छात्रावास मरम्मत के नाम पर घोटाला बिना मूल्यांकन खर्च किए Rs.5 लाख
आदिवासी बालक छात्रावास झिरपा में नया भवन बन रहा है उसके बाद भी अधीक्षक के खाते में डाले गयें पाँच लाख रुपये..
बिना काम कराये अधीक्षक और ठेकेदार ने खा गयें पाँच लाख रुपये…?
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा / जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित आश्रम शाला और छात्रावासों के लिए सरकार ने पिछले साल मार्च 2024 में करोडो का रुपए का बजट जारी किया था। छात्रावास भवनों की मरम्मत, पुताई, सहित अन्य कामों कराने छात्रावास अधीक्षकों के खातों में किश्तों में राशि जारी कर दी गई। लेकिन धरातल पर काम ही नहीं कराया गया और ठेकेदार से मिलीभगत कर राशि निकल ली गई लागत । अधीक्षक ने बिलों के भुगतान में नियमों को ही दर किनारे कर दी। कार्यों का मूल्यांकन कराए बिना ही लाखों रुपए के बिलों का भुगतान कर दिया गया है। जिससे जनजाति विभाग द्वारा कराए इन कामों में फर्जीबाड़ा सामने आ रहा है। क्योंकि जब छात्रावास का नया भवन कंप्लीट हो गया है तो ऐसे छात्रावास में राशि क्यों डाली गई। वहीं संबंधित कामों की जानकारी मांगने पर विभाग के अधिकारी टालने की कोशिश कर रहे हैं।
जनजाति विभाग कार्यालय में बाबूओं से जानकारी मांगी। किसी ने समय नहीं होने का बहाना बनाया तो किसी ने बाहर होने की बात कही। जबकि सहायक आयुक्त फोन तक नहीं उठा रहे। अधिकारियों की संदिग्धता नजर आ रही है। यहां बिना मूल्यांकन के बिलों का भुगतान कर देने से छात्रावास अधीक्षक, विभाग के अधिकारी जांच की जद में आ गए हैं।
मच्छर जाली लगाने दी राशि..
छात्रावास के कार्यों के लिए टुकड़ों में जारी की राशि
छात्रावास बिल्डिंग की खिड़कियों में जालियां लगाना, पुताई का काम, भवन मरम्मत, बिजली फिटिंग, कराने सहित अन्य कामों के लिए पाँच लाख की राशि जारी की। जबकि आदिवासी बालक छात्रावास झिरपा विकासखंड तामिया में काम ही नहीं हुआ है मरम्मत के नाम पर हेराफेरी की गई है
अधीक्षक ने कहा- बिलों का भुगतान किया, सहायक आयुक्त ही बता सकेंगे
आदिवासी बालक छात्रावास झिरपा में मार्च 2024 में अधीक्षक राकेश रौतिया सर पदस्थ थे। मैं अभी जुलाई से आया हूं, उन्होंने क्या काम कराया नहीं कराया मुझे नहीं मालूम । जबकि विभाग की इंजीनियर ऑफिस की टेबल पर बैठकर करते हैं मूल्यांकन कभी भी फील्ड पर नहीं जाते है,।
इस बारे में सहायक आयुक्त मरकाम ही बता सकेंगे। वहीं सूत्रों का कहना है कि जिलें में संचालित छात्रावासो में दो सालों में छात्रावास मरम्मत के नाम पर 6 करोड रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई थी और धरातल पर जाकर देखा जाए तो इन छात्रावास में मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है, जबकि मौके पर कुछ नहीं हुआ है।कई हॉस्टल के टॉयलेट के गेट तक टूटे हुए हैं। पुताई भी नहीं हुई। मरम्मत नजर नहीं आ रही। बिजली के तार भी झूल रहे हैं। हॉस्टल में टॉयलेट के टूटे गेट, कागजों में मरम्मत कर भुगतान कर दिया गया।
बिना टेंडर के छात्रावास एवं आश्रम शालाओं में हो रही है सामग्री सप्लाई..?
जनजाति कर विभाग द्वारा संचालित छात्रावास एवं आश्रमों में लगातार लाखों रुपए की सामग्री सप्लाय में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहने वाला जनजाति कार्य विभाग छात्रावास/ आश्रम में मरम्मत के नाम में आई करोड़ों की राशि में बिना निर्माण के राशि निकालना के मामले में फिर विवादों में नजर आ रहा है विभाग द्वारा कराए गए छात्रावास मरम्मत का काम कई सवाल खड़े कर रहा है। आखिर अधीक्षक ने ठेकेदार को किसके कहने पर बिना मरम्मत कार्य के राशि का भुगतान लगातार किया गया था, जबकि छात्रावास एवं आश्रम में जो काम हुआ ही नही है उसका भी भुगतान किया गया है, जिले में कई छात्रावास ऐसे है जंहा नई बिल्डिंग बन रही है या कई छात्रावासों जो एक दो साल पहले ही बिल्डिंग बनकर तैयार हुई है तो फिर ऐसे छात्रावास आश्रम शाला में मरम्मत के नाम पर 5 लाख क्यों डाले गए यह एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है…?
टीप- अगली खबर में देखें 50 लाख रुपये से कहा हुई मरम्मत..
रिपोर्ट ठा. रामकुमार राजपूत
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