ग्रामीण से क्षेत्र में जाने से बचने के लिए गंभीर बीमारी,
का सहारा ले रहे शिक्षक, आवेदनों की होनी चाहिए जांच…
छिंदवाड़ा– जनजातीय कार्यविभाग में पदस्य शिक्षक ग्रामीण अचंलो में ना जानें पड़े इसलिए इन दिनों डाँक्टरों के फर्जी मेडिकल रिपोर्ट देने से भी नहीं चूक रहे है। जिले के शहरी क्षेत्रों में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित कुछ सरकारी आश्रम शालाएं एंव कान्या शिक्षा परिसर में दर्जनों अतिशेष शिक्षकों की भरमार है । जिला मुख्यालय एंव आसपास ऐसे सैकडों अतिशेष शिक्षक हैं। जिनकी काउंसलिंग कर शिक्षकों के खाली पद वाले स्कूलों में पदस्थ किया जा रहा है। अब शिक्षक अपनी पदस्थापना रूकवाने के लिए सहायक आयुक्त कार्यालय में आवेदन दे रहे हैं। आवेदनों में गंभीर बीमारियों का उल्लेख किया जा रहा है। जिला मुख्यालय में पदस्य कुछ शिक्षक अपने आप को गंभीर बीमारी से पीडि़त बता रहे है। ताकि उन्हे अतिशेष शिक्षक बनाकर कहीं बाहर ना भेजा जाए। कई शिक्षकों ने तो आवेदन के साथ साथ डॉक्टरों की रिपोर्ट भी पेश की है। ताकि उनका टांसफर रोक दिया जाए। अब इन आवेदनों को सहायक आयुक्त महोदय आपने स्तर पर गंभीरता से परीक्षण किया जाना चाहिए। बताया जा रहा है कि छिंदवाड़ा मुख्यालय एंव आसपास की शालाओं में 60-70 शिक्षक अतिशेष हैं सूत्रों की जानकारी के अनुसार कई शिक्षक ने तो ग्रामीण अचंलो में ना जाना पड़े इसलिये गंभीर बीमारियों का उल्लेख किया है। बुधवार/गुरुवार , को जनजातीय कार्यविभाग के कार्यालय में इन शिक्षकों की काउंसिलिंग का आयोजन किया गया था। जहां रिक्त स्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। दरअसल जनजातीय कार्य विभाग ने 2022 में आनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया अपनाई थी।इससे ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के शिक्षक स्थानांतरण लेकर नगर में पदस्थापित हो गए,
सिल्लेवानी आदिवासी बालक आश्रम में चार शिक्षक अतिशेष..
जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित आश्रम शालाओं में अतिशेष शिक्षकों की भरमार है जिला मुख्यालय में भी ऐसी कई आश्रम शालाएं हैं जहां पर अतिशेष शिक्षकों का ट्रासफर कर पदस्य किया गया था। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिले में बैठे अधिकारी को यह तक पता नहीं की कौन से स्कूल में कितने शिक्षकों की पद स्थापना करनी है जहां दो शिक्षक की प्रतिस्थापन होना था वहां पाँच शिक्षकों की पोस्टिंग कर दी गई । ऐसे शिक्षकों ने वर्षों तक आश्रम शालाओं में कभी जाकर पढ़ाई नहीं कराई बस महीने में एक-दो दिन जाकर अपनी पे -डाटा पर साइन कर शासन को चूना लगाते आ रहे हैं। ऐसे ही मामला सिल्लेवानी बालक आश्रम में देखने को मिला है। जंहा दो शिक्षक एंव एक अधीक्षक होना चाहिए था। वंहा 4 अतिशेष शिक्षक/शिक्षिकाओं की पोस्टिंग है। लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त को लगता ये सब देख नहीं रहा है।
सहायक आयुक्त जनजातीय कार्यालय में कई शिक्षक ,चपरासी, बाबू बर्षों से अटैचमेंट पर कर रहे काम..
जिलें के सहायक आयुक्त जनजातीय कार्यविभाग कार्यालय में सहायक आयुक्त श्री सतेंद्र सिंह मरकाम की मेहरबानी से कई शिक्षक,चपरासी जिला मुख्यालय कार्यालय में बाबूओं का काम कर रहे है। जंहा शासन का स्पष्ट निर्देश है कि कार्यालय में अटैचमेंट पर पदस्थ कोई भी शिक्षक बाबू या चपरासी को तत्काल उनके मूल शालाओं में वापस किया जाए लेकिन लगता है सहायक आयुक्त महोदय उच्च अधिकारी के आदेश को भी ठेंगा दिखा रहे हैं इसलिए तो अपने ही कार्यालय में कई शिक्षक, चपरासी को अटैचमेंट पर कार्यालय में रखे हैं। अब देखना है कि कलेक्टर महोदय ऐसे लापरवाह एंव शासन के आदेशों की अवहेलना करने वाले अधिकारी पर क्या कार्रवाई करते हैं।
उपायुक्त के आदेश को संशोधन करने में लगे हैं सहायक आयुक्त..
जनजातीय कार्यविभाग उपायुक्त कार्यालय जबलपुर से जिन शिक्षकों की पदस्थापना कि गई थी। और स्पष्ट निर्देश था। ऐसे शिक्षक जिनकी नवीन पद स्थापना कि गई है। वो पदांकित शालाओं में 7 दिन के अंदर ज्वॉइन करें। लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त महोदय उपायुक्त जबलपुर के आदेशों को सेवा शुल्क लेकर संशोधित करने में लगे हुए हैं। दर्जनों शिक्षक/ शिक्षकों के आदेशों को संशोधित कर उन्हें दूसरी शालाओं एवं छात्रावास में उनके पद स्थापना कर दी गई है। सहायक आयुक्त कार्यालय में सिल्लेवानी से अटैचमेंट से आया शिक्षक रात दिन इसी काम में लग हुआ है। जिन शिक्षक/ शिक्षकों को अपने आदेशों में संशोधन करना है वह इन महाशय से मिलकर सेवा शुल्क जमा कर संशोधन करा रहे है।