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लाखों रुपये से बनाया मिट्टी परीक्षण केंद्र कई साल से बंद, किसान कहां पर कराएगा मिट्टी जांच..

लाखों रुपये से बनाया मिट्टी परीक्षण केंद्र कई साल से बंद, किसान कहां पर कराएगा मिट्टी जांच..?
न्यूूज डेस्क, पंचायत दिशा समाचार Published by: ठा.रामकुमार राजपूत

छिदंवाडा – छिदंवाडा जिलें में लाखों रुपये का शासन ने हर ब्लाकों में मिट्टी परीक्षण केंद्र बनवाया था, जो कई साल से बंद पड़ा है। ब्लॉक कृषि अधिकारी बोलते हैं, हो रहा मिट्टी का परीक्षण, जबकि कई साल से यहां ताला लगा है।

ब्लाकों में बने लाखों रुपए के मिट्टी परीक्षण जांच केंद्र बंद..
कई मिट्टी परीक्षण केन्द्र से मिट्टी परीक्षण यंत्र चोरी..

छिदंवाडा जिले के हर ब्लाकों में उन्नत खेती और खेती को लाभ का धंधा बनाने के प्रयासों और सपनों पर कई वर्षों से ताला लगा है। हर तहसील मुख्यालय पर सूक्ष्म परीक्षण केंद्र तो है, लेकिन यह कभी नहीं खुल रहा है। स्टॉफ की कमी के कारण यहां मिट्टी का परीक्षण नहीं होता, किसान भी ऑफिस देखकर चले जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार ने यह केंद्र केवल नुमाइश के लिए बनवा रखा है। यह प्रयोगशाला कई वर्षों से बंद पड़ी है, कृषि अध्क उत्पादन के लिए मिट्टी की सेहत की जानकारी किसानों के लिए जरूरी है। इसी आधार पर किसान जरूरी पोषक तत्व खेतों में डालते हैं।

किसानों को जानकारी नहीं मिलने के कारण रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से जमीन खराब हो रही है..

खेतों में आधुनिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता प्रभावित हो रही है। मृदा परीक्षण प्रयोगशाला 06 वर्ष पहले बन कर तैयार हो गया था। शासन ने लाखों रुपये खर्च कर जिले के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला कराई थी। लेकिन स्टॉफ के अभाव में इनका संचालन नहीं हो सका और फिर उस पर ताला डल गया। सूत्रों के अनुसार, भवन के निर्माण में लाखो रुपये व उपकरणों पर भी लाख रुपये खर्च हुए थे। लेकिन अभी तक यहां किसानों को मिट्टी परीक्षण का लाभ नहीं मिल पाया।

कृषि अधिकारी बोलते हैं कि मृदा परीक्षण केंद्र चालू है..

जबकि वास्तविक स्थिति में वह सालों से बंद है। लेकिन कृषि के अधिकारी को यही नहीं मालूम कि ब्लॉकों के प्रशिक्षण केंद्र बंद है। जिले के अधिकारी जिम्मेदार अधिकारी होते हैं, लेकिन उनको यही नहीं मालूम कहां-कहां मिट्टी का परीक्षण हो रहा है और इस विषय पर जब कृषि अधिकारी ने बताया, मिट्टी परीक्षण के लिए यहां से सैंपल जिला मुख्यालय भेजे जाते हैं। ब्लाकों में जांच करने वाला कोई नहीं है। जिलें से जांच कर लाकर किसानों को दे दी जाती है। लेकिन जब शासन ने लाखों रुपये खर्च करके मिट्टी का प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया है, लेकिन वह आज तक चालू ही नहीं हुआ है।
कृषि विभाग में स्टाफ की कमी का रोना रो रहे अधिकारी…

स्टाफ की है कमी
खेतों की मिट्टी की जांच कराकर किसान फसलों का उत्पादन बढ़ा सके, इस उद्देश्य से जिले के विकासखंड में एक-एक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन बनकर तैयार है। कर्मचारियों की कमी व पदस्थापना न होने के चलते प्रयोगशाला भवनों में ताला लटक रहे हैं। शासन द्वारा लाखों रुपये खर्च कर प्रयोगशाला भवन का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन कर्मचारियों की पदस्थापना नहीं की गई है। ऐसे में जिले के किसानों को स्थानीय स्तर पर इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिला मुख्यालय स्थित एकमात्र प्रयोगशाला तक अधिकांश किसान नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में उनके खेतों की मिट्टी की जांच न होने से उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है।

पौधों की समुचित वृद्धि एवं विकास के लिए सर्वमान्य रूप से सोलह पोषक तत्व आवश्यक पाए गए हैं। यह अनिवार्य पोषक तत्व हैं। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम एवं सल्फर इन पोषक तत्वों की सही जांच नही होने के कारण कृषि लाभ का धंधा नहीं रहा है। कई साल का अरसा गुजर गया, लेकिन मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच नहीं हो रही है। मिट्टी की लगातार घट रही उर्वरा शक्ति, कमजोर स्थिति और सुविधाओं के नाम पर प्रयोगशाला में ताले से किसान दुखी हैं। वे मिट्टी का परीक्षण करके मिट्टी की स्थिति जानना चाहते हैं, ताकि कम को दूर कर उन्नत खेती कर सकें, लेकिन प्रयोगशाला में ताला लगा होने से वे भी नहीं कर पा रहे हैं और उनकी खेती पिछड़ती जा रही है।

कृषि अधिकारी का कहना है कि मिट्टी परीक्षण केंद्र स्टाफ नहीं होने के कारण मिट्टी का परीक्षण ब्लॉक मे नहीं हो रहा है और अगर कोई किसान मिट्टी परीक्षण के लिए आता है तो हम छिदंवाडा में भेजकर परीक्षण करवा देते हैं।

. ब्लॉक अधिकारी परासिया
कृषि अधिकारी से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि मिट्टी परीक्षण छिदंवाडा में ही होता है।

टीप- किसान भाइयों आपके क्षेत्र में कृषि संबंधित समस्या हो तो हम तक पहुंचाएं हम बनेंगे आपकी आवाज…

अपील-रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करें , जमीन बंजर होने से बचाए

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