जनजाति कार्य विभाग में अजब गजब हो रहे शिक्षक के आदेश….
छात्रावास अधीक्षक बनने के लिए चार महिने पहले से बन रहे आदेश…
छिंदवाड़ा के दो हॉस्टल अधीक्षक के रिटायरमेंट के अभी तीन-चार महीने बाकी उसके बाद भी बन गए दुसरे अधीक्षक के नियुक्ति आदेश….
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा/ जिलें के जनजातीय कार्य विभाग छिंदवाड़ा में इन दिनों अजब गजब तरीके से शिक्षकों के नियुक्ति आदेश बना रहे हैं, जिला मुख्यालय के बस स्टैंड मानसरोवर के पीछे संचालित जूनियर अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास एंव सामान्य बालक छात्रावास में दो अधीक्षक के रिटायरमेंट के अभी दो-तीन महीने बाकी हैं लेकिन सूत्रो की जानकारी अनुसार दो महिने पहले दुसरे शिक्षकों की नियुक्ति हो गई जबकि अभी दोनों अधीक्षक के रिटायरमेंट के 3 महीने बाकी हैं लेकिन सहायक आयुक्त ने पहले ही से ही इन शिक्षकों से टोकन मनी लेकर उनकी नियुक्ति कर दिया…?

इन दिनों छिंदवाड़ा सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग कार्यालय छिंदवाड़ा में भ्रष्टाचारी रूपी दानव ने अपना पैर पसार लिया है, इसलिए सूत्रों का कहना है कि यहां बिना पैसे के कोई काम नहीं होता जिसका उदाहरण आपको देखने को मिल जाएगा जहां चार महीने पहले ही ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति हो जाती है जंहा के शिक्षक के रिटायरमेंट के अभी 4 महीने बाकी हैं आश्चर्य की ये है कि कैसे किसी शिक्षक को 3 महीने पहले ही से ही छात्रावास का अधीक्षक बना दिया गया जबकि अभी वर्तमान अधीक्षक कार्यरत है और उसके रिटायरमेंट के 3 महीने बाकी हैं और सहायक आयुक्त सतेंद्र सिंह मरकाम जी ने अनुसूचित जनजाति जूनियर छात्रावास छिंदवाड़ा में शिक्षक खतनकर को अधीक्षक बना दिया गया है जबकि रधुवंशी अधीक्षक के रिटायरमेंट के अभी 3 महीने बाकी हैं फिर भी पाँच महिने पहले यंहा अधीक्षक की नियुक्ति हो जाती है

पाँच महिने से बैठकर वेतन ले रहा शिक्षक खतनकर….
जनजातीय विभाग ने सहायक आयुक्त सतेंद्र सिंह मरकाम इन दिनों आदिवासी समाज के बच्चों के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं, क्योंकि पाँच महिने से शिक्षक को बिना स्कूल जायें उनका वेतन निकल रहे है, यदि शिक्षक स्कूल जाता है बच्चों को पढाई तो करता लेकिन सहायक आयुक्त के कारण आज बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे है..?

दुसरा मामला…
ऐसा ही मामला जिला मुख्यालय के मनसरोवर के पीछे संचालित बालक सामान्य छात्रावास में राकेश दुबे के रिटायरमेंट के अभी 4 महीने बाकी हैं उनके रिटायरमेंट के पहले ही मंडलोई शिक्षक को उसी जगह में अधीक्षक बना दिया गया और शिक्षक को बोला जा रहा है कि आप छुट्टी में चले जाइए.. जबकि दो महिने पहले ही मंडलोई को यंहा नियुक्ति कर दिया और वो बिना स्कूल जायें बैठकर वेतन ले रहे हे.. इसीलिए कहावत ठीक है कि अंधेर नगरी चौपट राजा टाका शेर भाजी टाका शेर खा जा.. चरितार्थ होते दिख रही है जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा में…
जनजातीय विभाग के जिला मुख्यालय में पदस्थ तीन अधीक्षक,बाबू लगे हैं शिक्षकों के संशोधन ट्रांसफर एवं अधीक्षक की नियुक्ति के लिए….
छिंदवाड़ा जिले में संचालित जनजाति कार्य विभाग में सहायक आयुक्त ने इस काम के बाकायदा जिला मुख्यालय में पदस्थ तीन अधीक्षक दो बाबू और एक शिक्षक को काम में लगा रखा ऐसे शिक्षक जो अपनी मनचाही जगह में ट्रांसफर लेना चाह रहे हैं या फिर कोई शिक्षक अधीक्षक बनना चाह रहा है उसके ये लोग संपर्क करते है और फिर रातों रात नियुक्ति आदेश बना देते है विभाग में किसी को इस बात की जानकारी ही नही होती है ना ही इनकी नियुक्ति आवक-जाबक रजिस्टर में मेंटेन होती है जब सब कुछ ठीक हो जाता है तब रजिस्टर में इनकी एंट्री की जाती है…
शिक्षकों का संशोधन का भी चल रहा बडा खेल…
जनजाति विभाग छिंदवाड़ा में इन दिनों जो शिक्षक दुसरे जिलें से ज छिंदवाड़ा में स्थानांतरण होकर आयें है सूत्रो की जानकारी के अनुसार उनको भी बिना चढ़ने के दुसरी जगह पदस्थ नही किया जा रहा है ,इसलिए जनजाति विभाग के बाहर प्रतिदिन दर्जनों शिक्षक /शिक्षिकाओं को देखा जा सकता है,इन शिक्षकों का आदेश में सहायक आयुक्त ने ड्राइवर और एक बाबू इन शिक्षकों के आदेश में संशोधन कर रहे हैं,इन शिक्षकों कहा जाता है कि आपका जंहा आदेश हुआ है वंहा उस विषय की जगह खाली नही है… उसके बाद परेशान होकर मजबूरी मेझ बेचारे चढ़ावा देकर अपना संशोधन कर रहे हैं..?