अपात्र अधीक्षक के हाथों में खेल परिसर तामिया की कमान..!
छिदंवाडा– जिलें के आदिवासी समाज के बच्चों को मुख्यधारा से जोडने के लिए तामिया ब्लॉक में खेल परिसर 100 सीटर चालू किया गया जंहा रहकर खेल के साथ साथ आदिवासी समाज के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल साकें ।इसलिए तामिया में आदिवासी विभाग द्वारा खेल परिसर का संचालन किया जा रहा है। लेकिन यंहा आदिवासी बच्चों के नाम पर हर साल योजनाओं के नाम पर विभागीय अधिकारी एंव अधीक्षक की सांठगांठ से लाखों का खेल होता है। इस खेल परिसर के अधीक्षक बनाने के लिए राजनेताओं का आशीर्वाद एंव लाखों का सेवा शुल्क देने के बाद अधीक्षक बनाया जाता है। ऐसा ही देखने को मिला जंहा एक खेल परिसर एक अपात्र अधीक्षक के हाथों में हैं। दरअसल, खेल परिसर में अधीक्षक का प्रभार उच्च श्रेणी शिक्षक को दिए जाने की पात्रता है लेकिन वर्तमान में यहां पर अपात्र (पीटीआई ) प्राथमिक शिक्षक को प्रभार दिया गया है। वर्तमान सहायक आयुक्त सतेंद्र सिंह मरकाम ने एक अपात्र शिक्षक को आदिवासी खेल परिसर तामिया में शैलेश राय को अधीक्षक का प्रभार सौंपा है। जो पहलें भी यंहा अधीक्षक थे तब निलंबित कियें गयें थे ।लेकिन राजनेताओं की मिलीभगत से खेल परिसर में अधीक्षक बन बैठे। जबकि खेल परिसर में अधीक्षक का पद उच्च श्रेणी शिक्षक को खेल परिसर अधीक्षक का प्रभार दिये जाने का पात्र है। लेकिन सहायक आयुक्त ने कायदे कानून को ताक पर रखकर (पीटीआई) प्राथमिक शिक्षक शैलेश राय को अधीक्षक का प्रभार दिया है
खेल परिसर में अधीक्षक का मलाईदार पद है ये..
तामिया में 100 सीटर आवासीय खेल परिसर के प्रत्येक छात्रों का भरण पोषण की राशि प्रतिमाह तीन हजार रुपए मिलते हैं। 100 छात्रों की राशि 3 तीन लाख प्रतिमाह है। परिसर में प्रतिदिन 50 से 75 प्रतिशत ही छात्र उपस्थित रहते है। जिसमें अनुपस्थित छात्र की उपस्थित दर्ज की जाती है। वही भोजन एवं नाश्ता भी गुणवत्तापूर्ण नहीं दिया जाता। इस प्रकार छात्रों का शोषण कर हजार रुपए की बचत करते हैं।और यंहा पदस्य अधीक्षक हर साल लाखों का खेल करते है।
सहायक आयुक्त की मेहरबानी से हुई नियुक्ति..
सूत्रों की जानकारी है कि यंहा अधीक्षक बनने के लिए लाखों रुपए की दक्षिणा देना पड़ता है अब यंहा अधीक्षक का पद मिलता है । लेकिन लगता है सहायक नियम कानून को दरकिनार रखकर अधीक्षक की नियुक्ति कर देते है। जबकि खेल परिसर अधीक्षक का संचालन उच्चश्रेणी शिक्षक करता है। लेकिन यंहा विगत तीन चार सालों से अपात्र सहायक शिक्षक को परिसर अधीक्षक का प्रभार दिया गया है।
खेल परिसर तामिया में मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों का खेल..
आदिवासी बहुल तामिया में स्थित जिले का एकमात्र खेल परिसर में रंगरोगन और मरम्मत के कार्य के लिए हर साल लाखों का बजट दिया जा रहा है। लेकिन यंहा मरम्मत और रंगरोगन का कार्य सिर्फ कागजों में ही चलता है ..जमीनी हकीकत में यंहा कोई काम नहीं होता है। विभागीय अधिकारियों एंव ठेकेदारों की सांठगांठ से बर्षों से आदिवासी बच्चों के नाम पर हेराफेरी हो रही है
सूत्रों की जानकारी के अनुसार बर्ष 2022 में भी खेल परिसर मे मरम्मत एंव रंगरोगन का कार्य लगभग 20 लाख से अधिक का मरम्मत कार्य कराया गया था मरम्मत ठेका पद्धति से किया गया था। लेकिन इस पूरे कार्य में अधीक्षक की एवं सहायक आयुक्त आदिवासी, प्राचार्य की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है।वहीं 2024-25 में भी खेल परिसर के अधीक्षक के खातों में फिर 50 लाख की राशि मरम्मत के नाम पर डाली गई है। और अब फिर खेल परिसर का भवन में दिखावा के लिए पुताई का काम चल रहा है। लेकिन क्या खेल परिसर भवन में 50 लाख रुपये की जरूरत थी ।जबकि एक साल पहले ही 20 लाख रुपये से मरम्मत एंव पुताई का कार्य किया गया था ।लेकिन फिर ना जानें किसका भला करने के लिए सहायक आयुक्त महोदय ने खेल परिसर अधीक्षक के खातों में 50 लाख रुपये डाल दियें है। या फिर उनका ही भला होगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा। खेल परिसर तामिया में हर साल मरम्मत के नाम पर राशि डाली जाती है । और फिर ठेकेदार विभागीय अधिकारी एंव अधीक्षक की सांठगांठ से कागजों में मरम्मत हो जाती है। और संबंधित ठेकेदार को भुगतान कर दिया जाता है। अब देखना है 50 लाख का भुगतान में कितनी हेराफेरी होती है और शासन को लाखों का चूना कैसे लग दिया जाता है।
तामिया में स्थित आदिवासी क्रीड़ा खेल परिसर में 100 सीटर खिलाडिय़ों के रहने की व्यवस्था है साथ ही उन्हें अन्य खेल विधाओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए सरकार ने आदिवासी बच्चों के लिए खेल परिसर संचालित कर रही है। लेकिन आदिवासी बच्चों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने के कारण उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में पीछे रह जाते हैं ।
जिम्मेदार अधिकारी गंभीर से नहीं लेतें है..
खेल परिसर तामिया में 100 सीटर आदिवासी खिलाडिय़ों के लिए संचालित हो रहा है ।लेकिन फिर भी यंहा आदिवासी बच्चों उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। जिलें में बैठे अधिकारी कभी इस और कोई ध्यान नहीं देते है।यंहा पदस्य पीटीआई शिक्षक को अधीक्षक का प्रभार दे दिया गया है ।जो कभी भी बच्चों को मेन्यू के हिसाब से भोजन नहीं दिया जाता है।जबकि प्रत्येक छात्र के भरण पोषण की राशि प्रतिमाह तीन हजार रुपए मिलते हैं। 100 छात्रों की राशि 3 लाख प्रति माह है। परिसर में प्रतिदिन 50 से 75 प्रतिशत ही छात्र उपस्थित रहते हैं जिसमें अनुपस्थित छात्र की उपस्थिति दर्ज की जाती है वहीं भोजन एवं नाश्ता भी गुणवत्तापूर्ण नहीं दिया जाता इस प्रकार छात्रों का शोषण कर हजारों रुपए की बचत करते हैं और यहां पदस्य अधीक्षक हर साल 10 लाख रुपये का खेल करता हैं। कई बार पहले भी बच्चों ने शिकायत किया है।लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त ध्यान नहीं देते है।
आधे सत्र के बीच हो रहा खेल परिसर में मरम्मत..?
आदिवासी बहुल तामिया में स्थित जिले का एकमात्र खेल परिसर में 50 लाख रुपयें से फिर अचानक शुरू हुए रंगरोगन और मरम्मत के कार्य ने यहां रहने वाले कक्षा छठवीं से बारहवीं के खिलाड़ी छात्रों को कभी परेशानी बढ़ा दी है। मरम्मत कार्य होने से छात्रों को रहने में बहुत परेशानी हो रही है। क्योंकि यंहा ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा रात के समय मरम्मत पुताई करते रहते है। मरम्मत पुताई कर होने के कारण लंच टेबल पुताई के लिए उपयोग किया जा रहा है। मरम्मत सामग्री में सीमेंट सहित अन्य सामग्री की धुल के बीच खिलाड़ी रह रहे हैं। ऐसे में खिलाड़ी छात्र पढ़ नहीं पा रहे हैं। वहीं उनके पालक भी खासे चिंतित हैं। पालकों का कहना है कि अगर हम आर्थिक रूप से मजबूत होते तो अपने बच्चों को किसी शहर या बड़े स्कूल में शिक्षा दिलवा देते, लेकिन आदिवासियों के बच्चों की केवल भाषणों योजनाओं में हितों की बात होती है। वास्तविकता कुछ और है। खेल परिसर मे काम करा रहे ठेकेदार के आदमी ने बताया कि लगभग 50 लाख से अधिक का मरम्मत कार्य कराया जा रहा है। आदिवासी विभाग के माध्यम से हो रहे इस कार्य का ठेकेदार से कराया जा रहा है।जनजातीय कार्यविभाग के अधिकारियों के निर्देश पर कार्य कराया जा रहा है।ये सब मरम्मत कार्य ठेका पद्धति से हो रहा है। लेकिन इस पूरे कार्य में अधीक्षक की एवं सहायक आयुक्त , प्राचार्य की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में छात्र जहां निवासरत हैं। पढ़ाई भी वहीं करते हैं, लेकिन मरम्मत कार्य ऐसे समय कराया जा रहा है जब आधा सत्र निकल गया है।छात्रों की पढ़ाई बाधित होती है जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही ही प्रदर्शित कर रही है। खेल परिसर में ठेकेदार के लोगो ने अपनी मनमर्जी से खेल परिसर की टेबल कुर्सी, खाने की टेबल स्टूल का पुताई में इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं मजदूरों को खेल परिसर का ही खाना दिया जा रहा है। खेल परिसर का सारा फर्नीचर पुताई कार्य से बर्बाद हो रहा है, ये कार्य छात्रों की छूटी के समय मार्च माह में मरम्मत कार्य करना चाहिए लेकिन मजे की बात है कि लगभग 50 लाख से ऊपर का मरम्मत कार्य खेल परिसर में चल रहा है
खेल परिसर तामिया में फिर हुआ 50 लाख की रंगरोगन …?
रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
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