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मरम्मत पर लाखों खर्च होने के बाद भी छात्रावास के छात्रों को पानी से बचने तिरपाल का सहारा..!

खेल परिसर मरम्मत के नाम पर ऑनलाइन भुगतान की हो चुकी है अनदेखी…

खेल परिसर के अधीक्षक शैलेश राय ने किसके कहने पर ठेकेदार को दे दिया चेक…?

मरम्मत पर लाखों खर्च होने के बाद भी छात्रावास के छात्रों को पानी से बचने तिरपाल का सहारा… आखिर क्यों..!

पंचायत दिशा समाचार

छिदंवाडा/ जिलें के तामिया आदिवासी विकासखंड में जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित कन्या आश्रम एवं छात्रावास संचालित है जिनकी हकीकत किसी से छुपी नहीं है। इनमें रहकर पढ़ने वाले गरीब आदिवासी छात्र छात्राएं मूलभूत सुविधा से तो हमेशा से वंचित रहे हैं। छात्रावास आश्रम में ना तो इनके लिए पौष्टिक खाना मीनू के हिसाब से इन्हें भोजन नहीं मिलता है। छिंदवाड़ा जिलें में संचालित छात्रावास /आश्रम शाला के अधीक्षक शासन के नियम के बजाय अपने नियम से भोजन करवाते है जिससे इनका का बौद्धिक विकास नहीं हो पाता और परीक्षा के परिणाम अनुकूल नहीं आते हैं।

सहायक आयुक्त छिंदवाड़ा छात्रावास/ आश्रम में आर्थिक लालच भी ढूंढ लेते हैं..?

सूत्रो की जानकारी के अनुसार जनजातीय कार्य विभाग छिंदवाड़ा के सहायक आयुक्त छात्रावास/ आश्रम में आर्थिक लालच भी ढूंढ लेते हैं और इन दिनों छात्रावास /आश्रम /स्कूलों की मरम्मत के नाम पर अधीक्षक को राशि आवंटित कर अपने चहेते ठेकेदारों को आघोषित ठेकेदारी करवा कर ऑनलाइन के युग में भी चेक से भुगतान करवाकर नियम कानून का खुला उल्लंघन कर रहे हैं, लेकिन जब अधीक्षक के बजाय अघोषित ठेकेदार भवन की मरम्मत करेगा तो समझा जा सकता है है कि कैसी होती होगी इनकी मरम्मत…? यदि किसी को इसका उदाहरण देखना है तो तामिया मिडिल स्कूल,उत्कृष्ट बालक छात्रावास, खेल परिसर में जाकर देखा जा सकता है कि इस छात्रावास मरम्मत के नाम पर किस तरीके से फर्जीवाड़ा किया गया है वह देखा जा सकता है क्योंकि अभी तामिया में बरसात हो रही है तो इसमें निवासरत छात्रों को पानी से बचाने के लिए हाल के अंदर अधीक्षक को तिरपाल लगानी पड़ रही है, वहीं छत के ऊपर जो मुंडेर बनाई जाती है जो कि प्रोफाइल सीट के ऊपर रखी रहती है उसमें पानी जाने का कोई चांस नहीं है उसे भी तिरपाल से ढाका गया है तो समझा जा सकता है कि मुंडेर में केवल मिट्टी थोंपी गई होगी, नहीं तो क्या कारण तिरपाल डालना पड़ी ठेकेदार के कारनामो की बानगी इस छात्रावास में प्रोफाइल सीट में जगह छेद देखे जा सकते हैं जिससे पानी भीतर आ रहा है और छात्रों को रात काटना भारी बरसात होने की स्थिति में परेशानी के साथ गुजारना पड़ रही है। इसी तरह तामिया खेल परिसर में में भी है

तामिया खेल परिसर में दो सालों में मरम्मत के नाम पर लाखों का् खेल…?

आखिर कौन से ठेकेदार को खेल परिसर के अधीक्षक ने ऑनलाइन भुगतान की जगह चेक से किया भुगतान.?

जनजातीय कार्य विभाग कार्यालय से मरम्मत के नाम पर इसकी लागत से ज्यादा खर्च किया जा चुका है। बावजूद खेल परिसर भी जर्जर अवस्था में है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस खेल परिसर मरम्मत के नाम पर अधीक्षक ने चेक से भुगतान किया है जबकि वर्तमान में शासन के सख्त निर्देश है कि ऑनलाइन भुगतान ही किया जायें । बावजूद इसके किस के कहने पर अधीक्षक को चेक देने के लिए मजबूर किया गया, यह सारे जांच के विषय हैं। इस तरह यदि पिछले वर्ष हुए छात्रावास आश्रम में हुई मरम्मत का भौतिक सत्यापन एवं उसमें लगाई गई प्रोफाइल शीट का मिलान माप पुस्तिका से करेंगे तो छात्रावास आश्रमो स्कूलों के नाम पर सहायक आयुक्त के द्वारा मरम्मत के नाम पर जो फर्जीवाड़ा हुआ है, उसमें अधीक्षक से लेकर सहायक आयुक्त तक इसमें शामिल पाए जाएंगे। कलेक्टर को संज्ञान में लेकर छात्रावास आश्रमों की हकीकत बरसात में जानने के लिए जांच दल बनाकर इनमें निवास कर पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की परेशानी को समझ कर प्रयास कर उन्हें बरसात में सोने लायक स्थिति कम से कम छात्रावास आश्रमों की करवाने प्रयास करने होंगे। नहीं तो छात्र-छात्राओं की पढ़ाई शुरूआती दौर में ही प्रभावित होगी और इसके परिणाम वार्षिक परिणाम का रिजल्ट में देखने मिलेंगे।

रिपोर्ट -ठा. रामकुमार राजपूत
मोबाइल -8989115284