनकी नियुक्ति मूलरूप से केवल अधीक्षक पद के लिए की गई थी। इसके लिए बकायदा उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई थी। इसलिए इन्हें अधीक्षक पद पर ही बनाए रखना चाहिए। तीन साल का कार्यकाल होने पर नियमानुसार उन्हें अन्य छात्रावासों में स्थानांतरित किया जाना था। ऐसा न कर इन्हें स्कूलों में पदस्थ किया जा रहा है। दूसरी ओर स्कूलों में पदस्थ और पढ़ाई- लिखाई में प्रशिक्षित शिक्षकों को अधीक्षक बनाया जा रहा है।

नियमों को किया दरकिनार

जिले के छात्रावासों में अधीक्षकों की नियुक्ति में नियम कायदों को ताक पर रख दिया जाता हैं। जनजातीय कार्य विभाग के करीब 190 छात्रावास/आश्रम शालाएं हैं। वैसे तो इन छात्रावासों में अधीक्षकों की नियुक्ति को लेकर शासन के साफ-साफ आदेश हैं। लेकिन, इनका पालन शायद ही किया जाता है। साल 2017 में तत्कालीन आयुक्त दीपाली रस्तोगी ने सभी सहायक आयुक्तों को पत्र लिखकर इस बात पर नाराजगी जताई थी कि छात्रावास और आश्रमों में पूर्णकालिक अधीक्षकों एवं संविदा अधीक्षक या अधीक्षक के पद पर अन्य शिक्षकों की पदस्थापना किए जाने में दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। उस पत्र में उन्होंने इन निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित करने को कहा था।

पत्र में साफ कहा गया था कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रावासों और आश्रमों में पदस्थ अधीक्षकों, संविदा अधीक्षकों एवं अन्य शिक्षक जो अधीक्षक का काम कर रहे हैं, उनको अधिकतम तीन वर्ष की अवधि के लिए ही पदस्थ किया जाएं। तीन वर्ष की पदस्थापना के उपरांत अधीक्षकों व संविदा शाला शिक्षकों को स्कूलों में वापस पदस्थ किया जाएं। उसके बाद कम से कम 3 साल बाद ही पुन: छात्रावास या आश्रमों में पदस्थ किया जाएं।
शासन के निर्देश को ठेका दिख रहे जिले में पदस्थ सहायक आयुक्त..!

जिले में ऐसे कई छात्रावास / आश्रम शाला हैं जहां पर 3 साल नहीं बल्कि 10-10, 6)15-15 साल और उससे भी अधिक समय से अधीक्षक जमे हुए हैं। केवल ग्रामीण अंचलों में ही नहीं बल्कि शहर के ही कई छात्रावासों में यह स्थिति बनी हुई है। जनजातीय विभाग ने जिन कर्मचारियों को केवल संविदा अधीक्षक पद पर नियुक्त किया था, वे स्कूलों में पदस्थ कर दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर छात्रावास या आश्रमों में शिक्षक पदस्थ हैं। सहायक आयुक्त जनजातीय विभाग ने बताया की फिलहाल ट्रांसफर पालिसी न आने के कारण अधीक्षकों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित नही किया जा सकता। विभाग ने स्थानांतरण की नीति आने पर ही हटाने की प्रकिया की जाएगी

चांद आदिवासी कान्या सीनियर छात्रावास में 10-15 सालों से पदस्थ है अधीक्षिका दुबे मेडम…
जनजातीय कार्य विभाग छिंदवाड़ा में इन दोनों नियमों के विपरीत हॉस्टल अधीक्षक/अधीक्षिकाओं की नियुक्ति की जा रही है, जिले में ऐसा ही चांद छात्रावास में देखा गया है जंहा 15 सालों से अधिक समय से पदस्थ अधीक्षिका को नहीं हटाया गया है, शिकायत होने पर भी सहायक आयुक्त ने इन्हे नहीं हटाया गया है…

नेताओं के संरक्षण में अधीक्षक काट रहे चाँदी…

छिंदवाड़ा जिले में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शाला में आज कई अधीक्षक/अधीक्षिका नेताओं के संरक्षण के कारण नही हटाये जा रहे है और जिसके कारण वह इन दिनों खुलकर भ्रष्टाचार करते नजर आ रहे हैं, और अधीक्षक /अधीक्षिका की मनमर्जी की जगह पर उन्हें पदस्थ किया जा रहा है,

आदिवासी सीनियर कन्या छात्रावास चांद मे रात मे रहते है अधीक्षिका के पति …!

जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास चांद मे रात्रि मे अधीक्षिका के पति एंव उनके लडके भी रहते है लेकिन कई शिकायत के बाद भी सहायक आयुक्त सतेंद्र सिंह मरकाम इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है कई गंभीर और अन्य शिकायतो पर भी सहायक आयुक्त जनजातीय विभाग ने गंभीरता से नही ले रहे है, लगता है कोई बडी धटना होने का इंतजार कर रहे है, और शासन के निर्देशों की खुलकर धज्जियां उड़ा रहे है.. अब देखना है कि जिलें के कलेक्टर महोदय और उपायुक्त महोदय इस और कब ध्यान देते है..!

जिलें में संचालित कई ऐसे कान्या छात्रावास भी है जंहा अधीक्षिका आपने पूरे परिवार के साथ रह रही है, जबकि शासन के निर्देश है कि 5 बजें के बाद कोई भी कान्या छात्रावास के परिसर में पुरुष का प्रवेश निषेध किया गया है, तो फिर इन छात्रावास में क्या शासन के निर्देशों का पालन हो रहा है, जंहा रात के 12बजे भी अधीक्षिका का परिवार आता जाता है, क्या इन पर नियम लागू नहीं होता है,

चांद आदिवासी सीनियर कान्या छात्रावास अधीक्षिका द्वारा मरम्मत के कार्य में हेरा फेरी…?

जनजाति कार्य विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 एंव 2023-24 में चाँद कान्या छात्रावास में लगभग दस लाख रुपये दो किस्तों में मरम्मत के कर हेतु छात्रावास में यह राशि डाली गई थी लेकिन अधीक्षिका द्वारा थोडा बहुत काम करके बाकी की राशि हजम कर गई, लेकिन निगरानी करने वाले विभाग के इंजीनियर से मिलीभगत कर पूरी राशि निकल कर गोलमाल कर दिया गया.!