शिक्षकों का स्थान छात्रावास में नहीं, बल्कि स्कूलों में होना चाहिए…
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा / मध्यप्रदेश के आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग ने एक आदेश जारी किया है कि अब कोई भी शिक्षक जो अटैचमेंट पदस्थ है उनको मूल शाला में वापस किया जायेगा, आयुक्त ने आदेश में कहा है कि बार बार शिकायत मिल रही है कि मध्यप्रदेश में शिक्षकों को स्कूल की जगह उन्हें अन्य कार्य के लिए अटैचमेंट किया गया है ऐसे शिक्षकों को तत्काल वापस उनकी मूलशाला में पढाई के लिए अटैचमेंट समाप्त कर वापस किया जावें,क्योंकि शिक्षक का असली कार्यक्षेत्र बच्चों की कक्षा होनी चाहिए, न कि सरकारी दफ्तरों की फाइलों के ढेर। इसके बाद उन्होंने आदेश में ही सभी कलेक्टर एंव विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि जो टीचर सरकारी दफ्तरों में अटैच हैं, उन्हें वापस स्कूलों में भेजा जाए।

आयुक्त जनजातीय विभाग के निर्देश के बाद जनजातीय विभाग ने टीचर्स के अटैचमेंट खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बीच पंचायत दिशा समाचार ने पता किया कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की बजाय कितने टीचर छात्रावास / आश्रम शाला एंव सहायक आयुक्त कार्यालय में फाइलें उठा रहे हैं? तो पता चला कि पूरे जिलें सेंकडो शिक्षक अलग-अलग जगह में अटैच हैं।

छात्रावास एवं आश्रम शाला में 90% शिक्षक ही बीस बीस सालों से संभाल रहे हैं…
छिंदवाड़ा जिलें जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में तो 90 फीसदी कामकाज टीचर ही संभाल रहे हैं।

पढ़िए, किस छात्रावास में कितने टीचर अटैच हैं और कितने सालों से हैं?
जिला मुख्यालय में संचालित छात्रावास एवं आश्रम शालाओं में 15 /
20 साल से शिक्षकों को अटैचमेंट कर रखा गया है और उनकी मूल शाला कर उन्हें छात्रावास में अधीक्षक के पदस्थ किया गया है, जबकि जिले के ट्राइबल ब्लॉकों में ऐसी कई शाला है जहां एक भी शिक्षक नहीं है और कई स्कूल तो शिक्षक विहीन शाला है लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त को कई बार शिकायत करने के बाद भी आज तक शिक्षकों का अटैचमेंट समाप्त नहीं किया गया बल्कि और ऐसे कई शिक्षकों जिन्हें अभी और अटैचमेंट कर छात्रावास में अधीक्षक बना दिया गया है सूत्रों की जानकारी के अनुसार जिलें में दर्जनों शिक्षक जिन्हे अभी अधीक्षक बना दिया गया उनसें बडी रकम ली गई है अटैचमेंट का हाल हैं कि सहायक आयुक्त जानबूझकर टीचर्स को अटैच कर रहे हैं। सहायक आयुक्त का कहना है कि दरअसल,दफ्तर में काम करने के लिए स्टाफ नहीं है तो बाबूओं को टीचर्स से अच्छा कोई विकल्प नहीं दिखता। अब आयुक्त ने अटैचमेंट खत्म करने की बात की है, तो इसमें उनकी मंशा है कि भाई-भतीजावाद न हो। जो टीचर काम करने और अनुभव हासिल करने आते हैं, उनका अटैचमेंट तो दो-तीन साल में खत्म हो जाता है।

मगर, कई शिक्षक पॉलिटिकल कनेक्शन और अफसरों तक पहुंच की वजह से छात्रावास एंव जनजातीय विभाग के दफ्तरों में अटैच होकर सालों तक जमे हैं। अटैचमेंट खत्म करने के आदेश हर साल निकलते हैं, लेकिन कार्रवाई केवल 10 फीसदी के खिलाफ होती है, बाकी टीचर वैसे ही काम करते रहते हैं। जो अधिकारी टीचरों का अटैचमेंट करते हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास कपुरदा, आदिवासी बालक छात्रावास झिलमिली, संयुक्त बालक छात्रावास छिंदवाड़ा, आदिवासी कन्या आश्रम छिंदवाड़ा आदिवासी बालक आश्रम चौरई, अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास चौरई, बालक आश्रम छिंदवाड़ा ऐसे दर्जनों छात्रावास है जहां पर इसी सत्र में शिक्षकों को मूलशाला के स्कूलों में पढाई की जगह अधीक्षक बना दिया गया है, जानकारों का कहना है कि इन अटैचमेंट में खूब बसूली हुई है

शिक्षक सुभाष देशपांडे पर सहायक आयुक्त मेहरबान…?
जनजातीय कार्य विभाग छिंदवाड़ा में दस सालों से अधिक समय में सुभाष देशपांडे बाबू गिरी कर रहे हैं,उन्हें अटैचमेंट पर सहायक कार्यालय में वर्षों से पदस्थ है, सुभाष देशपांडे जनजातीय विभाग में सभी शाखा के काम देखते है, इनके बिना सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग में कोई काम नहीं होता, अभी बाबू जी रातों रात शिक्षकों को अटैचमेंट के आदेश बना देते है, शिक्षकों के ट्रांसफर से लेकर अटैचमेंट का पूरा काम सुभाष देशपांडे देख रहे हैं इनके बिना चढ़ावे के किसी भी शिक्षक का ट्रांसफर एवं अटैचमेंट नहीं होता है इसलिए साहब के सबसे विश्वासपात्र बाबू (शिक्षक) में इनको गिना जाता है, साहब भी इनसे पूछे बिना कोई काम नहीं करते…
माध्यमिक शिक्षक की प्रायमरी में नियुक्ति
ट्राइबल विभाग में नियमों की बड़ी अनदेखी की गई है। बिछुआ के शासकीय हायर सेकेंडरी आमाझिरी खुर्द स्कूल में पदस्थ माध्यमिक शिक्षक भीमसिंह चौरे की पदस्थापना शासकीय प्राथमिक स्कूल एसटी कन्या शिक्षक परिसर में कर दी गई है। जबकि नियमों के मुताबिक माध्यमिक शिक्षक की प्रायमरी स्कूल में नियुक्ति नहीं होती है लेकिन ट्राइबल ने नियमों को ताक पर रखा गया है। ऐसे दर्जनों प्रकरण सामने आ रहे हैं जिसमें सीधे नोट देकर ट्रांसफर उद्योग शुरू होने की सुगबुगाहट दिखाई दे रही है।
 
            
