Home CITY NEWS बिना टैक्सी परमिट वाहन जिलें के सरकारी विभागों में चल रहे..?

बिना टैक्सी परमिट वाहन जिलें के सरकारी विभागों में चल रहे..?

बिना टैक्सी परमिट वाहन जिलें के सरकारी विभागों में चल रहे..?

हर साल लाखों की राजस्व हानि

अलग से जमा करनी होती है रजिस्ट्रेशन व फिटनेस फीस इसलिए नहीं कराते टैक्सी पास…

जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में गाडी लगाने बाबू का बडा खेल..?

By-admin
29 july 2024

पंचायत दिशा समाचार

छिदंवाडा- छिंदवाड़ा जिलें में इन दिनों सरकार अधिकारी/ कर्मचारी ही नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं । जिसका उदाहरण सरकारी विभाग में लगने वाली गाड़ियों में देखा जा सकता है ।इन दिनों छिदंवाडा जिलें के सरकारी विभागों में टैक्सी पास की जगह पर निजी वाहन अटैच किए हुए हैं। जबकि नियम से विभाग में लगने वाले चार पहिया वाहन टैक्सी में पास होना अनिवार्य है। नियम की जानकारी सभी जिला अधिकारियों को है। इसके बावजूद शासन के निर्देशों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने निजी वाहन कार्यालय के उपयोग के लिए लगा रखे हैं। जिसकी वजह से परिवहन विभाग को हर साल लाखों रुपए राजस्व की हानि हो रही है। जबकि टैक्सी में पास कराने के लिए लोगों को अधिक टैक्स जमा करना होता है। वहीं रजिस्ट्रेशन एवं फिटनेस की अलग से फीस जमा करनी होती है। निजी में पास कराने पर कम टैक्स लगता है, और आजीवन के लिए कोई झंझट नहीं रहता है। दूसरी ओर इन गाड़ियों से कई बार घटनाएं हो चुकी हैं। घटना के बाद अधिकारी एवं वाहन मालिक ले देकर मामला को खत्म कर देते हैं।
बता देें कि शासन ने 2014 से सभी विभागों में टैक्सी वाहन लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद भी जिला अधिकारियों ने सेंकडों निजी वाहन लगा रखे हैं। जबकि निजी वाहन अपने उपयोग में ले सकते हैं। ना कि किसी कार्यालय में लगा सकते हैं। कार्यालय में लगाना है तो उसका टैक्सी में पास होना आवश्यक होता है। अधिकारियों एवं वाहन मालिकों की साठगांठ के चलते निजी वाहनों को विभागों के कार्य के लिए लगाया गया है। निजी वाहन, जिला पंचायत, महिला बाल विकास , पीआरओ, पुलिस विभाग, आबकारी, जनपद पंचायत, नगर पालिका, राजस्व विभाग, कृषि विभाग सहित अन्य विभाग में लगे हुए हैं। खासबात यह कि कार्यालय में लगे वाहनों से कई बार एक्सीडेंट भी हो चुके हैं। अधिकारियों द्वारा मामला को पैसा देकर रफा दफा कर लिया जाता है। यदि टैक्सी वाहन किसी कार्यालय में लगी है, और उसे अन्य प्रदेश में जाना है तो उसे उस प्रदेश का टैक्स वाहन मालिक को कटना होता है। जिला प्रशासन ने निजी गाड़ियों लगा रखी हैं। इसलिए उन्हें अन्य प्रदेश में जाने पर टैक्स भी नहीं कटाना पड़ता है।

1 से डेढ़ हजार रुपए तक जमा करना पड़ता है शुल्क
यदि चार पहिया वाहन को टैक्सी में पास कराते हैं तो करीब गाड़ी की कीमत से करीब 8 से 9 प्रतिशत टैक्स जमा करना होता है। साथ ही रजिस्ट्रेशन फीस करीब 3 से 4 हजार रुपए, उसके उपरांत हर साल गाड़ी की फिटनेस करानी होती है। जिसमें करीब एक से डेढ़ हजार तक शुल्क जमा करना होता है।

अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने लगा रखे हैं अपने निजी वाहन…

जिला अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने भाई या रिश्तेदार के नाम से गाडिय़ां खरीद ली हैं, और अपने कार्यालय में ही गाड़ियों को लगा रखा हैं। शासन वाहन लगाने पर 25 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह भुगतान करता है। गाड़ी भी अधिकारी सामने रहती है, और देखरेख होती रहती है।
निजी वाहन से शासन को नहीं मिल पाता है राजस्व
शासन ने निजी वाहनों पर टैक्स बहुत कम रखा है। क्योंकि वह निजी उपयोग के लिए होती है। विभाग में लगाने के लिए टैक्सी वाहन होना अनिवार्य है। इसके लिए शासन ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं। जिससे राजस्व भी आता है। टैक्सी वाहन पर टैक्सी भी अधिक रहता है, और उसकी हर साल फिटनेस करानी होती है। इसी कारण लोग अपने वाहन को टैक्सी परमिट में पास करवाने से बचते हैं।

बर्षों पुराने गाडी में चल रही अधिकारी ,गाडी का बीमा भी समाप्त अनजान अधिकारी….

ऐसा ही उदाहरण बिछुआ के तहसीलदार के पास जो गाडी लगी है वो प्राईवेट गाडी है और उसे बर्ष 2006 में वाहन का रजिस्ट्रेशन करया गया है ।जिसका बीमा भी 12 नबर 2019 को समाप्त हो गया है । इससें ऐसा लगता है कि गाडी मलिक और अधिकारी की मिलीभगत है ।

रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत