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कान्या शिक्षा परिसर बिछुआ की छात्राओं को मिल रही पतली दाल और सब्जी सिर्फ पानी….

कान्या शिक्षा परिसर बिछुआ की छात्राओं को मिल रही पतली दाल और सब्जी सिर्फ पानी….

राजनीति का अखाड़ा बनते जा रहे हैं आदिवासी छात्रावास…

नेतागिरी की आड़ में अधिकारियों ने प्राइवेट हाथों में दे दिया भोजन का टेंडर….

पंचायत दिशा समाचार

छिदंवाडा/ जिले में जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास एवं आश्रम शाला इन दोनों राजनीति का अखाड़ा बनते जा रहे हैं ऐसा कोई दिन बाकी नहीं होता है कि जनजाति कार्य विभाग की खबरें सुर्खियों में ना रहे,लेकिन जिलें के कलेक्टर महोदय भी इन आदिवासी बच्चों की आवाज नही सुन रहे है..! ऐसा ही मामला आज विछुआ में देखने को मिला जंहा कान्या शिक्षा परिसर की छात्राओं ने भोजन की गुणवत्ता को लेकर आज हड़ताल कर दी और स्कूल जाने से मना कर दिया लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त के कानों में इन आदिवासी छात्राओं की आवाज तक नहीं पंहुची… जी हाँ हम बात कर रहे है जनजातीय विभाग की जंहा इन दिनों भ्रष्टाचार ने अपना पैर पसार लिया है यंहा के अधिकारी को इन आदिवासी बच्चों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है, जिलें के छात्रावास एंव कान्या शिक्षा परिसर में भोजन का टेंडर नेतागिरी करने वालें लोगों को अधिकारियों ने प्राइवेट हाथों में भोजन का टेंडर दे दिया है लेकिन बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन की अधिकारी जांच तक नहीं कर रहे हैं यही वजह है कि सत्ताधारी दल के नेता बने ठेकेदार मनमर्जी से जैसा खाना चाहे वैसा परोस रहे हैं। छात्राओं ने ट्राइबल विभाग के सहायक आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम से गुहार लगाते हुए भोजन की गुणवत्ता सुधारने की मांग की है। बिछुआ के शासकीय कन्या परिसर में घटिया भोजन को लेकर छात्राओं ने हड़ताल की और स्कूल जाने से इंकार कर दिया।

जनजाति कार्य विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने के
लिए यहां की आदिवासी सभ्यता और संस्कृति लोगों को परिचित कराया जा रहा….

इन दिनों जनजातीय कार्य विभाग एक तरफ जहां छिंदवाड़ा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां की आदिवासी सभ्यता और संस्कृति लोगों को परिचित कराया जा रहा है। शुद्ध देशी घी में बने आदिवासी व्यंजन पर्यटकों को परोसे जा रहे हैं, कोदो की खीर और कुटकी सहित अन्य मिलेट्स जिनका उपयोग क्षेत्रीय आदिवासी अपने व्यंजन में करते हैं इनका प्रदेश से लेकर।

राष्ट्रीय स्तर तक महिमा मंडन किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ छिंदवाड़ा के छात्रावासों में पढ़ने वाली आदिवासी बच्चियों को जो भोजन परोसा जा रहा है उसकी गुणवत्ता अब सवालों के घेरे में आ गई है।

जानवरों को भी न मिले ऐसा खाना, हम तो इंसान हैं.. छात्राओं ने मुख्यमंत्री से कहा अब तो सुन लो हमारी पुकार…?

छात्राओं ने भोजन व्यवस्थाओं को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की उनका कहना था कि दूध के पैकेट जो एक्सपायरी डेट होने वाले होते हैं उन्हें दिया जाता है। इसके अलावा अन्य मसाले और खाद्य सामग्री भी ऐसी भेजी जाती है जो जल्द ही खराब होने वाली होती है। ऐसा खाना जानवरों को भी नहीं दिया जाना चाहिए हम तो इंसान है फिर हमें क्यों ऐसा भोजन दिया जा रहा है।

कान्या शिक्षा परिसर की अधीक्षिका भी लापता….

कान्या शिक्षा परिसर बिछुआ में 450 सीटर है यहां पर फिलहाल 375 छात्राओं का अब तक एडमिशन हुआ है छात्राओं का कहना कि छात्रावास अधीक्षिका भी भोजन और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर ध्यान नहीं दे रही है। वर्तमान अधीक्षिका का ट्रांसफर हो गया है जिसके चलते और ज्यादा अनियमितताएं सामने आ रही है।

छात्राओं ने की हड़ताल, नहीं गई स्कूल

सत्ताधारी दल के नेता का है खाने का ठेका

बिछुआ के कन्या शिक्षा परिसर में खाना बनाने का ठेका सत्ताधारी दल के एक नेता का है जिन्होंने अपनी धौंस पर यह ठेका लिया है लेकिन यहां पर छात्राओं को गुणवत्तायुक्त भोजन परोसने से परहेज कर रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक शिव इंटरप्राइजेस द्वारा बिछुआ के इस कन्या परिसर का ठेका लिया गया है। छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें घटिया खाना परोसा जा रहा है। पतली दाल और पानी जैसी सब्जी खाने को मिल रही है, भोजन ऐसा है कि गले के अंदर ही नहीं जा रहा है। लगातार भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की गई है लेकिन अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

बिछुआ के शासकीय कन्या शिक्षा परिसर में सोमवार को छात्राओं ने घटिया खाने सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर हड़ताल कर दी। छात्रावास में रहने वाली 375 छात्राएं जब सोमवार को स्कूल नहीं पहुंची तो इस बात की जानकारी प्रबंधन द्वारा अधिकारियों को दी गई, आनन-फानन में बिछुआ बीईओ लक्ष्मीकांत मिश्रा को छात्रावास भेजा गया जहां पर छात्राओं को अपनी समस्याएं अधिकारी के समक्ष रखी। छात्राओं ने बताया कि उन्हें यहां पर गुणवत्तायुक्त भोजन नहीं मिल रहा है। पतली दाल और पानी जैसी सब्जी खाने में परोसी जा रही रही है है जबकि छात्रावास में सोने को जगह भी नहीं है। बिस्तर सालों से मैले और गंदे पड़े हुए हैं। परिसर में जगह-जगह गंदगी है लेकिन छात्राओं की सुध लेने कोई आगे नहीं आया है। लगातार शिकायत के बावजूद जब उनकी समस्याएं नहीं सुनी गई तो छात्राओं ने हड़ताल कर दी और स्कूल जाने से इंकार कर दिया। बीईओ की समझाइश के बाद छात्राओं ने स्कूल जाने के लिए हामी भरी है।