जनजाति परिवारों के अधूरे आवास को पूर्ण दर्शाकर भेजी जा रही है फर्जी हितग्राहियों की प्रगति रिपोर्ट…
छिंदंवाडा– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की अति पिछ़डी जनजाति के परिवारों को पक्की छत दिलवाने हेतु प्रधानमंत्री जन मन योजना के माध्यम से आवास बनवायें जा रहे है। तामिया जनजाति के गरीबों के आवास भी इसी योजना से बनवाए जा रहे है।लेकिन बन रहे इन आवासों में निर्माण साम्रगी बिकवाने वालें दलाल भी सक्रिय है।जो गरीबों को मंहगें दम पर निर्माण साम्रगी बिकवाकर कमीशन खोरी के चक्कर में अधोषित रुप से लूटपाट मचायें हुए है।

वही इन आवासों की प्रगति की रिपोर्ट देने वालें फर्जी आंकड़े दर्शाने के चक्कर में हितग्राहियों पर आवास पूर्ण करने का अनावश्यक दबाव बनाकर फर्जी आंकड़े भेज कर आवास की प्रगति रिपोर्ट भेजने के चक्कर में अधूरे आवास को पूर्ण दर्शान के फेर अधूरे आवासों का फोटो खीचकर अपलोड कर रहे है।इस तरह कोऑर्डिनेटर पंचायत सचिव उपयंत्री जिन्हें हितग्राही को तकनीकी मार्ग दर्शन देने में सहायक होना चाहिए ।वही हितग्राहियों की फर्जी रिपोर्ट भेज कर आंकड़े की बाजीगारी करने लगें है।

यदि बन रहे जनमन आवास स्थल पर पहुंचकर भौतिक सत्यापन करेंगे तो जमीनी हकीकत कुछ और निकलगी ।कि आवास रहने योग्य है या नहीं,पूर्ण हुए है या नहीं इसकी यदि हितग्राही बार जनमन के आवासों की हकीकत सामने आएगी। आवास पूर्ण की जानकारी प्रेषित करने वालें कौन है।और उनके निरीक्षण करने का तरीका भी सामने आएगा क्योंकि जब सेटरिंग ही नहीं हुई तो स्लैब डालने का तो सवाल ही नहीं उठता ।प्लास्टर करवा कर आवास को पूर्ण करवा रहे है।ऐसा ही उदाहरण तामिया पंचायत में देखने को मिला हितग्राही चंपालाल भारती को किस्त जारी नहीं हुई है। इस कारण वो स्लैब डालने की स्थिति में नहीं है। फिर भी उसके मकान में प्लास्टर करवा कर उसे पूर्ण दर्शान का प्रयास प्रगति के नाम पर किया जा रहा है। जब मुख्यालय की ग्राम पंचायत में यह स्थिति है तो दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जनमन आवास की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि इसकी जांच की जाएगी तो कई आवास कागजों में पूर्ण दर्शाकर हितग्राही की फोटो अपलोड कर जिला प्रशासन को गुमराह करने के मामलों भी समाने आयेंगे।
रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
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