Home CITY NEWS काम बंद हड़ताल पर कर्मचारी वेरिफिकेशन को लेकर छिंदवाड़ा महापौर बोले…

काम बंद हड़ताल पर कर्मचारी वेरिफिकेशन को लेकर छिंदवाड़ा महापौर बोले…

काम बंद हड़ताल पर कर्मचारी वेरिफिकेशन को लेकर बोले विक्रम

जो काम करेगा वो वेतन का हकदारः महापौर

पंचायत दिशा समाचार

वेतन की समस्या को लेकर नाराज कर्मचारियों के पांच संगठनों ने एक साथ हड़ताल का ऐलान किया है। सिर्फ अति आवश्यक सेवाएं ही शुरू रहेंगी। निगम में वेतन की समस्या बड़ा ही गंभीर रूप ले चुकी है। नगर निगम के कर्मचारियों को दो माह से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। कमिश्नर चंद्रप्रकाश राय को बार बार ज्ञापन देने और कमिश्नर द्वारा समय पर वेतन देने का वादा झूठा ही साबित हुआ।

अपनी मांगों को पूरा होते न देख निगम कर्मचारियों ने मंगलवार और बुधवार मप्र नगर नगम नगरपालिका संघ, अटल नगरीय निकाय कर्मचारी संघ, अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस और राज्य सफाई कर्मचारी मोर्चा और

शासकीय यांत्रिकी से संबंधित कर्मचारी शासन के विरूद्ध मोर्चा लेकर खड़े हो गए।

दरअसल नगरपालिक निगम छिंदवाड़ा भ्रष्टाचार का एक बड़ा अड्डा बन चुका है जहां पर बिना पैसे के कोई भी काम नहीं होते है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक नंबर दो की कमाई में व्यस्त है और

यही कारण है कि अधीक्षक अनंत कुमार धुर्वे के समय से आज तक फर्जी मस्टररोल भरते हुए बिना किसी नियम कानून के बैकडोर एंट्री से कर्मचारियों की भर्ती की गई है जबकि विगत दस सालों में एक भी बार भर्ती का विज्ञापन नहीं निकाला निकाला गया है। कई दर्जनों कर्मचारी फ्री की सैलरी ले रहे है।

वहीं कई तो कामचोरी का ऐसा आलम है कि अधिकारियों और पार्षदों के बंगले में टाइम पास कर रहे है। ऐसे में लगभग 1900 कर्मचारियों की फौज का पालन करना नगर निगम के लिए गले की हड्डी बन चुका है। वास्तव में वे ही कर्मचारी हड़ताल में रूचि ले रहे है जो वास्तव में काम करते है और उनका घर नगर निगम की तनख्वाह से ही चलता है परंतु बहुत से ऐसे कर्मचारी है जो फ्री का वेतन लेते है इसी वजह से नगर निगम का बजट बिगड़ा है।

ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी निगम के आला अधिकारियों और नगर निगम के जनप्रतिनिधियों को नहीं है परंतु वे भी मूकदर्शक बनकर यह स्वीकारते है कि नगर निगम में कोई भी काम

बिना पैसे के नहीं होता। किसी भी बड़े अधिकारी की

संपत्ति की जांच की जाए तो सारे घोटाले सामने आ सकते है परंतु कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। बड़ी बड़ी बाते करने वाले जनप्रतिनिधि कार्रवाई के नाम पर लीपापोती करने से गुरेज नहीं करते। 1900 कर्मचारी की फौज में से महज 400-500 कर्मचारी हड़ताल मे ‘रूचि लेकर सरकार को अपना विरोध प्रदर्शित कर रहे है। बाकी कर्मचारियों के लिए सैलरी तो आना ही है शासकीय पैसा आज नहीं तो कल मिल ही जाएगा। आम आदमी के टैक्स के पैसों की बंदरबांट लगाने में निगम माहिर है। महापौर विक्रम अहाके यद्यपि मंच से यह बोल चुके

है कि वे कर्मचारियों का वेरिफिकेशन कराएंगे परंतु ऐसा नहीं होने वाला है। इतना बड़ा कदम उठाने के लिए उन्हें बेहद हिम्मत की जरूरत है। कर्मचारियों की हड़ताल