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बिछुआ (देवनदी ) आश्रम शाला के नाम पर घोटाला! कहां जा रहा गरीब आदिवासी छात्रों के मुंह का निवाला..

बिछुआ (देवनदी ) आश्रम पाठशाला के नाम पर घोटाला! कहां जा रहा गरीब आदिवासी छात्रों के मुंह का निवाला..

छिंदवाड़ा में आदिवासी बच्चों के लिए चल रहीं आश्रम पाठशालाओं के हालात पर ठा. रामकुमार राजपूत की खास रिपोर्ट.

छिंदवाड़ा (पंचायत दिशा समाचार )आदिवासी बच्चों के लिए बनाई गई आश्रम पाठशालाओं का जिले में कैसे पलीता लगाया जा रहा है बिछुआ ब्लॉक के देवनदी में बने शासकीय आदिवासी बालक आश्रम देवनदी में कितने बच्चे हॉस्टल में दर्ज हैं और कितने बच्चे यहां रहते हैं. जो जानकारी निकलकर सामने आई वह चौंकाने वाली है. बता दें कि यह हॉस्टल जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित है.
देवनदी का शासकीय आदिवासी बालक आश्रम
छिंदवाड़ा के बिछुआ ब्लॉक के पास देवनदी नाम का एक गांव है. जो जगलों से धेरा हुआ ऐसी ही एक शासकीय आश्रम पाठशाला बनाई गई है. यहां एक बड़ा सा कान्या आश्रम एंव बालक आश्रम बनाया गया है. बच्चों के लिए कवर्ड कैंपस है और खाना बनाने के लिए एक मैस भी है. . लेकिन आश्चर्य की बात है कि यहां पर कन्या एवं बालक के लिए अलग-अलग व्यवस्था होने के बाद भी यहां पर पदस्थ अधीक्षक किसन सोमकुंवर एक ही जगह पर मैस का संचालन कर रहा है और बालक एवं कन्याओं को एक साथ भोजन करता है, जो हॉस्टल के नियमों के विपरीत है, विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिछुआ के निरीक्षण के द्वारा पाया गया कि यहां पर हॉस्टल अधीक्षक के द्वारा गांव को ही लड़कों को इस हॉस्टल में भर्ती करके रखा है जिसके कारण बच्चे आपने आपने धर चले जाते है, सूत्रो की जानकारी के अनुसार यंहा संचालित कान्या एंव बालक आश्रम में ना तो यहां ज्यादा रहते है क्योंकि अधिकाश बच्चे आपने धर चले जाते है और जब कोई अधिकारी का दौरा होता है तब बच्चों को लेकर आश्रम शाला में आ जाते हैं ऐसा लगभग 10 से 15 सालों से अधीक्षक किसन सोमकुंवर करते आ रहा है, जो विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने कुछ महिने पहले आपनी जाँच रिपोर्ट में लिखा है, और ना ही हॉस्टल अधीक्षक किसन सोमकुंवर यहां रहते है.

नियम की अनदेखी करते हुए किया आश्रम शाला में भर्ती बच्चों को

नियमानुसार आश्रम पाठशाला मैं ऐसे बच्चों को भर्ती करना है जो उसे गांव में नहीं रहते है लेकिन 10/15 सालों से एक ही जगह में पदस्थ अधीक्षक की यंहा मनमानी चरम पर है, नियम है कि आश्रम शाला छोड़कर बाहर बच्चे नहीं जा सकते तो फिर बच्चे प्रतिदिन आपने धर कैसे चले जाते है, विकासखंड शिक्षा अधिकारी एंव संकुल केंद्र की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि अधीक्षक के द्वारा बस्ती के ही बच्चों को इस आश्रम शाला में भर्ती किया गया है, अधीक्षक द्वारा वर्षों से आश्रम शाला के नाम पर सरकारी राशि में घोटाला किया जा रहा है..?

अधीक्षक किसन सोमकुंवर के पास बालक एंव कान्या दोनों आश्रम शालाओं का प्रभार आखिर कैसे….?

आश्रम शाला अधीक्षक किसन सोमकुंवर के पास दो आश्रम का प्रभार है. कान्या एंव बालक आश्रम, बता दें कि यहां गांव के ही बच्चों का नाम आश्रम शालाओं में लिख लिया गया है. यह बच्चे गांव में अपने घरों में रहते हैं. इन बच्चों के खाने, रहने और दूसरी व्यवस्थाओं के लिए हर महीने हजारों रुपये आता है. सवाल यही है कि जब आश्रम में बच्चे ही नहीं रहते हैं तो फिर यह पैसा कहां जा रहा है.

छात्रावास के निरीक्षण में मिली कमियां, बच्चों को मीनू अनुसार खाना नहीं मिलता,

जिलें के बिछुआ ब्लॉक के देवनदी आदिवासी बालक आश्रम देवनदी बालक /बालिका आश्रम में कुछ महिने पहले विकासखंड शिक्षा अधिकारी एंव संकुल केन्द्र प्रभारी ने औचक निरीक्षण किया। यहां पर नाश्ते के मीनू बोर्ड की तरफ देखते हुए अधिकारी ने छात्रा से इडली सांभर के बारे में पूछा। इस पर छात्राओं ने जवाब दिया कि क्या होता है और कैसा होता है, हमें नहीं पता। हमें ताे केवल चाय और पोहा ही मिलता है। इसी प्रकार सांभर बड़ा, अंकुरित फ्राइड चना, ब्रेड पकौड़ा, सेंडविच के बारे में भी पूछा। इस पर छात्राओं ने हंसते हुए बताया कि हमें ऐसा कुछ नहीं मिलता। पोहे,और जली रोटी के अलावा कुछ नहीं मिलता। चाय मिलती है लेकिन वह भी पानी वाली है। भोजन भी खराब क्वालिटी का दिया जा रहा है। छात्राओं की बातें सुन अधिकारियों ने नाराजगी जताई। पंचनामा बनाकर जांच के निर्देश दिए।

बालक /बालिका आश्रम का औचक निरीक्षण किया। अधिकारियों को आश्रम में विभिन्न असुविधाएं दिखी। छात्राओं को होस्टल में मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की जानकारी ली। इसमें पाया कि छात्राओं को मीनू के अनुसार भोजन भी नहीं दिया जा रहा है। गुणवत्ताहीन भोजन दिया जा रहा है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने पंचनामे की कार्रवाई कर जांच के बाद कार्रवाई के लिए मामले में प्रतिवेदन बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को दिया था, लेकिन चार महिने बीत जानें के बाद भी सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग ने कोई कार्रवाई आज दिनांक तक नहीं कि गई है…जिससे अधीक्षक के हौसले बुलंद है…

थाली में रोटी देखते विकासखंड शिक्षा अधिकारी….

इधर… आदिवासी बालक एंव कान्या आश्रम में कच्ची रोटी एंव कई जली रोटी व गुणवत्ताहीन दाल देखने को मिली
आदिवासी बालक एंव कान्या आश्रम देवनदी पर बच्चों को खराब गुणवत्ता हीन खाना देखने को मिला । निरीक्षण के बाद पूरी रिपोर्ट बनाकर सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा को दे दी गई थी लेकिन आज तक लापरवाही करने वाले अधीक्षक पर कोई कार्यवाही नहीं.. हुई है

छात्रों से मीनू के बिषय में पूछा…

छात्राओं से जो मीनू पूछा गया तो इस बिषय में बच्चों को कुछ मालूम ही नहीं था, आदिवासी बालक एंव कान्या आश्रम देवनदी में कभी भी बच्चों को मीनू के सबसे भोजन नहीं दिया जाता है

आश्रम में बोर्ड पर हर दिन का मीनू लिखा है, पर बच्चों को मिलता नहीं….?

कान्या छात्रावास में कई घटनाओं होने के बिछुआ के देवनदी में पुरुष अधीक्षक को प्रभार…?

मध्यप्रदेश सरकार ने बालिका छात्रावास /आश्रम में पुरुष कर्मचारी की नियुक्ति और बिना अनुमति के किसी पुरुष के प्रवेश पर वर्जित कर रखा है. लेकिन छिंदवाड़ा जिले के बिछुआ ब्लॉक के देवनदी गांव स्थित कन्या आश्रम में अभी भी पुरुष अधीक्षक किसन सोमकुंवर के पास प्रभार है और अधीक्षक कन्या आश्रम में ही बालक एंव कान्या आश्रमों का मैस संचालित हो रहा है, जंहा रात और दिन में यंहा पदस्थ पुरुष कर्मचारी आते जाते हैं, इन्हे रोकने वाला कोई नहीं है, लगता है जिलें में बैठे सहायक आयुक्त कोई बड़ी घटना होने का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए शिकायत होने के बाद भी बीस सालों से एक ही जगह पदस्थ अधीक्षक किसन सोमकुंवर को नही हटाया गया है, जिसके पास अभी भी कान्या आश्रम का प्रभार है, यंहा सिर्फ दिखवा के लिए हुई है अधीक्षिका की नियुक्ति वो यंहा कभी नही रहती है, और ना ही उन्हें कोई कन्या आश्रम का प्रभाव दिया गया है, और विकासखंड शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के बाद भी जिले में बैठे सहायक आयुक्त ने अभी तक ऐसे अधीक्षक पर कार्यवाही क्यों नहीं किया सहायक आयुक्त की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठ रहे हैं…?

जांच के बाद होगी कड़ी कार्रवाई….

जनजाति कार्य विभाग जाति के सहायक आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम से दुरभाष पर बात होने पर उनका कहना है कि “हॉस्टल में रहने वाले हर बच्चे को लगभग 15 सौ रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. इसमें से 10% राशि बच्चों के अकाउंट में जाती है और बाकी अधीक्षक के अकाउंट में जाती है.” देवनदी के कान्या एंव बालक आश्रम में बच्चों के नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि “इस मामले की जांच विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने रिपोर्ट सौपी है जल्द ही हॉस्टल अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

आखिर कब खुलेगी जिले में बैठे अधिकारी एवं जनजाति के उच्च अधिकारियों की आंखें

रिपोर्ट -ठा. रामकुमार राजपूत

मोबाइल -8989115284