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असुविधाओं के बीच संचालित आदिवासी कान्या छात्रावास कन्हरगांव,रात्रि में नहीं रहते अधीक्षिका ..

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असुविधाओं के बीच संचालित आदिवासी कान्या छात्रावास कन्हरगांव,रात्रि में नहीं रहते अधीक्षिका ..

छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से आना जाना करती है अधीक्षिका
छिंदवाड़ा / जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित आदिवासी सीनियर कान्या छात्रावास कन्हरगांव में एक महिला कर्मचारी के भरोसे इन दिनों छात्रावास संचालित हो रहा है, यंहा पदस्थ अधीक्षिका वीनस दुबे सप्ताह में एक-दो दिन ही छिंदवाड़ा से आती है जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी अधीक्षिका शासन के आदेश को ठेंगा दिखा रही है, और छात्राएं की सुरक्षा की अनदेखी कर रही है लेकिन जिलें में बैठे सहायक आयुक्त ऐसे लापरवाही करनी वाली अधीक्षिका को नही हटा रहे है, जबकि अधीक्षिका दसों साल से अधीक्षिका के पद पर पदस्थ है इन्हे क्यों नही हटा रहे है ये एक बडा सवाल है जबकि शासन के निर्देश है कि 3 साल से ज्यादा जो अधीक्षक /अधीक्षिका है उन्हें उनकी मूलशाला में शिक्षण कार्य हेतु पदस्थ किया जायें लेकिन जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा में ऐसे दर्जनों शिक्षक अधीक्षक के पद पर पदस्थ हैं, और जो शिक्षक छात्रावासों में अधीक्षक/आधीक्षिका के पद पर पदस्थ है उनकी लापरवाही बढ़ती जा रही है। छात्राएं असुविधा और भोजन नाश्ता भी मेन्यू के हिसाब से नही दिया जा रहा है । कन्हरगांव के सीनियर कान्या छात्रावास में छात्राएं बगैर अधीक्षिका के रात्रि में रहने का मजबूर हो रहे है। जहां रात्रि में छात्राओं को कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही है। उसके बाद भी जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शासन के द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जनजाति कार्य विभाग के माध्यम से गरीब आदिवासी परिवारों के बच्चों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा उन योजनाओं का संचालन प्राथमिकता से नहीं किया जा रहा है। कन्हर गांव में संचालित सीनियर कान्या आदिवासी छात्रावास असुविधाओं के बीच संचालित है। रात्रि के समय अधीक्षिका घर चली जातीहै। परासिया विकासखंड में आने वाली ग्राम पंचायत कन्हरगांव में संचालित आदिवासी सीनियर कान्या छात्रावास भगवान भरोसे चल रहा है। वहां पदस्थ अधीक्षिका छिंदवाड़ा से आना जाना करती है, लेकिन जिलें में बैठे अधिकारी कभी भी ऐसे छात्रावासों का निरीक्षण तक नहीं करते है ये कहो इन्हे समय ही नही मिलता है जिला मुख्यालय से बाहर आने का छिंदवाड़ा से कन्हरगांव की दूरी तीस किमी लगभग है ग्रामीण ने बताया कि पदस्थ अधीक्षिका कभी कभार ही आते है। जबकि
शासन के ऐसे नियम है कि जहां पर बालक या बालिका छात्रावास स्थापित है, वहां पर शिक्षक शिक्षिक शिक्षिका रहना जरूरी होता है। जिससे दिन और रात्रि में छात्रों की समस्याओं का समाधान हो सके। लेकिन यहां के अधीक्षिका सप्ताह में एकाध दिन ही आते है।

इनका कहना

वहां के छात्रावास में कौन अधीक्षिका के पद पर है जानकारी करता हूं, अगर वह छात्रावास में नहीं रहती है तो जांच करके कार्रवाई की जाएगी। जिससे छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को सुविधाओं का लाभ मिल सके।
मनीष कुमार बोरकर , क्षेत्र संयोजक जनजाति कार्य विभाग