फिर चार शिक्षकों का हुआ कन्या परिसर में संलग्नीकरण
नोट और नेतागिरी से ट्राइबल में खुले अटैचमेंट के रास्ते
पंचायत दिशा समाचार
छिंदवाड़ा /जिला मुख्यालय में कई अतिशेष शिक्षक सालों से जुगाड़ कर आश्रम शालाओं और छात्रावासों में जमे बैठे थे। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के संज्ञान में मामला आने के बाद उन्होंने ट्रायबल विभाग के सहायक आयुक्त को तत्काल अतिशेष शिक्षकों को मूल शालाओं में भेजने के आदेश जारी किए थे।
कलेक्टर के आदेश पर दर्जनों शिक्षकों को वापस मूल शालाओं में भेजा गया था लेकिन छह महीने भी नहीं बीते की एक बार फिर जुगाड़बाज शिक्षक वापस शहर मुख्यालय की ओर रूख करने लगे हैं। आलम यह है कि कन्या परिसर में ही सहायक आयुक्त ने हाल ही में 4 शिक्षकों को नियम विरूद्ध तरीके से अटैच कर लिया है। एक तरफ जहां कलेक्टर आदिवासी अंचलों में बच्चों की बेहतर शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कामचोर शिक्षक
जुगाड़बाजी करके नोट और नेताओं के दम पर वापस शहर मुख्यालय में आकर आराम फरमाने में लगे हुए हैं। जबकि विभागीय अधिकारी और बाबूओं की भी इस खेल में संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है।
सालों से जमे अधीक्षक
ट्रायबल विभाग में नामुमकिन काम भी नोट के दम पर मुमकिन हो सकता है।
सालों से कई अधीक्षक अंगद के पांव की तरह छात्रावासों में जमे बैठे हैं। विभाग द्वारा सिर्फ नाममात्र की कार्यवाही कर अधीक्षकों को निलंबित किया जाता है जिसके कुछ दिनों बाद ही उन्हें वापस अधीक्षक के पद पर पदस्थ कर दिया जाता है। 80 प्रतिशत मामलों में निलंबित अधीक्षकों को ही दोबारा छात्रावास का चार्ज दिया गया है जबकि नियम के मुताबिक तीन साल से अधिक समय तक कार्य करने वाले अधीक्षकों को वापस स्कूल भेजने का प्रावधान है। शहर में कई अधीक्षक ऐसे हैं जो आज तक स्कूल बच्चों को पढ़ाने गए ही नहीं शिक्षक पद पर नियुक्ति हुई थी और अधीक्षक का काम करते हुए रिटायरमेंट होने जा रहे हैं।