जनजातीय कार्य विभाग के छात्रावास भवन निर्माण कार्यों में ठेकेदारों की मनमानी
पंचायत दिशा समाचार
छिदंवाडा /जिलें में जनजातीय कर विभाग द्वारा निर्माण छात्रावास भवन निर्माण में बिना अनुमति के 9 पेड़ों की अवैध कटाई के बाद नए छात्रावास भवन निर्माण से जुड़े ठेकेदार अब घटिया निर्माण को लेकर चर्चाओं में है। छिंदवाड़ा जिले के जनजातीय कार्य विभाग कार्यालय के माध्यम से आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में छात्र छात्रों की बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल छात्रावास बालक छात्रावास एवं शाला मरम्मत सहित निर्माण कार्य जनजाति विभाग कार्यालय से ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से ठेका दिया जाता है। इस ठेका पद्धति में अचरज करने वाली बात यह है कि जितने भी ठेके सहायक आयुक्त कार्यालय से ऑनलाइन पद्धति से होते है। इन निर्माण कार्य का ठेका उसी ठेकेदारों को मिल रहा है जो सहायक आयुक्त कार्यालय के चहेते हो रहे है,चाहे पद्धति कोई भी हो। ऐसे ठेकेदार सिर्फ छिंदवाड़ा जिले एवं सहायक आयुक्त कार्यालय की तकनीकी अमले की मदद से ठेका प्राप्त करने बाले ठेकेदार तामिया विकासखंड शिक्षा क्षेत्र में स्कूल छात्रावास बाउंटडी बॉल के ठेके हुए है। छात्रावास भवन एंव स्कूल में मरम्मत
कार्य भी अवैध कमाई के लिए छात्रावास अधीक्षकों से करवाने के लिए राशि आवंटित कर अघोषित ठेकेदार से निर्माण करवाकर निर्माण के नाम पर जमकर धांधली की जा ही है। ऑनलाइन भुगतान के दौर में भी चेक से भुगतान किया जाना चर्माओं में है। जनजातीय विभाग के तकनीकी जानकार नाम ना छापने की शर्त परबताते है कि तामिया चल सो निर्माण कार्यों में ठेकेदार उपयंत्री के संरक्षण में जो निर्माण किये जा रहे हैं उसमें ठेकेदारों ने नया फर्जीवाड़ा करने का नया तरीका सामने आया है जिसमें निर्धारित तकनीकी मापदंड के विरुद्ध कम गहराई के कालम के गड्ढे खोदकर एक मीटर से भी कम खोदकर कालम खड़े कर रहे हैं। इस तरह तामिया में ठेकेदार अधिकारियों के मिली भगत से प्रति कालम में एक क्यूबिक मीटर से अधिक लोहा खुदाई कालम की मिट्टी भरवाई में प्रति कालम 5 से 70000 रुपये फाउंडेशन में कमा रहे हैं। यदि 100 कालम निर्माण में अकेले लगभग 70 लाख रुपया फर्जी मूल्यांकन के माध्यम से कमाई कर रहे हैं। जिससे बनने बाहले भवन की गुणवत्तापूर्णता प्रभावित हो रही है। जिसको पूरी तरह उप यंत्री अनुविभागीय अधिकारी जनजाति विभाग नजर अंदाज किए है इस तरह तामिया में चल रहे निर्माण कार्यों में अगर समय रहते गुणवत्ता का ध्यान नहीं दिए गया तो भवन अपनी गुणवत्ता खोकर जब बनेगा तो निश्चित ही उसका परिणाम आदिवासी छात्रों को भविष्य में भुगतना पड़ेगा? तकनीकी जानकारी के अनुसार कोई भी भवन निर्माण किया जाता है। तो उसकी नौब खुदाई के समय मिट्टी की गुणवत्ता देखी जाती है कि वह कालम की कितनी खुदाई कर भवन को मजबूती प्रदान करेगी लेकिन यहां पर चल रहे निर्माण कार्यों में ऐसा कुछ भी नहीं देखने मिल रहा है। जी कालम खड़े है उनकी खुदाई मिट्टी की गुणवत्ता कालम खड़े करने में लगाए जाने वाला लोहा रेत गिट्टी उपयुक्त है कि नहीं इसकी जबाबदारी
इनका कहना है
सहायक आयुक्त छिंदवाड़ा से निर्माण कार्य छात्रावास भवन के कालम खड़े करने में ठेकेदारों द्वारा चली जा रही कोताही के संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य गुणवत्ता एवं मापदंड से समझौता नहीं किया जायेगा,
जनजातीय विभाग के इंजीनियर एंव ठेकेदार की मिलीभगत
जनजातीय कार्य विभाग के तकनीक अधिकारी एंव ठेकेदार को संरक्षण देने में लगे हो तो निर्माण कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होना निश्चित है।जो इन दिनों जनजातीय विभाग द्वारा तामिया में चल रहे निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी एवं मापदंड के विपरीत कालम खड़े किये देखे जा सकते हैं इस तरह प्रति कालम में 7000 फर्जी मूल्यांकन करवा कर ठेकेदार द्वारा कमाया जा रहा है। निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी प्रभावित की जा रही है यदि समय राहते इस भ्रष्टाचार एवं कालम खुदाई में मापदंड के विपरीत इन कामों की जांच होनी चाहिए।







