Home CITY NEWS जिला शिक्षा केन्द्र के आफिस में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे बाबू..

जिला शिक्षा केन्द्र के आफिस में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे बाबू..

डीपीसी आफिस में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे बाबू..

बर्षों से एक ही सीट पर साल से जमे है डीपीसी कार्यालय के बाबू …

रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
दिनांक-19/07/2024

छिदंवाडा(पंचायत दिशा समाचार)-मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा जिला बना भ्रष्टाचार का गढ़ यहां आए दोनों सरकारी विभागों में नए-नए भ्रष्टाचारों का हो रहा है खुलासा। जिले में करोड़ों के शिक्षा विभाग के घोटाले की जांच चली रही है। फिर भी जिलें के उच्च अधिकारी इस और ध्यान नहीं दे रहे है। जिलें की जनता के विकास के लिए आये पैसे का इस समय जिलें में बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारी/ कर्मचारी धोटाले पे धोटाले कर रहे है । अभी तक इन पर सिर्फ जांच चल रही है। इसलिए इन के होंसले बुंलद है । इन धोटाले का मुख्य कारण बर्षों से एक ही जगह में पदस्थ बाबूओं के कारण ये खेल चल रहा है ।बाबू और अधिकारी मिलकर ये भ्रष्टाचार कर रहे है लेकिन फिर भी उच्च अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे है ।और बाबूओं की जादूगरी चल रही है।ऐसा ही मामला जिलें के डीपीसी आफिस में बर्षों से जमें बाबूओं का चल रहा है । चाहे स्कूलों में लगाने वालें सामग्री की सप्लाई की हो या जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में सामग्री सप्लाई का हो सब डीपीसी कार्यालय में बैठे बाबू सेंट करते है कि कौन से ठेकेदार से सप्लाई करना है ।जो ठेकेदार अच्छी कमीशन देता है। कस्तूरबा गांधी छात्रावास में सामग्री सप्लाई करोड़ों में होती है। हर साल इस खेल में जिलें कार्यालय में बैठा एक बाबू लाखों का कमीशन लेता है। कमीशन खोर इस बाबू के पास बर्षो से इन छात्रावास का काम है। जो हर महीने इन छात्रावासों की वार्डन से अबैध बसूली करता इस काम में विभाग के दो लोग और इन के साथ है जो निरीक्षण के काम पर हर महिने इनको दक्षिणा मिलती है । जो इन्हें दक्षिणा नहीं देते उन्हें परेशान किया जाता है एवं हटाने की धमकी दी जाती है अधिकारी भी इनके इशारे में काम करते है । क्योंकि इनके पास सब की चाबी होती है। छात्रावास में कौन सी शिक्षिका (वार्डन) को रखना है किसें हटना है सब इन पर निर्भर होता है । छात्रावास में वार्डन के लिए भी लाखों की बोली लगती है । काउंसलिंग तो एक बहाना है। पहलें से ही सब सेंट करकें रख लेते है ।इन की मेहरबानी से अभी भी जिलें के कस्तूरबा गांधी छात्रावास में दस दस सालों से कई वार्डन पदस्थ है। उन्हें आपनी मूलशाला में वापस नहीं किया गया है। इसीलिए तो जिले के बाबू इनको जो आदेश देते हैं वह वार्डन वैसा ही काम करती हैं।इनके कारण जिले के लोग काफी परेशान है। आए दिन इनकी शिकायतें सीएम हेल्पलाइन, जन सुनवाई, जन शिकायत के माध्यम से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव तक पहुंच रही हैं। ये लोग एक ही शाखा में वर्षों तक जमकर अपना एक कॉकस खड़ा कर लेते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। इनके कारण लोगों के आवेदन बेवजह लंबित रखे जाते हैं।और एक ही शाखा में वर्षों तक जमे रहने के कारण ये कर्मचारी किसी दूसरी शाखा में काम करने के लायक नहीं रहते और उसके काम में नीरसता आ जाती है। एक ही शाखा में वर्षों तक काम करने वाला बाबू भ्रष्टाचार की धुरी भी बन जाता है। ऐसे कर्मचारियों को समय समय पर दूसरी शाखाओं में ट्रांसफर करना चाहिए। जिससे मप्र शासन की स्थानंतरण नीति नियम का कुछ तो पालन होगा।

रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत
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