Home STATE लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के नाम पर अधिकारी और ठेकेदार काट रहे चांदी…

लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के नाम पर अधिकारी और ठेकेदार काट रहे चांदी…

माचागोरा डैम में बनी लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट फिर विवादों में….

लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के नाम पर अधिकारी और ठेकेदार काट रहे चांदी…

लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के ठेकेदार ने चार साल से खेतों में पाईप डालकर भूलें…

लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के ठेकेदार ने डाला धटिया पाईप जगह जगह टूट रहे है…लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के नाम पर अधिकारी और ठेकेदार काट रहे चांदी…

आज भी दर्जनों गांव में लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट से पानी नहीं पहुंचा… आपस में लड़ रही किसान….

छिदंवाडा /जल संसाधन विभाग के अधिकारी ठेकेदारों पर मेहरबान नजर आ रहे हैं इसलिए तो 4 साल पहले जो लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के तहत किसानों को खेतों में जो पाइपलाइन डाली गई हैं उसमे भी पानी नहीं आ रहा हैं, लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट के ठेकेदार सिर्फ दो महीना जब किसानों की फसल की बोनी हो जाती है तब पाइपलाइन का काम चालू करने की बात करते है और किस उसके बाद भूल जाते है, हर साल ऐसा ही होता है जिसके कारण आज तक माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं हुआ है और किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है, जिन किसानों के खेतों से माइक्रो इरिगेशन के पाइपलाइन गई है उनसे पानी निकलता है तो किसान व्यवस्थाएं करके अपने खेतों में पानी लेते हैं तो जल संसाधन विभाग फॉर माइक्रो इरिगेशन के ठेकेदार किसानों पर ही केस दर्ज करने की धमकी देते हैं जबकि गर्मी के समय माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट के ठेकेदार कभी इन पाइप लाइनों को ठीक करने की नहीं सोचते भी नहीं, तो गलती किसकी है किसानों क्या अपने खेतो में पानी भर जाने दे,माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट के ठेकेदार समय में कभी भी काम पूरा नहीं कर रहे हैं जिसके कारण किसानों को खेतों में पानी नहीं मिल पा रहा है, छिंदवाड़ा की माचागोरा डैम में बनी लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम का प्रोजेक्ट विवादों में चल रहा है ।
काम हुआ नहीं और ठेकेदार को कर दिया गया भुगतान…

जल संसाधन विभाग छिंदवाड़ा के अधिकारी द्वारा पहले भी कुछ वर्षों में विवादित ठेकेदार को बिना काम के नाम पर करोड रुपए का भुगतान कर दिया गया है,दूसरी बार भी इसी प्रोजेक्ट में काम करने वाले ठेकेदार क़ो करोड़ का भुगतान किए जाने पर जांच चल रही है। वहीं संबंधित कार्यपालन यंत्री को निलंबित भी किया जा चुका है…

करीब 118 करोड़ की लागत से बनने वाली पेंच माइक्रो इरिगेशन सिस्टम परियोजना शुरू से ही विवादों से घिरी रही है। पेंच-2 प्रोजेक्ट का टेंडर एचईएस कंपनी को दिया गया था जिसको पाइप लाइन के नाम पर करोड़ का पूर्व में भुगतान कर दिया गया था परंतु शिकायत होने पर जांच की गई तो वहां पर कुल ही पाइप पाए गए जिनकी क्वालिटी भी मानक के अनुसार नहीं थी । जांच में तथ्य सामने आने के बाद संबंधित कार्यपालन यंत्री को निलंबित भी कर दिया गया था और इसकी जांच उच्च स्तर से कराई जा रही थी लेकिन अधिकारियों की मिली भगत से उन्हें अमानक पाइप को किसानों को खेत में डाल दिया गया, जिसके कारण आज पाइप जगह-जगह से टूट रहे हैं, और आज भी अधिकारी की मिलीभगत से सब काम चल रहा है या कहो अधिकारी आज भी चाँदी काट रहे है…

घटिया क्वालिटी के पाइपलाइन बिछाएगी….

माइक्रो एजुकेशन प्रोजेक्ट में ठेकेदार द्वारा जिन पाइप का इस्तेमाल किया गया है वह भी घटिया क्वालिटी के उपयोग किए गए हैं क्योंकि कई वर्षों तक यह पाइप लाइन पड़े रहे,सप्लाई किए गए पाइप लोहे एवं प्लास्टिक के हैं और अधिक समय तक रखे रहने पर लोहे में जंग लग गई थी उसके बाद भी उसी पाइप क़ो लगा दिया गया था,प्लास्टिक के पाइप भी धूप में खराब हो चुके थे

काम के समय नये पाइप खरीदने का भी प्लान…

अधिकारियों के सामने ठेकेदार ने यह बात स्वीकार किया था कि जब काम चालू होगा तो इन पाइप को बदल दिया जाएगा लेकिन अधिकारी एवं ठेकेदार की मिली भगत से इन्हीं पाइप को डाल दिया गया जिसके कारण आज पाइपलाइन जगह-जगह टूट रही, जब इन पाइप का वास्तव में उपयोगी नहीं थे तो क्यों डाला गया,पाइप किसी काम के नहीं थे । क्योंकि ये पाइप रामगढ़ और तुनवाड़ा और कलकोटी के खुले मैदानों में कई वर्षों तक पड़े रहे थे । और सारे के सारे जंग लगने से खराब हो चुके थे । अधिकारी भी इस बात को कबूल कर रहे हैं कि वह पुराने पाइप काम में नहीं लिए जाएंगे। नए पाइपों से ही परियोजना को पूर्ण किया जाएगा । ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर खराब पाइप को क्यों लगाया गया और शासन की करोड़ों की योजना को पलीता लगाया गया,करोड़ों रुपए के शासकीय धन की बर्बादी का जवाबदार कौन है।

रिपोर्ट -ठाकुर रामकुमार राजपूत
मोबाइल -8989115284