आदिवासी गांवों में नहीं पहुंच रहे शिक्षक ,स्कूलों के बाहर बैठे छात्र/छात्राए
आखिर शिक्षा से वंचित क्यों हो आदिवासी बच्चें, स्कूल के समाने दर-दर भटक रहे
By -Admin
24 August 2024
ramkumar rajput
छिदंवाडा – कहने के तो केन्द्र एंव राज्य सरकार आदिवासी समाज के उत्थान की बात करते हैं लेकिन आज भी आदिवासी समाज के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं ऐसा ही नजारा देखने को मिला छिदंवाडा जिलें के आदिवासी विकासखंड हर्रई के औझलढाना हाई स्कूल में जंहा शिक्षक स्कूल नहीं आने के कारण बच्चों स्कूल के बाहर बैठे नजार आयें । दरअसल आदिवासी वनांचल क्षेत्र में शिक्षा के हाल बेहाल है लेकिन जिलें में बैठे जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है ।जिसका फायदा यंहा पदस्य शिक्षक उठाते नजर आतें है । औझलढाना हाई स्कूल में प्रभारी प्राचार्य भारद्वाज जी सप्ताह में एक से दो दिन ही आतें है।इसलिए शासकीय हाई स्कूल औझलढाना समय में कभी नहीं खुलता है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों द्वारा अनेक बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया। बावजूद इसके गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। जिसके चलते छात्र स्कूल के बाहर बैठकर लौट जाते है । ये हालात है हर्रई के औझलढाना हाई स्कूल के
है। जंहा स्कूल ही नहीं खुला। जनपद सदस्य ने बताया कि उनके गांव जंगल के अंदर बसे हुआ है । इसलिए गांव के हाई स्कूल कभी समय में नहीं खुलता है। कभी शिक्षक समय पर नहीं आते है ।कई बार तो सप्ताह में एक-दो दिन ही स्कूल खुलते हैं । इससे बच्चे स्कूल जाने में बच्चे रूचि नहीं दिखा रहे है। जिससे हमारे आदिवासी समाज को बच्चें शिक्षा से बंचित हो रहे है ,ये किसकी जिम्मेदारी है । इस स्कूल का कभी कोई अधिकारी द्वारा निरीक्षण नहीं किया जाता है। ऐसे में शिक्षक सप्ताह में दो से तीन दिन ही स्कूल आते है। बारिश के समय स्कूल बंद रहते है। इससे बच्चों का भविष्य खराब होने की आशंका बनी हुई है।औझलढाना हाई स्कूल में बेहाल शिक्षा व्यवस्था
आदिवासी बच्चों का भविष्य कर रही अंधकारमय
जिले के आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. शिक्षकों की लापरवाही बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर धकेल रही है.
आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा बदहाल
जिले में हर्रई विकासखंड में शिक्षा की हालत बद से बदतर है. यहां आदिवासी क्षेत्रों में हाईस्कूल के बच्चों को पढ़ने नहीं आता. स्कूल के शिक्षक स्कूल जाने और पढ़ाने के नाम पर खानापूर्ती करते हैं. यही कारण है कि आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों का भविष्य अंधकार में है. जिम्मेदार अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. वहीं, हर्रई आदिवासी इलाकों के स्कूल के ये हाल. ये सरकारों के लिए चिंता का विषय है. यहां पढ़ने वाले हाई स्कूल के छात्रों को शुद्ध हिंदी तक लिखना/ पढ़ना नहीं आता. . बच्चों ने बताया कि स्कूल में शिक्षक कभी-कभी ही आते हैं कई दिन तक हमारा स्कूल तो बंद रहता है , और शिक्षक स्कूल आते भी है तो पढ़ते नहीं इसलिए कोई पढ़ता नहीं.
हर्रई विकासखंड के ज्यादातर स्कूलों के हालात ऐसे ही है।
हर्रई विकासखंड के औझलढाना हाईस्कूल ने पूरे प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी. हाईस्कूल में कक्षा नवमी और दसवीं को पढ़ने के लिए शासन ने काफी बड़ी बिल्डिंग बना रखी थी. इस स्कूल में पांच शिक्षकों की नियुक्ति भी है, पर स्कूल में एक भी शिक्षक उपस्थित नहीं मिले. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इन बच्चों का भविष्य अंधकार में डालने वाले इनके शिक्षक ही हैं.