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खुमकाल कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में कई वर्षों से जमीं है वार्डन,ताक पर रखें जा रहे है नियम…

छात्रावासों में कई वर्षों से जमीं है वार्डन
ताक पर रखें जा रहे है नियम…

पंचायत दिशा समाचार

छिंदवाड़ा / मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सर्व शिक्षा अभियान के द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास एवं नेताजी सुभाष चंद्र बोस बालिका छात्रावास में इन दिनों वार्डन सालों से नियम विरुद्ध तरीके से आवासीय छात्रावासों में जमी है।जिलें में बैठे अधिकारियों की मेहरवानी और स्वार्थ परक नीति से दस सालों से अधिक समय से वार्डन आवासीय विद्यालय में जमीं हुई
है। लेकिन जिलें मैं बैठे सर्व शिक्षा अभियान के अधिकारी इन्हें नहीं हटा रहे है, सूत्रो की जानकारी के अनुसार जिले में बैठे अधिकारी इन्हें इसलिए नहीं बदल रहे हैं क्योंकि इन वार्डन से मंथली की वसूली जिले में बैठे अधिकारी कर रहे हैं , जिलें में बैठे अधिकारी सिर्फ अपने दफ्तर के बाहर एक सूचना एक दिन के लिए लगा देते है राज सूचना केंद्र द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी एवं सुभाष चंद्र बोस बालिका छात्रावास में वार्डन को बदलनें का आदेश जारी किया था लेकिन, अधिकारियों ने उसे भी हवा में उड़ा दिया। केंद्र एवं राज्य सरकार
ग्रामीण बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत छिंदवाड़ा जिले में 8 शासकीय कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास और 7 बालिका छात्रावास शुरू किए थे। विधिवत संचालन के लिए नजदीकी शालाओं में पदस्थ्य शिक्षिकाओं इन छात्रावासों का अतिरिक्त प्रभार देकर अधीक्षिका नियुक्त किया गया। नियमानुसार इन अधीक्षिकाओं का कार्यकाल तीन साल के लिए निर्धारित किया गया है। लेकिन छिंदवाड़ा जिलें में अधिकारियों और वार्डन की जुगलबंदी से एक दसक बीतने के बाद भी व्यवस्था में बदलाब नहीं किया गया। जिला परियोजना समन्वयक शिक्षा केंद्र में पदस्थ्य अधिकारी की सह बरसों से एक ही जगह में पदस्थ वार्डन छात्रावास की मलाई खा रही है।

नियमों पर मनमानी कर रहे जिलें में बैठे
जिला परियोजना समन्वयक….

जिला परियोजना समन्वयक अधिकारी की मनमानी के आगे मप्र राज्य शिक्षा केंद्र के नियम बेअसर है। अधिकारी के संरक्षण में वार्डनें अपने तरीके से छात्रावासों का संचालन कर रही है। नियमानुसार वार्डन का कार्यकाल 3 साल निर्धारित है। ऐसी महिला शिक्षिका जिसकी शाला छात्रावास से 2 किमी दूरी पर स्थित हो, सहायक शिक्षका, सहायक अध्यापिका, उच्चश्रेणी शिक्षिका या फिर अध्यापिका के पद पर कार्यरत हो, बच्चे 05 वर्ष से अधिक आयु के हो, आवेदिका आवासीय विद्यालय, छात्रावास में निवास करने सहमत हो, सक्रिय समर्पित भाव से कार्य करने वाली शिक्षिकाओं को छात्रावास का अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। विभागीय सांठगाठ से अधिकांश स्थानों पर नियम विरुद्ध तरीके से वार्डनें वर्षों से अपने कर्तव्यों की पूर्ति कर रही है..


कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास खुमकाल की वार्डन पर नहीं होते कोई नियम लागू…?

राज्य शिक्षा केंद्र का आदेश हवा मैं उड़ती नजर आती है खुमकाल वार्डन….

जिले के जुन्नारदेव विकासखंड के ग्राम खुमकाल में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास इन दोनों भगवान भरोसे चल रहा है यंहा पर पदस्थ वार्डन लगभग 10 से 15 सालों से यंहा पर पदस्थ है लेकिन जिलें में बैठे जिला परियोजना समन्वयक इन्हें हटाने में लगता है असमर्थ नजर आ रहे हैं कई बार शिकायत होने के बाद भी जिलें में बैठे अधिकारी कभी जांच करने नहीं जाते है उनका मानना है कि सारा काम तो सहायक वार्डन देखती है वार्डन की कोई जरूरत नहीं है वार्डन रात में रहे या ना रुके छात्रावास आए या ना आए उन्हें कोई मतलब नहीं ऐसा जिले में बैठे अधिकारी का मानना है , उन्हें तो हर महीने मिलने वालें चढ़ावा से मतलब है…

अधिकारी कहते हमने निकले विज्ञप्ति

छिंदवाड़ा में सर्वं शिक्षा अभियान अंतर्गत संचालित शासकीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय व बालिका छात्रावासों में वार्डन पद के अतिरिक्त प्रभार दिए जाना प्रस्तावित है। इच्छुक महिला शिक्षिका 7 दिवस के अंदर कार्यांलय में सहमति पत्र प्रस्तुत करें। बताया जाता है कि जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र में ये आदेश सिर्फ दिखावा के लिए निकल गया था उन्हे तो यह दिखाना था कि हमारे द्वारा आदेश निकल गया है… जिसके डर के कारण कई वार्डन ने काफी अच्छा चढ़ावा भी देती है। विभागीय सूत्रों की माने तो जिले के अधिकारी पत्र की धौंस दिखाकर अपनी जेबें गर्म कर लेते है और अतिरिक्त प्रभार की प्रक्रिया को ठेंगा दिखा दिया जाता है,अपनी नीति में सफल होने के पश्चात जिला परियोजना समन्वयक अधिकारी हर साल ऐसा ही खेल शुरू कर देते है और जिले के 15 पदों पर वार्डनों के अतिरिक्त प्रभार के लिए सिर्फ दिखावा के लिए विज्ञप्ति जारी की जाती है विज्ञप्ति पत्र में उन्होंने लिखा कि मप्र राज्य शिक्षा केंद्र के पत्र पालन के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय एवं बालिका छात्रावास में वार्डन पद के अतिरिक्त प्रभार प्रक्रिया शुरू की जाना है। निर्धारित आहर्ताओं सहित इच्छुक महिला शिक्षिकाएं कार्यालय में या डाक से आवेदन प्रारूप प्रस्तुत किए जा सकते है। लेकिन 10/ 12 सालों से निर्धारित अंतिम तिथि तक जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय में क्या एक भी फॉर्म जमा नहीं होता है, सिर्फ दिखावे के लिए ऐसे आदेश कार्यालय की पटल पर बनाकर रख लेते हैं लेकिन आज तक किसी भी समाचार पत्र पत्रिका में विज्ञप्ति जारी नहीं करते जिससे जिलों में पदस्थ शिक्षिकाओं को इसका पता नहीं चलता है, जिसका फायदा हर साल जिले में बैठे जिला शिक्षा केंद्र के जिला परियोजना समन्वयक लंबा हांथ मारते है ,माना जा रहा है कि वार्डन को अभयदान देने के उद्देश्य से अधिकारी हर साल गुपचुप तरीके से ऐसी विज्ञप्ति जारी कर अपनी खानापूर्ति कर लेते हैं…

असल में सरकारी अमला किन्हीं नेक इरादों से इन छात्राओं को छात्रावास में रहने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है, स्वार्थ सरकारी अमले का है. अधिक से अधिक छात्राओं की उपस्थिति बताकर उन्हें मिलने वाले भोजन, यूनीफॉर्म, पठन-पाठन सामग्री, मासिक छात्रवृत्ति आदि सुविधाओं के लिए शासन से प्रतिमाह भरपूर पैसा वसूला जाता है. लेकिन वह पैसा छात्राओं तक कितना पहुंचता है, यह जांच का विषय है.

एक मोटे अनुमान के अनुसार, हर माह शासन को छात्रवृत्ति मद में लाखों रुपये का चूना लगाया जाता है. छात्रों के भोजन, बिस्तर और अन्य सुविधाओं पर होने वाले खर्च में भी बड़ी हेराफेरी होती है. काग़ज पर नए कपड़े, कंबल, गद्दे और दरी खरीदना बताया जाता है, लेकिन छात्रों को फटे-पुराने कपड़े ही दिए जाते हैं. भोजन की क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती.

जिला शिक्षण केंद्र के परियोजना समन्वयक का कहना…

मेरे द्वारा इस वर्ष भी
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय एंव छात्रावास में वार्डन के अतिरिक्त प्रभार के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी लेकिन एक भी शिक्षिकाओं ने आवेदन नहीं किया जिसके कारण मुझे मजबूरी में पुनः उन्हें वार्डन को रखना पड़ा…
मप्र राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी बिद्यालय व बालिका छात्रावास की वार्डन का 3 वर्षीय कार्यकाल के उपरांत नए तरीके से पद पूर्ति प्रक्रिया के तहत अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। लेकिन कोई शिक्षिकाओं के द्वारा आवेदन नहीं किया जाता इसलिए वार्डन को नहीं हटाया गया है