गर्ल्स हॉस्टल में रात में रहता है अधीक्षिका पति, जिम्मेदार कर रहे अनदेखी..?
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा / मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिलें में जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित कन्या हॉस्टल में इन दिनों नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जंहा कान्या हॉस्टल में 5 बजें के बाद कोई भी पुरुष अन्दर  नही जा सकता है लेकिन छिंदवाड़ा जिलें के जुन्नादेव ब्लॉक के धानाउमरी कान्या आश्रम में ऐसा ही एक मामला समाने आया है जंहा अधीक्षिका पति भी रात में कान्या हॉस्टल (आश्रम )में रहता है,लेकिन जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त, मंडल संयोजक, क्षेत्र संयोजक, बीईओ कभी भी इन हॉस्टलों का निरीक्षण नहीं करते है, जिसके कारण छिंदवाड़ा जिलें में अधीक्षक/अधीक्षिकाओं की लापरवाही से जिलें में दर्जनों घटनाएं सामने आ चुकी है, लेकिन उसके बाद भी सहायक आयुक्त महोदय कभी ध्यान नही देते है। जबकि नियम विरुद्ध तरीके से अधीक्षिका ने अपने पति को हॉस्टल में रखती हैं जो रात को भी यही रहते है जबकि नियम है कि रात में कोई भी पुरुष कान्या हॉस्टल में नहीं रह सकते है, नियम न होने के बावजूद अधीक्षिका आपने पति को अपने साथ  में रख रही है।
आखिर कब होगी ऐसी अधीक्षिकाओं पर कार्यवाही..?
छिंदवाड़ा जिले में जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित कन्या छात्रावास में इन दिनों छात्राएं को प्रताड़ना की खबरें आम बात हो गई है, लेकिन उसके बाद भी विभाग के जिम्मेदार इस और ध्यान नहीं दे रहे है, सूत्रों का कहना है कि ऐसी ही धटना जिला मुख्यालय के कान्या छात्रावास में प्रताड़ना से तंग आकर एक आदिवासी छात्राएं ने आत्महत्या तक कर लिया था,लेकिन आज दिनांक तक जिम्मेदार अधीक्षिका पर कोई कार्यवाही नहीं हुई , दुसरी धटना न्यूटन चिखली कन्या छात्रावास में देखा गया जंहा छात्राए ने एंसडीएम कार्यालय परासिया मैं अधीक्षिका की शिकायत लेकर पहुंची और उन पर प्रताड़ना का आरोप तक लगया गया थे,लेकिन आज तक इस जगह से अधीक्षिका को नहीं हटाया गया है,
नियम विरुद्ध तरीके से अधीक्षिका रख रही कन्या हॉस्टल में अपने परिवार को…
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी कन्या हॉस्टल में पाँच बजे के बाद कोई भी पुरुष का अन्दर जाना माना है चाहे वह कोई कर्मचारी भी क्यों ना हो उसके बाद भी आज जिलें के कई कन्या हॉस्टल में अधीक्षिकाओं के परिवार एंव उसके पति भी साथ में रहते है, लेकिन ऐसे हॉस्टल पर विभाग निरीक्षण क्यों नहीं करा रहा है, लगता है कोई बडी धटना होने का इंतजार कर रहे है..?
धाना उमरी कन्या हॉस्टल में वर्ष 2018 से पदस्थ अधीक्षिका….
छिंदवाड़ा जिले के जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास /आश्रम शालाओं में शिक्षक दस दस सालों से पदस्थ है, जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश है कि 3 साल से ज्यादा कोई भी शिक्षक/शिक्षिकाओं को अधीक्षक के पद पर नहीं रखा जा सकता लेकिन छिंदवाड़ा जिले में जनजाति कार्य विभाग के अधिकारी नियमों की अनदेखी कर ऐसे शिक्षक/शिक्षिकाओं को नहीं हटा रहे हैं, जो दस दस सालों से एक ही छात्रावास में पदस्थ है, ऐसा ही कन्या आश्रम में देखा गया है कि सुशीला कहार वर्ष 2018 से यंहा पर पदस्थ है लेकिन उनको शिक्षण कार्य के लिए उनके मूल शाला नहीं वापस किया गया है
कान्या छात्रावास /आश्रम में पुरुष का प्रवेश अत्यंत आपत्तिजनक…
सूत्रो की जानकारी के अनुसार धानाउमरी कान्या आश्रम में पदस्थ अधीक्षिका सुशीला कहार आपने पति के साथ चार दिन धानाउमरी में रहती है और शनिवार को वो आपने पति के साथ छिंदवाड़ा चली जाती है और फिर सोमवार को आती है, यंहा दो दिन एक महिला कर्मचारी के भरोसे रहती है छात्राएं, लेकिन जनजातीय विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कभी इस आश्रम का निरीक्षण नही करते है, जिसके कारण अधीक्षिका की मनमानी चरम पर है
छात्राओं को मीनू के हिसाब से नहीं मिलता भोजन एवं नाश्ता…
जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा द्वारा संचालित छात्रावास एवं आश्रम शालाओं में इन दिनों सेंकडो शिकायत होने के बाद भी लापरवाह अधीक्षक/आधीक्षिका पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जिसके कारण बच्चों को गुणवत्ता युक्त भोजन एवं नाश्ता नहीं मिल पा रहा है..!
छात्रावास /आश्रम अधीक्षक/अधीक्षिकाओं का कहना 4 महीने से नहीं मिली शिष्यावृती…
छिंदवाड़ा जिले में जनजाति कार्यवाहक द्वारा संचालित छात्रावास एवं आश्रम शालाओं में बच्चों के भोजन एंव नास्ता के बिषय में जब अधीक्षक से बात कियें तो उनका कहना है कि चार महिने से शिष्यावृती नहीं मिली है हम लोगों के ऊपर लाखों का कर्ज हो गया है दुकानदार कोई सामान नहीं दे रहे हैं हमारी सैलरी भी बच्चों को भोजन में ही समाप्त हो जाती है,अब क्या हम अपनी जमीन जायदाद बेचकर इन बच्चों को भोजन नास्ता कराएंगे , हमारी जितनी गुंजाइश हम लोगों ने कर्ज कर करके अभी 4 महीने से इन बच्चों को अच्छे से अच्छा भोजन कराया है लेकिन अब कहा से करें व्यवस्था, उनका कहना है कि शासन एवं विभाग के उच्च अधिकारियों को चिंता होना चाहिए कि इन बच्चों की भोजन व्यवस्था कहां से होगी..?
 
            
