जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास अधीक्षक/अधीक्षिका की लापरवाही से कई छात्र/छात्राओं की चली गई जान,विभाग बेसुध
सोनपुर आदिवासी बालक छात्रावास में लापरवाही करने वाली अधीक्षक सविता तिवारी को फिर चौरई छात्रावास की जिम्मेदारी..।?
जनजातीय कार्यविभाग संचालित छात्रावासों में अधीक्षकों की लापरवाही के कारण कई छात्र/छात्राओं की चली गई जान फिर भी विभाग नहीं ले रहा सुंध।
रिपोर्ट- रामकुमार राजपूत
दिनांक-14/07/2024
स्थान- छिदंवाडा म.प्र
छिंदवाड़ा (पंचायत दिशा)- जिलें के जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त सतेन्द्र सिंह मरकाम के कार्यकाल में नहीं है सुरक्षित आदिवासी के बच्चे।
आखिर क्यों ऐसे लापरवाही करने वाले अधीक्षक पर मेहरबान रहते है सहायक आयुक्त कि लापरवाही करने वाली अधीक्षक सविता तिवारी को दो बार फिर सौप दिया चौरई का छात्रावास जबकि अभी निलंबित हुई थी ।तो फिर कैसे दे दिया गया दुसरे छात्रावास की जिम्मेदारी जबकि इनकी लापरवाही से सोनपुर बालक छात्रावास में एक छात्र की मौत हो गई थी । लेकिन फिर ऐसी लापरवाह अधीक्षक के जिम्मे आदिवासी समाज के बच्चों की जिम्मेदारी दे दिया गया ये समझ के बाहर है
आखिर कब तक ऐसे लापरवाह अधीक्षक के हाथों में आदिवासी समाज के बच्चो का भबिष्य रहेगा। कब तक ऐसे दोषियों अधीक्षक/ अधीक्षिक के बने है रक्षक। जिलें में पैसे एंव नेताओं की चापलूसी करके आदिवासी समाज के बच्चों का करते रहेगा शोषण।जिलें के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास/ आश्रम शालाओं में दर्जनों धटना आखिर किसकी लापरवाही से हो रही है ।जिम्मेदार कब तक मौन रहेंगे!
धटना-1
छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले छात्र की संदिग्ध मौत,हो गई थी ।बालक छात्रावास सोनपुर अमरवाडा में अचानक तबियत बिगड़ने से 11 वीं के छात्र की मौत हो गई।तबियत खराब होने की सूचना होने के बाद भी छात्रावास अधीक्षक ने बच्चें का समय में इलाज नहीं करा और जब छात्र को अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया। छात्र का नाम ओमप्रकाश उम्र 18 साल थी इसके बाद जिला आदिम जाति कल्याण विभाग सहायक आयुक्त सत्येंद्र मरकाम ने छात्र की मौत के कारणों के जांच आदेश दे दिए हैं। उसके बाद छात्रावास अधीक्षिका को निलंबित किया गया था। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि कुछ माह बाद ही लापरवाह अधीक्षिका सबिता तिवारी को सहायक आयुक्त महोदय ने चौरई में अधीक्षक के पद पर पदस्थ कर दिया। इस आदेश ने सहायक आयुक्त की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खंडा कर दिया है।
धटना-2
ऐसा ही मामला अमरवाडा कान्या छात्रावास की अधीक्षिका ने जनजातीय कार्यविभाग के मुख्यालय के अन्दर आकर सहायक आयुक्त को चप्पल मारनेे की कोशिश की एंव बदसलूकी किया। जिसके बाद अधीक्षिका के ऊपर FRI करया गया था ।उसके बाद अधीक्षिका को जबलपुर कमीश्नर ने निलबिंत कर दिया था। लेकिन नेताओं एंव पैसे के बल पर फिर सहायक आयुक्त मरकाम ने उसी जगह दो पदस्थ. कर दो छात्रावास का प्रभार दे दिया दिया गया। ये बडी धटना थी।
धटना-3
कान्या शिक्षा परिसर में संयुक्त कन्या छात्रावास में एक नाबालिग ने फांसी लगाकर की आत्महत्या कर लिया था ।जिसके बाद पूरे जिलें में सनसनी फैल गई थी ।कि आखिर एक आदिवासी छात्र की मौत कैसे हुई और छात्रा ने आत्महत्या क्यों किया था ।ये सवाल पूरे जिले में था कि निगरानी करने वाली अधीक्षिका कहा थी । जब छात्रावास की एक छात्र पंखे से टंगी मिली थी । इस घटना की सूचना छात्रावास अधीक्षक इंद्राणी बेलवंशी को क्यों नही हुई वो कहा थी । धटना की जानकारी ने पूरे प्रदेश की राजनीति में हलचल आ गई थी ।तुरंत ही जानजातीय कार्यविभाग के मंत्री ने सहायक आयुक्त एंव छात्रावास अधीक्षिका एंव चपरासी को भी निलंबित कर दिया गया था। लेकिन पैसे के बल पर सहायक आयुक्त एंव अधीक्षक ने कोर्ट से स्ट्रो लेकर आ गयें और आज भी यंही नौकरी कर रहे है ।ये जिलें के आदिवासियों का दुर्भाग्य है कि ऐसे लापरवाह के हाथों में उनके बच्चों का भबिष्य है।
धटना-4
चौरई बाईपास पर सड़क हादसे में युवक की मौत हो गई जबकि तीन छात्राएं घायल हो गईं। छात्रावास की तीन छात्राएं गंभीर रूप से घायल हो गई हैं। चौरई अस्पताल में इलाज के बाद तीनों को छिंदवाड़ा जिला चिकित्सालय रेफर किया गया, जहां उनका इलाज किया गया था। यंहा पर अधीक्षिक की लापरवाही थी की वो छात्रावास में नही थी और लडकी किसी लडके के साथ छात्रावास से कैसे गई थी । जिसका आगें जाकर दुर्घटना का शिकार हो गई थी । अधीक्षिका ने बताया कि तीनों छात्रावास में 11वीं कक्षा में अध्यनरत हैं। छुट्टियां लगने के कारण ने चपरासी को आवेदन देकर बिना पूछे ही चली गईं, किसी लड़के के साथ गई थींं। पता चला कि अचानक फोन आया कि खुट पिपरिया के पास एक्सीडेंट हुआ है। उसके बाद सहायक आयुक्त ने छात्रावास अधीक्षिका की लापरवाही देखते हुये उन्हें निलंबित कर दिया था।
धटना-5
परतापुर छात्रावास में नकाबपोश युवक ने 9वीं के छात्र पर किया जानलेवा हमला कर दियें थे।ये धटना
हर्रई विकासखंड के परतापुर स्थित आदिवासी आश्रम में 15 अगस्त की शाम एक छात्र पर अज्ञात नकाबपोश युवक ने हमला कर दिया। पुलिस ने बताया कि 14 वर्षीय छात्र सोनू ढ़करिया कक्षा 9वी में पढ़ता है। देर शाम को आश्रम के पीछे बने टॉयलेट से लौट रहा था। तभी पीछे से एक युवक ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। उसने पीछे देखा तो हमलावर के मुंह पर रूमाल बंधा था। छात्र तुरंत वहां से भाग गया और तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई। लेकिन सवाल ये है कि करोड़ों का छात्रावास भवन जिसमें अंदर ही टॉयलेट होने के बाद भी आखिर छात्र बाहर कैसे गया ।ये मनगढंत कहानी तो नहीं है अधीक्षक को बचाने के लिए..?
धटना-6
जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित बालक आश्रम बटकाखापा में भी एक छात्र की तबीयत खराब होने के बाद भी कई दिनों तक इलाज नहीं कराया गया था ।जब तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी तो बटकाखापा अस्पताल ले गयें थें जंहा बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर उसे नरसिंहपुर ले जाते समय बच्चों की मौत हो गई थी ।जिसके बाद बालक आश्रम बटकाखापा अधीक्षक शिव नारायण ठाकुर को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन फिर वही हुआ। निलंबित होने के बाद शिवनारायण ठाकुर ने नेताओं एंव सहायक आयुक्त से सांठगांठ कर छिदंवाडा जिला मुख्यालय के छात्रावास में अधीक्षक के पद अटैचमेंट कर लिया। इससे समझ सकते हो कि लापरवाही करने वालें पर सहायक आयुक्त मरकाम जी कितने मेहरबान है .?
धटना-6
जिला मुख्यालय के मनसरोवर के पीछे संचालित बालक आश्रम में छोटे छोटे बच्चों से अधीक्षक झाड़ू से सफाई करते वीडियो खूब वायरल हुआ था ।उसके बाद भी दोषी अधीक्षक टी.एन परानी पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जनजाति कार्य विभाग के हॉस्टल में बड़ी लापरवाही चल रही है। छात्रावास की अनियमितता खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकारी स्कूलों और आदिवासी बालक आश्रम शालाओं की हालत लगभग एक जैसी हो चुकी है।. हर जगह से बच्चों से काम करवाने की खबरें आ रही हैं। ताजा मामला जिला मुख्यालय मानसरोवर आदिवासी बालक आश्रम का सामने आया है, जहां आदिवासी आश्रम में छोटे-छोटे आदिवासी बच्चों के हाथों से छात्रावास में झाड़ू लगवाया जाता है. बच्चों ने छात्रावास से जुड़ी अनियमितताओं के बारे में खुद बताया।
अधीक्षक/ अधीक्षिकाओं पर मेहरबान सहायक आयुक्त
जनजातीय कार्यविभाग के सहायक आयुक्त सतेंद्र सिंह मरकाम की मेहरबानी ही कहो कि आज तक ऐसे लापरवाही करने वालें अधीक्षक पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है ।जो आपनी मूलशाला छोड़ बीसों साल से एक ही जगह अधीक्षक के पद पर पदस्थ है और आदिवासी समाज के बच्चों का शोषण कर रहे है। जनजाति कार्यविभाग द्वारा संचालित जिला मुख्यालय में ऐसे कई छात्रावास /आश्रम शालाएं हैं जहां आज भी बच्चे बीमार पड़े हुए हैं। लेकिन जिम्मेदार सहायक आयुक्त एवं अधीक्षक /अधीक्षिका इन बच्चों की देखरेख नहीं कर पा रहे हैं। आज भी इन छात्रावास में रहने वालें बच्चों के साथ खुलेआम शोषण हो रहा है लेकिन जिले में बैठे सहायक आयुक्त इसे नजर अंदाज कर बैठे हैं। आखिर सहायक आयुक्त ऐसे दोषी एंव लापरवाह करने वालें अधीक्षक/ अधीक्षिका पर कब तक मेहरबानी करते रहेंगे जो आदिवासी समाज के बच्चों पर शोषण कर रहे है?एंव उनके मिलने वाली योजनाओं में पलीता लगाकर लाखों कमा रहे है
ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल-8839760279