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ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी राशन दुकानों में चावल की हेराफेरी का गोरखधंधा जोरों..

ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी राशन दुकानों में चावल की हेराफेरी का गोरखधंधा जोरों..

सरकारी राशन दुकानों के सामने दलाल सक्रिय…

छिदंवाडा- जिलें के चौरई विकासखंड में इन दिनों सरकारी राशन दुकानों में चावल की हेराफेरी का गोरखधंधा जोरों से चल रहा है। हालात ऐसे हैं कि सरकारी राशन दुकानों के सामने चावल दलाल सक्रिय रहते हैं, जो यहां आने वाले हितग्राहियों से चावल खरीदते हैं और इसे राइस मिलर्स को बेचते हैं। कुछ राशन दुकानों के सेल्समैन ही इसका राशन खरीद रहे हैं। खाद्य विभाग के अधिकारी को बकायदा इसकी जानकारी रहती है। लेकिन खाध निरीक्षक एंव दुकान संचालक की सांठगांठ के कारण कभी भी खाध निरीक्षक इन दुकानों की जाँच नहीं करते है।

सांकेतिक चित्र

चौरई विकासखंड की पीडीएस दुकानों में सरकारी चावल की बड़ी तादात में अफरा – तफरी हो रही है। अफरा – तफरी करने वालों में कोई और नहीं बल्कि उपभोक्ता व पीडीएस दुकान संचालक शामिल हैं। उपभोक्ता केवल दुकानों में थंब (अंगूठा) लगाने ही आ रहा है। दुकान संचालक 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से सरकारी खाते में राशन वितरण कर देता है और 15 रुपए के हिसाब से रुपए दे देता है। इसके बाद राशन दुकान का संचालक थोक के भाव में राशन को किसी बडे व्यापारी या राइस मिलर्स के पास बिक्री कर देते हैं। यह सिस्टम किसी एक दुकान का नहीं है बल्कि अधिकांश दुकानों में यही ढर्रा चल रहा है। एक ओर राशन कार्ड धारक को प्रति किलो 15 रुपए की आमदनी हो रही है तो वहीं राशन दुकान का संचालक भी प्रति किलो चार से पांच रुपए मुनाफा कमा रहा है।

सरकार का चावल वितरण सिस्टम हर वर्ग के लिए मुनाफे का सिस्टम..।

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सरकार का चावल वितरण सिस्टम हर वर्ग के लिए मुनाफे का सिस्टम हो गया है। सरकार को चावल वितरण सिस्टम में मुनाफा कम बल्कि नुकसान अधिक उठाना पड़ रहा है। क्योंकि इसकी राइस मिलों में रिसाइक्लिंग हो रही है। जिस सोसायटी में चावल का वितरण हो रहा है वही सोसायटी संचालक इसकी बिक्री थोक में राइस मिलर्स के पास कर रहे हैं। इसके पीछे प्रत्येक उपभोक्ताओं का हाथ है। क्योंकि उपभोक्ता राशन का उठाव करने के बजाए उसे उसी राशन दुकान संचालकों के पास 15 से 20रुपए में बिक्री कर देते हैं। ऐसा कारोबार 80 फीसदी राशन कार्ड धारक कर रहे हैं। वहीं 20 फीसदी गरीब वर्ग के लोग ही सरकारी राशन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

राशन दुकानों के संचालक ही खरीद लेते हैं चावल..

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चौरई विकासखंड के ग्राम पंचायत बीझांवाडा में सरकारी राशन दुकान संचालित है जहां हितग्राहियों को राशन का वितरण किया जाता है। इसी प्रकार के मेहगोरा, कपुरदा, केदारपुर, पिपरिया मानसिंह में दुकान संचालित है। इन राशन दुकानों के संचालकों द्वारा थंब लगाते वक्त ही ग्राहकों से पूछ लिया जाता है कि कि वह चावल लेगा या पैसा। तब अधिकांश ग्राहक पैसे लेने की बात कहते हैं तो इन दुकान संचालक से सांठगांठ करें दलाल दुकानों के सामने बैठे रहते हैं। ऐसे ग्राहकों को 10 रुपए के चावल को20 रुपए में दुकानों में ही बिक्री कर देते हैं।

20 में खरीदकर व्यापारी या मिलर्स को बेचते हैं 50 रूपये में..

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चावल वितरण के दौरान राशन दुकानों में दलाल सक्रिय रहते हैं, जो ग्राहकों को अच्छी रकम का प्रलोभन देकर उनका चावल खरीदते हैं। ग्राहकों को 20 से 22 रुपए में ग्राहकों का राशन खरीदते हैं। अधिकतर ग्राहक राशन दुकान से चावल उठाते हैं और उसे दलालों के पास बिक्री कर देते हैं। दलाल बड़ी तादात में प्लास्टिक की बोरी और नकदी रकम अपने पास रखे रहते हैं। ग्राहक के राशन दुकान से खरीदे हुए चावल को दलाल खरीदते हैंऔर मौके पर ही नकदी रकम दे देते हैं। इसके बाद दलाल उस चावल को शहर के व्यापारी या राइस मिलर्स को 40 से50 रूपये में बेच देते हैं। उसी चावल को मिलर्स पीडीएस के रूप में सरकार के पास बिक्री करतेहैं। इससे उनकी मिलिंग चार्ज के अलावा अन्य कई तरह के खर्चे की बचत हो जाती है।

ऐसे चलता है मुफ्त से 35 रुपये तक का खेल..

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चौरई विकासखंड के सभी सरकारी राशन दुकानों के सामने राइस मिलर्स एंव व्यापारी के दलालों का डेरा जमा रहता है। करीब 80 प्रतिशत दुकानों के सामने दलाल मौजूद होते हैं, जो पीडीएस से उपभोक्ताओं को फ्री मिलने वाला चावल 20 से 22 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदते हैं और उसे करीब 35/40 रुपये प्रति किलो की दर पर मिलरों को बेच देते ह। फिर यही चावल पालिस और पेकिंग के बाद मिलर्स 60 रुपये किलो में बेचते हैं।

कुंडा क्षेत्र की कौन सी सरकारी राशन दुकान में सेल्समैन का भतीजा चल रहा है दुकान…

जिलें के चौरई विकासखंड में इन दिनों सरकारी राशन दुकान संचालक नयें नये तरीकों से पैसे कमाने में लगें है। सूत्रों की जानकारी के अनुसार कुंडा क्षेत्र की एक सरकारी राशन दुकान का मामला प्रकाश में आया है। जंहा एक सेल्समैन को जो दुकान आंवटित की गई है.वो उसका संचालन आपने भतीजे से करा रहा है।जो पर्जी बनाने के नाम पर हितग्राहियों से पैसे की वसूली कर रहा है !

इस तरह की कार्रवाई का है प्रविधान…

सरकार ने नियम बनाई है कि इस तरह यदि कोई करते पाया गया तो राशन कार्डधारियों के द्वारा चावल बेचे जाने पर कार्ड रद्द करने की कार्रवाई हो सकती है।
और खरीदने वालों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत एफआइआर दर्जे की जाती है । सरकारी दुकानदार द्वारा चावल खरीदने की शिकायत पर दुकान निलंबित करने के साथ ही एफआइआर की जायेगी। सरकारी चावल का अवैध परिवहन करते वाहन पकड़े जाने पर वाहन जब्ती की कार्रवाई की जायेगी.

अधिकतम सात वर्ष सजा का प्रविधान…

शासन द्वारा सरकारी राशन की खरीद फरोख्त को बंद करने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। जिसके तहत अगर बिचौलिया या फिर कोई भी दुकानदार राशनकार्ड धारकों की सामग्री खरीदता है तो उसके खिलाफ मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 के तहत कार्रवाई करने का नियम है। जिसमें अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रविधान भी किया गया है।

जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने सभी राशन दुकानों की निगरानी करने के लिए हर विकासखंड में खाध अधिकारी की नियुक्ति की गई है जो नियमित हर दुकानों की जाँच करेंगे। लेकिन चौरई में पदस्य खाध अधिकारी कभी भी इन दुकानों की जाँच नहीं करता है। जबकि दुकानों के सामने हितग्राहियों से चावल खरीदने वाले लोगों की जांच के लिए खाद्य निरीक्षक को निर्देश दिया गया है। इस कार्य में संलग्न लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन सूत्रों की जानकारी के अनुसार चौरई विकासखंड में 10 सालों से चौरई में पदस्य खाद्य निरीक्षक रवि मुकासे आज तक कोई कार्यवाही नहीं करते या कहो सब दुकान संचालक के साथ मिलीभगत से ये खेल बर्षो से चल रहा है।

सरकार का चावल वितरण सिस्टम हर वर्ग के लिए मुनाफे का सिस्टम

कैसे मालामाल हो रहे हैं चौरई के सेल्समैन

रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत

मोबाइल-8989115284