Home STATE प्रदेश के लिए मॉडल बने जिले के सावरवानी-चिमटीपुर होम स्टे..

प्रदेश के लिए मॉडल बने जिले के सावरवानी-चिमटीपुर होम स्टे..

दस जिलों से अध्ययन दल पहुंचे हैं होम स्टे देखने

प्रदेश के लिए मॉडल बने जिले के सावरवानी-चिमटीपुर होम स्टे

छिन्‍दवाड़ा/ मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा विकसित किए जा रहे छिंदवाड़ा जिले के पर्यटन ग्राम में बने होम स्टे पूरे प्रदेश के लिए मॉडल बन गए हैं। होम स्टे देखने और यहां मिल रही सफलता को समझने के लिए प्रदेश के दस जिलों के अध्ययन दल इन दिनों पर्यटन ग्राम सावरवानी और चिमटीपुर में हैं, जो यहां पर पर्यटकों को दी जा रही सुविधाओं और उन्हें परोसे जा रहे भोजन, पर्यटन गतिविधियों को देख और समझ रहे हैं, जिसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू किया जा सके।

         जिला पुरातत्व, पर्यटन व संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी श्री बलराम राजपूत ने बताया कि चिमटीपुर होम में पन्ना, भोपाल और हरदा से सात सदस्यों का एक अध्ययन दल पहुंचा है। यह दल तीन दिनों तक यहां ठहरेगा और इस दौरान क्षेत्र की समृद्ध आदिवासी संस्कृति, पारंपरिक जीवनशैली और प्राकृतिक सुंदरता को समझेगा । चिमटीपुर होम में उनके ठहरने के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं, जिसमें आरामदायक आवास और स्थानीय पारंपरिक भोजन की व्यवस्था शामिल है। अध्ययन दल स्थानीय समुदायों के साथ संवाद स्थापित करेगा और क्षेत्र की अनूठी विशेषताओं को समझने का प्रयास करेगा। यह प्रवास न केवल दल के लिए सीखने और अनुभवों से भरपूर होगा, बल्कि चिमटीपुर को एक आदर्श अध्ययन और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरेगा। चिमटीपुर में परार्थ समिति के सहयोग से होम स्टे का निर्माण किया गया है। इसी प्रकार विलेज वे संस्था के सहयोग से बने सावरवानी के होम स्टे पर अध्ययन के लिए इन दिनों डिंडोरी, खरगोन, बालाघाट, मंडला, इंदौर व छिंदवाड़ा के अन्य पर्यटन ग्रामों से दल आ और जा रहे हैं। सावरवानी को मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने पूरे देश के सामने मॉडल के तौर पर प्रस्तुत किया है। यहां आने वाले पर्यटकों का स्वागत, सत्कार और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं को अन्य जिलों से आए दल देखकर बहुत कुछ सीख रहे हैं। यहां पर उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह के विशेष प्रयासों से सभी विभाग पर्यटन ग्रामों में सड़क, बिजली, पानी और स्वच्छता सहित अन्य योजनाओं का उचित क्रियान्वयन करवा रहे हैं, जिससे पर्यटकों को सुविधा तो मिलती ही है, साथ ही अध्ययन दलों को प्ररेणा भी मिलती है।