आदिवासी बच्चों के निवाले पर डकैती के सबूत….
कहीं अफसर, कहीं नेताओं तो कहीं सिस्टम के नाम पर भ्रष्टाचार…..
छिदंवाड/ यह भी एक विचित्र सत्य है कि मध्यप्रदेश के छिंदंवाडा जिलें में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब जमीनी स्तर पर आदिवासी बच्चों के निवाले से कमीशनखोरी का मामला बार बार उजागर हुआ हो। और बड़ी बात यही है कि इस तरह के मामलो को उजागर करने के पीछे आदिवासी विकास के सिस्टम का सबसे अंतिम कर्मचारी का योगदान है।
छिदंवाडा जिलें की यह विचित्र स्थिति है कि जिलें के विधायक आदिवासी, आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री आदिवासी, सहायक आयुक्त आदिवासी, मंडल संयोजक आदिवासी और सिस्टम की वह कड़ी यानी आश्रम शाला और हास्टल के अधीक्षक जिनके कंधे पर आदिवासी बच्चों का भविष्य है वे भी ज्यादातर आदिवासी ही हैं फिर भी निवाला छिना जा रहा है वह भी आदिवासी बच्चों का। ऐसे कई मामला छिदंवाडा जिले से सामने आया।

सूत्रों की जानकारी के अनुसार अधीक्षक से मंडल संयोजक एंव क्षेत्रसंयोजक खुलकर पैसे की मांग करतें है । यदि सूत्रों की बातों को यदि कसौटी पर परखा जाए तो उनकी बातें पूरे सिस्टम की पोल खोलने वाला है। क्योंकि इस काम के लिए मंडल संयोजक एंव क्षेत्र संयोजक लगें हुए है । क्योंकि मंडल संयोजक एक ऐसी कड़ी है जिसे ऐसे आश्रम, छात्रावासों के अधीक्षकों से वसूली का जिम्मा दिया गया है। जिसका हिस्सा विभाग के उच्च अधिकारी तक हिस्सा जाता है। जो हर महिने अधीक्षकों से बसूली होती है। क्योंकि नाम नहीं छापने पर अधीक्षकों ने साफ बताया है कि हर महिनें हम लोगो को तीन हजार कभी दो हजार देना पड़ता है ।क्योंकि वसूली का टार्गेट दिया गया है। यदि अधीक्षक यह राशि नहीं देंते तो हटानें की धमकी दी जाती है। सूत्रों की बात गौर करने लायक है जब वह बता रहे है कि क्या इस तरह की राशि सभी को देना पड़ता है। मंडल संयोजक एंव क्षेत्रसंयोजक ही स्वीकारोक्ति सिस्टम का असली पोल है। जबकि छिंदंवाडा जिले के आदिवासी छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में इसी कारण अधीक्षक की लापरवाही चरम पर है। कभी भी अधीक्षक छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में रात्रि के समय नहीं रहते है ।कई अधीक्षक तो दो दो दिनों तक छात्रावास एंव आश्रम शाला नहीं पहुंचते है ।कई आराम से 12 बजें के बाद पहुंचते है।
जिलें के आदिवासी अंचलों के स्कूलों में कई दिन से ताला लगा रहा। लेकिन इनकी निगरानी करने वालें कभी इसका निरीक्षण नहीं करतें है। जिलें के कई स्कूल तो गोशाला तो कहीं पंचायत भवन में बच्चों पढ़ रहे थे। कई स्कूलों में तो बारिश के तिरपाल लगाकर बच्चों को पढ़या जा रहा है। जनजातीय कार्यविभाग इन दिनों छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में सामाग्री सप्लाई को लेकर भी बड़ी चर्चा हो रही है। एक नेता जी के आदमी इन दिनों पूरें छात्रावास में सामाग्री सप्लाई कर रहा है। जिसमें सहायक आयुक्त की भी मौन स्वीकृति है। एक क्षेत्रसंयोजक पूरें अधीक्षकों को फोन में दबाव बनाकर सप्लाई करा रहा है?
छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में मरम्मत के नाम पर लाखों की हेराफेरी….

मध्यप्रदेश सरकार आदिवासी बच्चों को अच्छी मूलभूत सुविधाएं मिल साकें इसलिए उन्हें छात्रावास में रहकर पढ़ने के लिए हर सुविधाएं देती है ताकि आदिवासी समाज के बच्चों भी मुख्य धारा से जुडे । जिसके लिए सर्वसुविधायुक्त छात्रावास एंव आश्रम शालाओं संचालित कर रही है और भवनों की देखरेख के लिए हर साल करोड़ों रुपये देती है ।ताकि छात्रावास भवन सुरक्षित रहे । लेकिन जिलें में जनजातियों कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं की हालत किसी से छुपी नहीं है। कई छात्रावास एवं आश्रम शालाओं की स्थिति जर्जर हो चुकी है लेकिन जिलें में बैठे अधिकारी एंव ठेकेदारों की मिलीभगत से हर साल जनजातीय कार्यविभाग छात्रावास एंव आश्रम शालाओं की मरम्मत के नाम पर करोडों रुपयें मरम्मत के नाम पर निकाल कर बंदर वाट कर देते हैं। और किसी की पता ही नहीं चलता है।सूत्रों की जानकारी के अनुसार इन दिनों जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त एंव ठेकेदार के बीच बडा खेल चल रहा है । पिछले दो बर्षा पहलें मरम्मत के नाम पर फर्जी बिलों के नाम पर ठेकेदार के खातों में भुगतान किया जा रहा है। इसमें खुलकर कमीशन ली जा रही है। जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने बर्ष 2024 में छात्रावास एंव आश्रम शालाओं की मरम्मत के लिए ये राशि डाली गई है। लेकिन जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त, बाबूओं एंव ठेकेदार की सांठगांठ से पुराने बिलों के नाम पर बडा खेल चल रहा है।
अधीक्षकों पर दबाव बनाकर अधीक्षक से लियें जा रहे है चैक….
जिलें में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में मरम्मत के लिए मार्च 2024 में 51छात्रावासों में मरम्मत के लिए पैसे डालें गयें है ।लेकिन किसी भी छात्रावास में इस बर्ष काम नहीं कराया गया है ।बल्कि अधीक्षकों ने सहायक आयुक्त के कहने पर सबंधित ठेकेदारों के नाम पर चेक काट कर दे दिया है। जबकि इस बर्ष किसी भी छात्रावास में मरम्मत के कार्य नहीं हुयें है। जबकि छात्रावासों आधीक्षकों के खातें में इस बर्ष मरम्मत के लिए राशि डाली गई है। तो फिर पुराने काम के काम पर ठेकेदारों को कैसे हो रहा भुगतान..?
छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में मूलभूत सुविधाओं से दूर…

जिलें में इन दिनों आदिवासी छात्र -छात्राओं के साथ अन्याय हो रहा है । वो आज मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे है ..ऐसे में यदि छिदंवाडा जिलें के आदिवासी बच्चों की शिक्षा, सुविधा से जुड़ी व्यवस्था पर इस तरह के जमीनी भ्रष्टाचार के मामले क्या नई चुनौती नहीं साबित होंगी? निश्चित तौर पर इसके लिए जवाबदेही की अपेक्षा की जानी चाहिए। सारे आश्रम, छात्रावास और आवासीय विद्यालयों में शैक्षणिक सामग्री और भोजन की गुणवत्ता से लेकर उनकी व्यवस्था से जुड़े हर मसलों पर गहन निगरानी की दरकार है। बेहतर होगा कि जिस तरह से राजस्व विभाग में आमूल चूल परिवर्त किया गया है उसी तर्ज पर कुछ बड़ा करना ही चाहिए..?
जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में तीन छात्रों की मौत के बाद सुंध…नहीं ले रहा विभाग..?

छिदंवाडा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में तीन आदिवासी समाज के बच्चों की मौत के बाद भी जिलें में बैठे सहायक आयुक्त ने लापरवाही करने वालों पर आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं किया है ।सिर्फ एक दो महिनें निलबिंत फिर सहायक आयुक्त की मेहरबानी से निलबिंत अधीक्षक को बहाल कर दिया जाता है। लेकिन उन माँ बापों पर क्या बीती होगी जिनके आंखों के तारे आज इस दुनिया में नहीं है। आज भी कई छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में बच्चों बीमार देखे जा सकते है लेकिन उनकी सुंध कोई नहीं ले रहे है..?
रिपोर्ट – ठा.रामकुमार राजपूत
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