जंगल काटकर पका रहे ईट, ईट भट्टे में सरकारी मिट्टी का कर रहे उपयोग
उमरेठ क्षेत्र में नियम विरुद्ध चल रहा ईट भट्टो का कारोबार
(पंचायत दिशा समाचार )छिंदवाड़ा- पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार और समाज जहां पेड़ लगाने का अभियान चला रहे वही उमरेठ क्षेत्र में ईट भट्टे वाले पर्यावरण के खिलाफ काम कर रहे हैं। चुकि उमरेठ क्षेत्र में बड़ा जंगल है और ईट भट्टे वाले ईट पकाने के लिए जंगल काट रहे देखने में यहां तक आ रहा है कि जंगल में पेड़ों को उखाड़ने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार उमरेठ क्षेत्र में काफी निर्माण कार्य चल रहे हैं। जिसके लिए बड़ी मात्रा में रोजाना इंट लग रही है इसलिए क्षेत्र में ईट भट्टे का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है लोगों ने बताया कि इस समय ईट काफी महंगी हो गई है। दो हजार इंट साढ़े बारह हजार में मिल रही है ईट भट्टे वाले इस कारोबार में काफी मुनाफा कमा रहे हैं।
वृक्ष का कहना
मैं आपको छाया, शुद्ध हवा, फल, फूल, बीज, लकड़ी, पलिया, तेल, गोद, रबर, रेसिन, दवाईयां आदि दूंगा। साथ ही मृदा संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, भू-जल संग्रहण, वर्षा आकर्षण पक्षी एवं वन्यप्राणी आवास, प्रदूषण नियंत्रण आदि में मदद करूंगा।
इसके बदले मैं चाहता हूँ आप मुझे जिंदा रहने दें।
वाले ईंट बनाने के लिए किसानों से निजी जमीन लीज पर ना लेकर शासकीय राजस्व भूमि और जंगल की जमीन से बड़ी मात्रा में मिट्टी निकाल रहे हैं। ईट भट्टे वालों को ट्रैक्टर ट्राली का किराया और काम करने वालों को मजदूरी भर देना पड़ता है। इस बात की जानकारी राजस्व एवं वन विभाग को है । लेकिन अधिकारियों की साठ — गाठं से ईट भट्टा का बड़ा कारोबार लगातार चल रहा है शायद इसीलिए लंबे समय से कोई कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। बारिश में ईटो के दाम काफी महंगे हो जाते हैं इंट फिर कुछ लोगों के पास हीं मिलती है
उमरेठ क्षेत्र के ईट भट्टे वाले इस मामले में ईट माफिया बन गये है।
झाकी गांव में लाखों ईटों के भट्टे
उमरेठ क्षेत्र की चार गांव ग्राम पंचायत के अंतर्गत झांकी गांव के दमुआ माल रोड पर काफी बड़े आधे दर्जन ईट भट्टे लगे हुए हैं प्रत्येक भटटो में एक एक लाख से अधिक ईटे हैं। गांव के लोगों ने बताया कि इन ईट भट्टओ को पकाने के लिए जंगल में जमीन से मिट्टी निकाली गई है। और ईट पकाने के लिए लड़कियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ईट भट्टे पर बड़े पैमाने में कटे हुए पेड़ पड़े हुए हैं। जिसमें
किसानों के खेत से काटे गए पेड़ के अलावा जंगल के पेड़ भी काफी है जिसमें कुछ मोटे तने वाले कटे हुए पेड़ के भाग है। जिसे जेसीबी मशीन से उखाड़ गया है। इन पेड़ों को काटने के लिए ईट भट्टे वालों के पास विभिन्न प्रकार के आरो की व्यवस्था है। इस बारे में जब ईट भट्टों के मालिक से जबलपुर एक्सप्रेस के संवाददाता ने बात की तो मलिक का कहना था कि ईंट बनाने के लिए कोयला महंगा पड़ने के कारण लड़कियों से वे ईंट पकाते हैं भट्ठा मालिक ने इस बात को स्वीकार किया कि ईंट बनाने के लिए सरकारी जमीन से मिट्टी निकलते हैं। जिसमें खर्च कम आता है और इंट पकाने के लिए जंगल की लकड़ी का भी इस्तेमाल करते है। झांकी में कई इंट भट्टे जंगल के समीप लगे हुए हैं। जो कि नियम विरुद्ध है। जंगल की सीमा से ढाई सौ मीटर दूरी पर ही ईट भट्ठे लगाए जा सकते हैं। लेकिन अगर जंगल के किनारे ईट भट्टे लगे हुए हैं तो वह वन विभाग के नियमों का उल्लंघन है। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।