Home CITY NEWS जिले के एक शिक्षा विभाग के अधिकारी की लग्जरी कार इन दोनों...

जिले के एक शिक्षा विभाग के अधिकारी की लग्जरी कार इन दोनों चर्चाओं में….?…

जिले के एक शिक्षा विभाग के अधिकारी की लग्जरी कार इन दोनों चर्चाओं में….?
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा /मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी की लग्जरी कार इन दिनों में खूब चर्चाओं में,साहब अपनी लग्जरी कर में अपने ऑफिस आ रहे हैं सूत्रों का कहना है कि इस कर को कुछ स्कूलों में सामग्री सप्लाई करने वाले फार्म संचालक एंव प्राईवेट स्कूल संचालक के चांदे के पैसे से खरीदी गई है, शिक्षा विभाग के अधिकारी ने निजी स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति में विगत तीन सालों से गड़बड़ी कर स्कूल संचालकों को लाखों रुपए फायदा पहुंचाया है, निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 इट के तहत गरीब बच्चों को मुफ्त बढ़ाने के बदले सरकार निजी स्कूलों को 4209 रुपए प्रति छात्र फीस की प्रतिपूर्ति करती है, जिलें में ऐसे कई स्कूल है जो सिर्फ कागजों में संचालित हो रहे हैं, और बाकायदा निजी स्कूल संचालक बच्चों के नाम पर पैसे निकल रहे है, क्या फीस के अलावा शेष राशि को स्कूल और अफसर आपस में बांट लेते हैं

स्कूलों में खेल सामग्री के नाम पर भी लाखों की हेराफेरी…?
जिले में संचालित स्कूलों में ऐसे कल स्कूल है जितना बिना सामान खरीदे फर्जी बिलों के द्वारा लाखों रुपए का भुगतान हो चुका है, कल स्कूलों में भी मरम्मत के नाम पर सालों से राशि निकाली जा रही है लेकिन स्कूलों में एक भी काम नहीं हुआ है, जबकि सरकार शासकीय स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाए जाने का दावा कर रही है, उधर शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकार की उन योजनाओं में घोटाला कर रहे हैं जो शिक्षा की स्थिति को ऊंचा उठाने में कारगर है,सूत्रों का कहना है कि यदि स्कूलों की जाँच हुई तो बडा मामला निकलकर सामने आएगा, क्योंकि स्कूल में मेंटेनेंस, स्टेशनरी शिक्षा व खेल सामग्री पर सरकार हर साल लाखों रुपए बजट दे रही है

जिलें में कई फार्म संचालक एवं जिले के अधिकारियों की तीन सालों से चल रही मिली भगत….
जिले में इन दोनों संचालित स्कूलों में स्टेशनरी खेल सामग्री, को स्कूल के हेड मास्टरों को खरीदना था और बीआरसी कार्यालय में जमा करना था इसके बाद बीआरसी कार्यालय द्वारा फॉर्म के बिल का भुगतान ऑनलाइन करना था लेकिन बीआरसी कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों ने इसको उल्टा किया उन्होंने स्वयं कार्यालय में फॉर्म को बुलाकर बिल ले लिए और उन दिनों पर हेड मास्टर से हस्ताक्षर कर लिए जाते है इसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों 90% हिस्सा स्वयं रख लेते हैं और 10% हिस्सा पर मलिक को दे दिया जाता है इस तरह जिले में इन दोनों वर्षों से यह खेल चल रहा है…

;

शिक्षा विभाग के अधिकारी की लग्जरी….

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इन दोनों भ्रष्टाचार चरम पर है आए दोनों यहां लोकायुक्त का छापा लगने के बाद भी जिलें के अधिकारी भ्रष्टाचार करने से नहीं चूक रहे हैं, विगत 2 सालों में दर्जनों मामले आने के बाद भी अधिकारी भ्रष्टाचार करने से नहीं चूक रहे हैं,शिक्षा विभाग के बीईओ एंव जनजातीय विभाग में करोडो के भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो चुके हैं कई अधिकारी कर्मचारियों पर फिर भी हो चुकी है लेकिन फिर भी अधिकारी भ्रष्टाचार करने से आखिर क्यों नहीं डर रहे हैं…


शिक्षकों को टैबलेट खरीदने के मामले में भी घोटाला….
जिले के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाई का तरीका बदलने के लिए हाथ से सरकार ने स्कूलों को हाई टेक्नोलॉजी से जोड़ने का प्रयास किया था सरकार ने बच्चों को स्मार्ट तरीके से पढ़ाई जाने को लेकर शिक्षकों को टैबलेट दिया था, लेकिन यह कितनी कारगर साबित हुई यह तो धरातल में जाकर देखा जा सकता है 3 साल पहले भी सरकार टैबलेट देकर ऐसा प्रयोग कर चुकी है जिससे असफलता ही हाथ लगी है

छिंदवाड़ा स्कूल स्मार्ट क्लास.. टैबलेट के लिए मिली थी राशि…
शिक्षा विभाग ने इसके लिए जिले के सभी प्राथमिक शाला के प्राथमिक शिक्षकों को टैबलेट खरीदने के लिए पैसे दिए थे, जिसके लिए शासन की ओर से ₹10000 की राशि भी दी जा चुकी थी, जहां हजारों की संख्या में शिक्षा विभाग ने टैबलेट खरीदे थे, लेकिन 3 साल पहले खरीदे थे टैबलेट का अब तक पता नहीं है हाल यह है कि बहुत से स्कूल में यह टैबलेट अलमारी के अंदर बंद पड़े हैं या फिर इसका विभाग के आला अधिकारियों को पता ही नहीं है ऐसे में फिर दो बार फिर लाखों रुपए के टैबलेट खरीदा गया था जबकि पहले के टैबलेट का भी पता नहीं था…