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पुल नहीं होने से उफनती नदी को पार कर बच्चे जाते हैं स्कूल ,जान का बना रहता है खतरा

पुल नहीं होने से उफनती नदी को पार कर बच्चे जाते हैं स्कूल ,
जान का बना रहता है खतरा

पुल निर्माण को लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई

छिदंवाडा / छिंदवाड़ा जिलें के मोहखेड विकासखंड की ग्राम पंचायत ग्वारा के आदिवासी बाहुल्य झीलढाना गांव में आजादी के बाद भी आज भी विकास से कोसों दूर है।जहा एक तरफ भारत सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही है।वही दूसरी ओर गांव में न सड़क है,न ही स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा के लिए अधारभूत सुविधाएं।

बारिश आते ही यह गांव टापू बन जाता और ग्रामीण अपने ही देश में दुनिया से कट जाते है। हालात यह है कि है कि गांव में कोई पक्की सड़क की सुविधा नहीं है।बिछुआ-रामाकोना मार्ग से जुड़ने मार्ग आज भी कच्चा और उबड़-खाबड़ है।बारिश में यह रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है।यहां के ग्रामीणों को गांव से बाहर जाने के लिए नदी को पार करना किसी जंग से कम नहीं है क्योंकि बारिश होने पर नदी उफान पर होती है, जिसे पार करना ग्रामीणों के लिए आफत बन जाती है नदी पर पुल न होने के कारण ग्रामीण, स्कूली बच्चे और मरीज, विशेषकर गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

झीलढाना गांव को नदी पर आजादी के बाद से अब तक पुल नहीं बन पाया है। ऐसे में यहां के आंगनबाड़ी से लेकर प्रायमरी और मिडिल स्कूल तक के बच्चे बारिश के सीजन में उफनती नदी को पार कर भविष्य गढऩे स्कूल जाते है। इस दौरान उनकी जान पर खतरा बना रहता है। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।