जनजातीय कार्यविभाग के कान्या छात्रावास में अधीक्षिका रह रही आपने परिवार के साथ …
छिदंवाडा– आदिवासियों के लिए सरकार दर्जनों योजनाएं संचालित कर रहा है। लेकिन विभागीय अधिकारियाें की उदासीनता के चलते उन योजनाओं का संचालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। आदिमजाति विभाग ने आदिवासी कन्याओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी जिलों में कन्या छात्रावास खोले गए। लेकिन इन छात्रावासों में सुरक्षा के उपाए नहीं किए गए हैं। जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित कान्या छात्रावासों में सुरक्षा को लेकर लगाए जाने वाले कैमरे नहीं लगे है।
छात्राओं की सुरक्षा की जिलें में हो रही अनदेखी..
जिलें में आदिवासी और अनुसूचित जाति के कान्या छात्रावासों की संख्या बहुत है। लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त इस और कभी ध्यान नहीं देते है।जिसके कारण जिलें के कान्या छात्रावासों में कई धटना भी हो चूकी है । लेकिन फिर भी सहायक आयुक्त महोदय ध्यान नहीं दे रहे है । प्रत्येक कान्या छात्रावास में 3से 4वार्ड है। जिलें के प्रत्येक ब्लॉक में 50-50 छात्राओं के रहने का इंतजाम है। ऐसे में एक महिला सुरक्षाकर्मी द्वारा सुरक्षा करना कठिन है।
कान्या छात्रावासों में सीसी कैमरे भी नहीं लगाए गए
जिलें में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित होने वालें कान्या छात्रावास में इतनी धटना होने के बाद भी आज तक छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगायें गयें है। जबकि कान्या छात्रावासों में बच्चीयों की सुरक्षा के लिए हर छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे लगें होने चाहिए। और कान्या छात्रावास में रात के समय 2 से 3 महिला सुरक्षाकर्मी की डयूटी लगाई जाएं। इसके लिए पिछले साल शासन से सर्कुलर भी जारी हो गया है, लेकिन सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए। जबकि कान्या छात्रावासों में कैमरे लगाना अनिवार्य है। लेकिन लाखों करोड़ों का बजट आने के बाद भी जिलें के किसी भी कान्या छात्रावासों में कैमरों नहीं लगायें गयें है। वहीं महिला सुरक्षाकर्मी की भी पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। और कान्या छात्रावासों में अधीक्षिका को रात में रुकना अनिवार्य करना चाहिए।और रात्रि में कान्या छात्रावास में अधीक्षिका रहती है या नहीं इनकी निगरानी के लिए महिला अधिकारी की नियुक्ति होना चाहिए।
जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित कान्या छात्रावासों में नहीं रहती अधीक्षिका..
छिदंवाडा जिलें में जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित होने वालें कान्या छात्रावासों में इन दिनों अधीक्षिकाओं की लापरवाही चरम पर है। जिसकें कारण आज जिलें के आदिवासी एंव हरिजन कान्या छात्रावासों में बच्चीयों को सुरक्षा के अभाव में रहने को मजबूर है। जिलें के कई छात्रावासों में तो दिन भी अधीक्षिका नहीं रहती है।तो रात्रि में रुकने का सवाल ही नहीं उठता है। दर्जनों कान्या छात्रावास अधीक्षिका जिला मुख्यालय से आना जाना करती है छात्रावास जिसकें कारण छात्राओं को नास्ता एंव भोजन भी अच्छा नहीं मिलता है। पूरा काम छात्रावास में रहने वाली रसोईया पर ही निर्भर रहता है।
जिलें के कई कान्या छात्रावास में परिवार के साथ निवास कर रही अधीक्षिका..
जिलें के कई ऐसे कान्या छात्रावास है जंहा आधीक्षिक आपने पूरे परिवार के साथ रह रही है ।जिसके कारण उनके परिवार रात्रि में जब मनमर्ची होती है आते जाते है । लगता है शासन के नियम उनके ऊपर लागू नहीं होता है इसलिए तो वो लोग रात्रि में भी कान्या छात्रावासों में आना जाना करते है। लेकिन जिलें में पदस्य सहायक आयुक्त महोदय कभी आपने आफिस से बाहर निकलें तो उनकों कुछ देखेगा..।
कान्या छात्रावासों में नहीं होता स्वास्थ्य परीक्षण..
जिलें में संचालित कान्या छात्रावास में छात्राओं का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण नहीं होता है। कई छात्राएं बीमार रहती है। कोई भी कान्या छात्रावास में छात्राओं के लिए प्राथमिक उपचार की व्यवस्था नहीं है।
कान्या छात्रावास की सुरक्षा होनी चाहिए महिला होमगार्ड
सांकेतिक चित्र
छत्तीसगढ़ सरकार जैसे मध्यप्रदेश सरकार को भी प्रदेश में चल रहे कन्या छात्रावास एवं आश्रमों के लिए महिला नवीन होम गार्ड भर्ती करना चाहिए । जिससे महिलाओं को भी रोजगार के अवसर मिलेगा । रोजगार से महिलाओं को बेहतर अवसर प्राप्त होगी।और छात्रावास एंव आश्रम शालाओं की भी सुरक्षा हो जायेगी।
उक्त भर्ती प्रक्रिया में चयन निर्धारित पात्रता के आधार पर होगी। इसमें उन महिलाओं को फायदा होगा जो कुछ करना चाहती है। इसको लेकर महिला समाज कार्यकर्ता का कहना है कि सरकार ने बजट में महिलाओं को नई उम्मीद दी है। इससे सभी को फायदा मिलेगा।