जिलें के किसानों को समय में नही मिली अरहर, उड़द की निशुल्क मिनीकिट…, जानकारी की कमी से जूझ रहे किसान..?
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा /मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कृषि विभाग के अधिकारी /कर्मचारी की लापरवाही से जिलें के किसानों के खरीफ में सरकार के द्वारा मिलने वाला निशुल्क अरहर, उड़द की मिनीकिट समय पर नही मिलने के कारण किसानों ने अरहर की बोनी कम ही कर पायें है जबकि कृषि विभाग द्वारा हर वर्ष कुछ किसानों को बोनी के लिए किसानों को मुफ्त में अरहर की मिनी किट दी जाती है। यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य किसानों को मुफ्त बीज उपलब्ध कराकर अरहर की खेती को बढ़ावा देना है. इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और वे आत्मनिर्भर बनेंगे। लेकिन इन दिनों जिलें के किसानों के समय पर कृषि विभाग द्वारा मिनीकिट समय पर वितरित नही होने से किसानों ने इसका फायदा नहीं उठा पायें है क्योंकि समय पर किसानो को बीज नहीं मिल पाया,कृषि विभाग ने कई खानापूर्ति के लिए कुछ किसानों को कार्यालय में बुलाकर यह निशुल्क के बीच वितरित कर दिया इसकी जानकारी किसानो को नहीं मिल पाई..

वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी छिंदवाड़ा के द्वारा समय पर नहीं दी गई अरहर की मिनीकिट….
जी हाँ हम बात कर रहे है जिला मुख्यालय में संचालित होने वाला वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय छिंदवाड़ा की जंहा पर छिंदवाड़ा विकासखंड के किसानों को समय पर अरहर बीज का वितरण नहीं किया है इसका मुख्य कारण है यह कार्यालय में कोई अधिकारी कर्मचारी समय पर नहीं मिलते है वही विकासखंड स्थर पर बैठे अधिकारी की लापरवाही इन दिनों चरम पर है क्योंकि अधिकारी कभी भी क्षेत्र का दौरा नहीं करते है और जानकारी नहीं लेते है कि कौन से गांव के किसानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं, सूत्रों की जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा ब्लॉक में जो अरहर की मिनी किट आई थी उसे वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय से अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी को दे दिया गया और यह जानकारी भी नहीं ली गई कि किसानो को कृषि विस्तार अधिकारियों ने क्या निशुल्क अरहर बीच की मिनीकिट वितरित किया है या नहीं….?

कागजों में ही वितरित हो गई अरहर की मिनीकिट…?
जिला मुख्यालय में संचालित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय में दर्जनों कृषि विस्तार अधिकारी पदस्थ है लेकिन सूत्रों की जानकारी के अनुसार ये सभी आपको जिला मुख्यालय के कार्यालय में आपको देखने को मिल जाएंगे ये कभी आपने क्षेत्रों में नहीं जाते है यदि कभी जरुरत भी पडती है तो दो चार गांव के परिचय किसानों को बुलाकर निशुल्क बींज का वितरण कर बीज देतें हुए फोटो सेशन कर लेते हैं और आपनी कागजी खानापूर्ति कर लेते हैं…

निशुल्क अरहर मिनी किट बीज में भी खराब बीज होने की मिल रही शिकायत…..
जिलें के जिन किसानो को निशुल्क अरहर बींज की मिनीकिट मिली है उन किसानों का कहना है कि इस बार जो अरहर बींज मिला है, उसमें भी अरहर के 10से 20 प्रतिशत बींज खराब देख रहे है.. लेकिन हम ने अभी अरहर की बोनी नहीं किया है देखते है बींज की बोनी करके कितने परसेंट अरहर के बीच उगते हैं.या नहीं.. लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों को कहना है कि इस बार बीज नेफेड से प्रमाणित बींज आया है

किसानों को नही देते फसल संबंधित जानकारी ना कीट से नियंत्रण की जानकारी…
जिलें में संचालित कृषि विभाग के कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी कभी किसानो को कृषि संबंधित समस्याओं के बारे में कोई जानकारी नहीं देते ना ही बींज के बिषय में कोई जानकारी मिलती है किसानो को ना ही कीट नियंत्रण के बारे में किसानो को जानकारी देते है जबकि सरकार का उद्देश्य है कि कृषि को लाभ का धंधा बनाएं लेकिन जिले में बैठे कृषि विभाग के अधिकारी कभी भी कोई किस को खेती-बाड़ी कैसी करने हैं इसकी जानकारी नहीं देते ना ही कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी जाती है जिले के किसानों ने अभी मक्के की फसल की बनी कर चुके हैं और मक्के में कितनी यूरिया डालना है कौन सी दवा का छिड़काव करना है और मक्के की फसल में रोग और कीट नियंत्रण के बारे में कभी कोई कृषि विस्तार अधिकारी या जिले या ब्लॉक के अधिकारी कभी इनकी जानकारी गांव में जाकर नहीं देते है जबकि हर गांव के लिए सरकार ने एक कृषि विस्तार अधिकारी की नियुक्ति की गई है लेकिन अधिकांश किसानों को कहना है कि हमें अभी पता ही नहीं कि हमारे गांव में कौन कृषि विस्तार अधिकारी है… उन्हें कभी हम लोगों ने गांव में नहीं देखा है.. यह एक बड़ा सवाल है कि जहां सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कर रही है लेकिन वही कृषि विभाग के कुछ लापरवाह अधिकारी/ कर्मचारी के कारण आज किसानों को सही जानकारी समय पर नहीं मिलने के कारण खेती लाभ का धंधा नहीं बन पा रही है…?

किसान के द्वारा जानकारी की अभाव में ज्यादा यूरिया डालने से यह हुआ हाल
किसानों के समाने आने वाली समस्या…संचार की कमी..
कई बार, किसानों को कृषि विभाग या कृषि वैज्ञानिकों से सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती है।
शिक्षा का अभाव:
कुछ किसानों को फसल प्रबंधन और उर्वरकों के उपयोग के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है।
तकनीकी ज्ञान की कमी:
किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, जैसे कि सटीक उर्वरक उपयोग और कीट प्रबंधन के बारे में जानकारी नहीं हो सकती है।

सरकारी योजनाओं का लाभ न उठा पाना…
कई बार, किसानों को सरकारी योजनाओं, जैसे कि फसल बीमा और उर्वरक सब्सिडी के बारे में जानकारी नहीं होती है, जिसके कारण वे इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।






