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जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में मरम्मत की राशि में अधीक्षक कर रहे खुलकर भ्रष्टाचार ….?

जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में मरम्मत की राशि में अधीक्षक कर रहे खुलकर भ्रष्टाचार ….?

छात्रावास अधीक्षक ने छात्रावास भवन में बिना निर्माण एंव मरम्मत के निकल लाखों ….

नयें छात्रावास भवन जो अभी निर्माण हुयें है । उन छात्रावास अधीक्षक के खातों डाल दियें लाखों रुपये …..

अपनी चहेती संस्था के खाते में लिखित आदेश के माध्यम से राशि हस्तांतरित करा राशि का कर रहे दुरुपयोग..
रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
स्थान-छिदंवाडा
दिनांक-16/07/2024

छिंदवाड़ा (पंचायत दिशा)-तत्कालीन सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा पर लगातार नियम विरुद्ध कार्य करते हुए निर्माण कार्यों के लिए आवंटित राशि को गलत तरीके से आहरण करवाने भुगतान करवाने संबंधित मामला सामने आ रहा है आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न छात्रावास, आश्रम, क्रीड़ा परिसर एवं शैक्षणिक संस्थानों में उनके मेंटेनेंस एवं अन्य कार्यों से संबंधित करोड़ों रुपया की राशि स्वीकृत सरकार के द्वारा संबंधित आश्रम, छात्रावास, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, में प्राचार्य/अधीक्षक के नाम से जारी की जाती है उन राशियों को मरम्मत और अनुरक्षण कार्य के नाम से सहायक आयुक्त कार्यालय के द्वारा जारी किए गए पत्र के माध्यम से निश्चित व्यक्ति को भुगतान करने का आदेश दिया जाता है। अब इस भ्रष्टाचार के खेल में प्रश्न यह उठता है कि जब कोई राशि संबंधित संस्था को जारी की गई है तो उस राशि को सहायक आयुक्त कार्यालय के द्वारा पत्र जारी कर कर किसी अन्य संस्था के खातों में हस्तांतरित करने को कहा जाना उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है सहायक आयुक्त कार्यालय के द्वारा वित्तीय वर्ष 20-21,21-22,के दौरान मरम्मत और अनुरक्षण कार्य के भुगतान संबंधित आदेश जारी करना से यह बात निकल कर आती है की तत्कालीन सहायक आयुक्त के द्वारा आदेश जारी कर उस राशि को अपने अनुसार किसी संस्था के खाते में हस्तांतरित करवा कर उस राशि का दुरुपयोग किया गया है जो गहन जांच का विषय है विकास एवं निर्माण कार्यों के लिए आए पैसे का उपयोग हर स्तर पर सही तरीके से हुआ या नहीं जिस मद का पैसा का भुगतान किया गया है उस मद में निर्माण कार्य किए गए हैं या नहीं इस बात की जांच की जाना चाहिए।संस्था को जारी की गई राशि के आय-व्यय संबंधित सारे अधिकार उस संस्था के प्राचार्य या उस संस्था को अपनी देखरेख में कार्य की जाने वाली समितियों के माध्यम से कराया जाता है और वह अपने संस्था के विकास के अनुरूप नियम अनुसार उस राशि को खर्च कर कर अपनी संस्था की व्यवस्थाएं बनाती है
विभाग के कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए विभाग के द्वारा संपूर्ण योजनाओं एवं प्रक्रियाओं का कंप्यूटरीकरण कर ऑनलाइन बनाया जाने का प्रयास किया जा रहा है किंतु विभाग के द्वारा ऑफलाइन कार्य करते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है पूर्व में भी जुन्नारदेव के जनप्रतिनिधि ने लिखित पत्र के माध्यम से सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा के द्वारा अपने चहेतों के खाते में बिना कार्य कराए भुगतान किए जाने की शिकायत की थी जिसकी जांच भी ठंडे बस्ते में चली गई है प्रश्न यह उठता है की जिला स्तर के किसी विभाग के उच्च अधिकारी द्वारा इस तरह इस तरह से कार्य किए जाने पर जांच कार्यवाही नहीं होना एवं संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं होना सवालों को जन्म देता है वही मिली जानकारी के अनुसार पुनः मरम्मत के नाम पर राज्य शासन से 25 करोड़ की मांग की गई है इससे यह साबित होता है कि पिछले वित्तीय वर्षों में हायर सेकेंडरी स्कूल ,छात्रावास एवं आश्रमों में मरम्मत का कार्य कराए ही नहीं गया है फर्जी बिलों के माध्यम से भुगतान का लाभ कमाया गया

रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8839760279