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स्कूल बसों में सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित कराना बस संचालक, स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों सहित सभी का दायित्व..

स्कूल बसों में सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित कराना बस संचालक, स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों सहित सभी का दायित्व..
By admin
9 August 2024
रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
पंचायत दिशा समाचार

छिन्दवाडा (म.प्र) स्कूल बसों में सुरक्षा के उपायों को सुनिश्चित करने के संबंध में माननीय न्यायालयों, केन्द्र एवं राज्य सरकार, प्रमुख सचिव एवं परिवहन आयुक्त द्वारा समय- समय पर जारी आदेशों, निर्देशों एवं एडवायजरी के समग्र एवं संयुक्त रुप से विश्लेषण के अनुसार स्कूल बसों में सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित कराना स्कूल बस संचालक, स्कूल प्रबंधन, अभिभावकों, पुलिस एवं परिवहन विभाग सहित सभी का दायित्व है और सभी की भूमिका भी निर्धारित की गई है।
स्कूल बस संचालक द्वारा स्कूल बस के लिए निर्धारित मापदंड, जिनकी पूर्ति आवश्यक है- परिवहन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्कूल बस का रंग पीले रंग में रंगा होना चाहिये। केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 के प्रावधान अनुसार बसों के आगे और पीछे बड़े व स्वच्छ अक्षरों में “स्कूल बस” लिखा जाये। यदि स्कूल बस किराये की है, तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालय सेवा में (ऑन स्कूल ड्यूटी) लिखा जाये। विद्यालय द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली किसी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाये जाएं। प्रत्येक बस में अनिवार्य रुप से प्राथमिक चिकित्सा के लिये ‘फर्स्ट एड बॉक्स” की व्यवस्था हो। बसों की खिडकियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) अनिवार्य रुप से लगाई जाये। प्रत्येक बस में अग्नि शमन यंत्र की व्यवस्था हो। बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नम्बर बड़े अक्षरों में अवश्य लिखा होना चाहिए। बस के वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिये तथा पूर्व में ट्रेफिक नियमों का दोषी ठहाराया गया नहीं होना चाहिये। केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 के नियम-17 के प्रावधानों अनुसार बस में वाहन चालक के अतिरिक्त एक अन्य वयस्क व्यक्ति भी हो, यदि बस में छात्रायें भी हों तो उस बस में महिला अध्यापक अथवा सहायिका की व्यवस्था सुनिश्चित हो। बच्चों के बस्ते रखने के लिये सीट के नीचे जगह होना चाहिये। बसों में नियमानुसार दो दरवाजे प्रवेश एवं निर्गम हों तथा आपातकालीन खिड़की लगी हो। बस में गतिनियंत्रक यंत्र 40 किलोमीटर प्रतिघण्टा की स्पीड पर फिक्स किया हुआ लगा हो। बसों के दरवाजों पर लगे ताले ठीक स्थिति में होना चाहिये। किसी भी शिक्षक अथवा पालक को बस में सुरक्षा मुआयना करने की दृष्टि से जाने की सुविधा हो। यह सुनिश्चित हो कि, स्कूल बस के चालक का नेत्र परीक्षण तथा इस दृष्टि से स्वास्थ परीक्षण कि वह मादक द्रव्यों के सेवन का आदी तो नहीं है, नियमानुसार 6 माह के अन्तराल में वाहन चालक का डॉक्टरी परीक्षण कराया जाना आवश्यक है।
स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूल के स्वामित्व की अथवा अनुबंधित स्कूली वाहनों में पूर्ति किए जाने वाले मापदण्ड- स्कूल प्रबंधन द्वारा यह सम्पूर्ण ब्यौरा रखा जाये कि, कौन सा बच्चा किस वाहन से स्कूल आ रहा है अथवा स्कूल से जा रहा है। स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने वाले सभी वाहनों के आवश्यक दस्तावेजों जैसे- ड्रायविंग लायसेंस, पुलिस वैरिफिकेशन, वाहन का रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, परमिट, बीमा, पी.यू.सी. प्रमाण पत्र का एक सेट आवश्यक रुप से रखा जाये। स्कूली वाहन के रुप में एल.पी.जी. से संचालित वाहन का प्रयोग सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत विस्फोटक है। अतः स्कूल प्रबंधन द्वारा यह निगरानी रखी जाये कि, स्कूल का कोई भी बच्चा एल.पी.जी. संचालित वाहन से स्कूल न जाये और ऐसा होने पर उसका दायित्व होगा कि, इस संबंध में तत्काल पुलिस प्रशासन एवं परिवहन विभाग को सूचित किया जाये। ऐसा न करने पर दुर्घटना की स्थिति में सम्पूर्ण जबावदेही स्कूल प्रबंधन की होगी। स्कूल प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक वाहन से निर्धारित संख्या में बच्चों का परिवहन किया जाये। स्कूल प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि बालकों को स्कूल परिसर के किसी सुरक्षित स्थान पर ही सीसीटीव्ही की निगरानी में उतारा चढ़ाया जाये। स्कूल प्रबंधन यह भी निगरानी रखे कि वाहन में उचित मानक स्तर का अग्निशमन यंत्र, फर्स्ट एड किट, जीपीएस, स्पीड गवर्नर, सीसीटीव्ही कैमरे लगे हों। स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूली वाहन में लगे जी.पी.एस. की नियमित रुप से मॉनिटरिंग किया जाना आवश्यक है। प्रत्येक स्कूल में स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशों के क्रम में “शाला परिवहन समन्वय समिति” का गठन किया जाना आवश्यक है।
बच्चों के माता-पिता (अभिभावक) का दायित्व- माता-पिता, अपने बच्चों के स्कूल आते-जाते समय सुरक्षा के प्रति स्वयं भी बराबर के उत्तरदायी हैं। अतः अभिभावकों को यह आवश्यक रुप से सुनिश्चित करना चाहिये कि, स्कूली वाहनों में समस्त सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं। चालक/परिचालक या अन्य कर्मचारियों द्वारा किये गये नियमों के उल्लंघन को ध्यान में रखना चाहिये तथा अविलम्ब इसकी सूचना संबंधित स्कूल प्राधिकारियों व राज्य प्राधिकारियों को देनी चाहिये। माता-पिता को, अभिभावक शिक्षक बैठक में आवश्यक रुप से भाग लेकर अपने बच्चों की सुरक्षा के संबंध में चर्चा करना चाहिये। माता-पिता को ऐसे वाहनों, जिनके पास वैध परमिट तथा वैध चालक लायसेंस धारक ड्रायवर न हों के, उपयोग करने से बचना चाहिये। माता-पिता को ऐसे वाहनों में बच्चों को नहीं बैठाना चाहिये जिनमें बैठक क्षमता से 1.5 गुना से अधिक बच्चे बैठे हों। माता-पिता को इस संवेदनशील विषय पर एक सतर्क पर्यवेक्षक की भूमिका निभानी चाहिये। ऐसे अभिभावक जो माननीय न्यायालयों द्वारा जारी गाइड लाईन पालन न करने वाले वाहनों से बच्चों को स्कूल भेजते हैं, उनके विरुद्ध भी प्रचलित निमयों के तहत वैधानिक कार्यवाही की जाना प्रस्तावित की जा सकेगी।
पुलिस/परिवहन का दायित्व- पुलिस एवं परिवहन विभाग का दायित्व स्कूल बस संचालक, स्कूल प्रबंधन के द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा एवं केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है अथवा नहीं, इसका परीक्षण एवं वाहनों का भौतिक सत्यापन करना तथा इनका उल्लंघन होने पर नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही करना है । साथ ही स्कूल, कॉलेजों में जाकर प्राचार्यों एवं उनके माध्यम से अभिभावकों में जागरूकता लाना है।