आस्था और दिव्यता वाला मेला देवाधिदेव महादेव की नगरी पचमढ़ी..
हमेशा जंगली जानवर और जहरीले सांपों से घिरा रहता है यह इलाका….
साल में सिर्फ एक बार खुलता है यह स्थान…
By admin
31 july 2024
पंचायत दिशा समाचार
छिदंवाडा (म.प्र) -मध्यप्रदेश में भी एक ऐसा स्थान है, जहां पर पहुंचकर अमरनाथ जैसा नजारा दिखाई देता है। यह दुनिया के खतरनाक इलाकों में से एक है। नर्मदापुरम जिले के पचमढ़ी में नागद्वारी के नाम से यह स्थान है, जिसे लोग नागलोक भी कहते हैं। सालभर भर में सिर्फ 11 दिनों के लिए यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। सात दुर्गम पहाड़ों को पार करने के बाद यहां पहुंचना पड़ता है।
आपको बता रहा है पचमढ़ी में स्थित नागलोक की यात्रा के बारे में…।
पचमढ़ी की नागद्वारी की यात्रा काफी दुर्गम है। यहां पल-पल पर खतरा बना रहता है। 11 दिनों के बाद जब यह इलाका पूरा बंद हो जाता है तो यहां सिर्फ जंगली जानवर और जहरीले सांप-बिच्छू ही रहते हैं। यहां का खौफ इतना है कि कोई भी इंसान यहां अकेले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। क्योंकि यहां हजारों की संख्या में सांप बिच्छू रहते हैं।
कुलदेवी मानते हैं महाराष्ट्र के लोग…
यह महाराष्ट्र से आने वाले कई लोग अपना कुलदेव मानते हैं। पचमढ़ी के घने जंगल और दुर्गम पहाड़ों के बीच एक गुफा में है यह मंदिर। यह मंदिर नागपंचमी से पहले 10 दिनों के लिए ही खुलता है।
सबसे अधिक रोमांचक है यह यात्रा
यह स्थान छिदंवाडा से करीब 139 किलोमीटर दूर पचमढ़ी में है और पचमढ़ी से धूपगढ़ जाने वाले रास्ते से 12 किलोमीटर का दुर्गम रास्ते से यहां जाया जाता है। पहाड़ों पर चढ़ाई के शौकीन व्यक्ति इस स्थान के खुलने का इंतजार करते हैं। इस रास्ते पर कई झरने हैं और जड़ी-बूटियों के पेड़-पौधे भी मिलते हैं। यहां पर एक तरफ जिंदगी और एक तरफ मौत हमेशा साथ चलती है। कदम कदम पर खाई है।
अमरनाथ यात्रा जैसा नजारा
इस यात्रा पर जाने वाले बताते हैं कि इसके रोमांच और कठिन रास्तों के कारण यह अमरनाथ जैसी यात्रा महसूस होती है। यहां के बड़े-बड़े पहाड़ और गुफा का अद्भुत दृश्य देखकर लगता है जैसे हम अमरनाथ यात्रा ही कर रहे हों। कदम-कदम पर खतरा तो रहता ही है, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच के लिए लोग पसंद करतें है
लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं
साल में एक बार खुलने वाला यह क्षेत्र श्रावण मास में खुलता है। नागपंचमी के बाद यह बंद हो जाता है। इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व होने के कारण यहां 11 दिनों में देशभर से दस लाख से अधिक लोग पहुंचते हैं।
सात पहाड़ों की खतरनाक चढ़ाई
पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर कहते हैं। सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी की घनी पहाडिय़ों के बीच देवस्थान है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार कहा जाता है। पचमढ़ी में घने जंगलों के बीच यह रहस्यमयी रास्ता सीधा नागलोक जाता है। इस दरवाजे तक पहुंचने के लिए खतरनाक 7 पहाड़ों की चढ़ाई और बारिश में भीगे घने जंगलों की खाक छानना पड़ता है, तब जाकर आप नागद्वारी पहुंच सकते हैं।