पढाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं ..
अधीक्षक नहीं रहतें आश्रम शाला में धंटलिगा में
सहायक आयुक्त से शिकायत के बाद भी आज तक नहीं हुई कार्यवाही…
मध्य प्रदेश के छिदंवाडा जिलें में इन दिनों जनजातीय कार्यविभाग में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शाला में आदिवासियों के बच्चों की मौत के जिम्मेदार मंजे से नौकरी कर रहे है । प्रदेश के मुख्यमंत्री एंव जनजाति विभाग के मंत्री को इन आदिवासियों के बच्चों की मौत कैसे हुई इसकी भी जाँच करने की नहीं सोची जबकि छिदंवाडा जिलें में छात्रावास में रहने करने वाले तीन छात्रों की मौत हो चुकी है लेकिन अभी भी जनजाति विभाग के मंत्री ने कभी इसकी सुंध नहीं ली।फिर देखवा के लिए भोपाल की टीम पहुंच कर जांच कराई लेकिन उसकी जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई ना ही दोषियों पर आज तक कोई कार्रवाई हुई है । छिदंवाडा जिलें में आदिवासी के बच्चे इन लापरवाह अधीक्षकों के कारण लगातार इनकी मौत हो रही है। जब कि राज्य एंव केन्द्र सरकार आदिवासी बच्चों के लिए प्रतिवर्ष करोड़ो का बजट आवंटित कर रही है ताकि इन आदिवासी बच्चों का विकास हो सक इनको अच्छी शिक्षा मिल साके इसके लिए सरकार ने आदिवासी अंचल में बच्चों को शिक्षा की गुणवत्ता हेतु छात्रावास एवं आश्रमों की व्यवस्था की गई है लेकिन छिंदवाड़ा जिले में इन छात्रावास एवं आश्रमों में अधीक्षकों द्वारा बच्चों के साथ इतना ज्यादा दुर्व्यवहार किया जा रहा है। आखिर छिदंवाडा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में ही छात्रों की मौत क्यों हो रही है ।आखिर निगरानी करने वालें कहा है। आज जिलें में कई आदिवासी माता पिता के के घर का आंगन सुना हो गया इसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी है ,क्यों नहीं हो रही है जिम्मेदारों पर कार्रवाई ..!
सुरक्षा के नहीं है इंतजाम…
जिलें के जनजातीय कार्यविभाग में इन दिनों करोड़ों का खेल चल रहा है। छात्रावास /आश्रम शालाओं में मरम्मत के नाम पर लाखों की हेराफेरी ठेकेदार एंव विभाग के अधिकारी कर रहे है । लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त बच्चों की सुरक्षा की ओर कभी ध्यान नहीं देते है । आज जिलें के किसी भी कान्या छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे नहीं है। जबकि सीसीटीवी कैमरे के नाम पर लाखों खर्चे हो गयें लेकिन आज जिलें में संचालित किसी भी छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे नहीं है। जिसके कारण अधीक्षक मनमानी एंव लापरवाही कर रहे है। इन बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है ।क्योंकि जिलें में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में पदस्य एक भी अधीक्षक एंव अधीक्षिका रात्रि में.छात्रावासों में नहीं रहती है । कोई निरीक्षण करके देख लीजिए..
छात्र/छात्राओं के छात्रावास में नहीं मिलती स्वास्थ्य सुविधाएं..?
जिलें में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में कभी भी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं देता है .जिसके कारण आज अधिकांश छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में बच्चों बीमार है .इसकी देखरेख वाला कोई नहीं है। आज जिलें के ग्रामीण अंचलों के आश्रम एंव छात्रावास में देख दीजिए आप को बच्चों बीमार मिल जायेंगे । क्योंकि यंहा ना बच्चों को स्वच्छ पानी मिल रहा है ना अच्छा खाना जिसके कारण आज आश्रम शाला एंव.छात्रावास के छात्र/छात्राओं बेहद कमजोर एंव रोग से ग्रसित मिल रहे है । जिसका उदाहरण तामिया विकासखंड में देखने को मिल जायेगा ।लेकिन जिले में बैठे सहायक आयुक्त की तारीफ करना चाहिए कि वह कभी भी इन छात्रावास एवं आश्रम शालाओं का निरीक्षण नहीं करते और तो और जिन्हें निरीक्षण के लिए रखा गया है । वो भी जिला आफिसों में बैठकर आपनी नौकरी कर रहे है
धंटलिगा बालक आश्रम में कई छात्र बीमार देखने वाला कोई नहीं बच्चों की जिदंगी भगवान भरोसे..?
जिले के तामिया विकासखंड में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं की हालात बेहद ही चिंता जनक है यहां पर अध्यनरत छात्र कई दिनों से बीमार पड़े हैं लेकिन इनकी देखरेख करने वाले अधीक्षक कई कई दिनों तक आश्रम शाला से लापता रहते हैं। जिसकी शिकायत सहायक आयुक्त से करने के बाद भी ऐसे लापरवाह अधीक्षक पर कोई कार्यवाही नहीं हुई । और जाँच करने वाले क्षेत्रसंयोजक तामिया के एक रेस्टोरेंट में कॉफी पीकर वापस आ जाते है। लेकिन उनकों आदिवासियों के बच्चों को देखने की फुर्सत नहीं मिली इसलिए तो कहते हैं अंधेर नगरी चौपट राजा …?
छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में नहीं मिलता गुणवत्ता युक्त भोजन एंव नास्ता..
जिलें में इन दिनों छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में बच्चों को कैसा भोजन एंव नास्ता मिल रहा है देखने वाला कोई नहीं है ।जिसके कारण अधीक्षक / अधीक्षिका लापरवाह हो गयें है ।चपरासियों के भरोसे चल रहे है छात्रावास एंव आश्रम शाला क्योंकि अधीक्षक महोदय तो छात्रावासों में रहते ही नहीं चपरासियों को जैसा लगता है बच्चों को भोजन एंव नास्ता देते है । लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि में कभी सुबह किसी छात्रावास एव आश्रम शाला का निरीक्षण करु जिससें जमीनी हकीकत पता चल साकें लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ..?
आदिवासी बालक आश्रम धंटलिगा में पढाने वाला एक भी शिक्षक नहीं …
छिदंवाडा जिलें के तामिया विकासखंड में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित आश्रम शालाओं में बच्चों का शिक्षा का स्थर बेहद ही खराब है क्योंकि इनको पढाने वालें शिक्षक ही नहीं है। जो जिनकी यंहा पोस्टिंग है वो आश्रम शाला आते ही नहीं है । अब सोच सकतें हो जब अधीक्षक ही दो चार दिन में एक दिन आता है तो किसी स्थिति होगी । जिलें के कलेक्टर से लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एंव राज्यपाल महोदय भी इन आदिवासी ,भारिया जनजाति के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल साकें इसकी बात कही है। लेकिन जनजातीय कार्यविभाग ने इसे कभी गंम्भीरता से नहीं लिया है। जिसके कारण आज आदिवासी भारित समाज के बच्चों का भबिष्य अंधकार में है।
जबकि मध्यप्रदेश सरकार इन आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए करोड़ों का बजट प्रतिवर्ष दे रही है सूत्रों की मानें तो इसमें सबसे अधिक लापरवाही जिला में बैठे सहायक आयुक्त की लापरवाही है। क्योंकि उनका नियंत्रण ना ही अधीक्षक पर है ना ही मंडल संयोजक ना ही क्षेत्रसंयोजक पर है ।यंहा सब भगवान भरोसे चल रहा है या कहो सब कमीशन का खेल चल रहा है। सूत्रों की जानकारी के अनुसार क्षेत्रसंयोजक एंव मंडल संयोजक द्वारा अधीक्षकों से प्रति माह अपना सेवा शुल्क ले लिया जाता है। उसके बाद वो कभी भी इन छात्रावास एवं आश्रमों का निरीक्षण नहीं करते इसी के कारण आज जिलें के छात्रावास एंव आश्रम शालाओं की ऐसी स्थिति है।
रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
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