कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं को तरस रही अध्ययनरत बालिकाएं….
नंदौरा, खुमकाल कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में वार्डन की मनमानी चरम पर…
कस्तूरबा गांधी खुमकाल की वार्डन 10 वर्षों से अधिक समय से एक ही जगह पदस्थ…?
मध्य प्रदेश शासन के आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं जिला परियोजना समन्वयक
रिपोर्ट ठा.रामकुमार राजपूत
मोबाइल -8989115284
पंचायत दिशा समाचार छिदंवाडा– भारत सरकार व मध्य प्रदेश सरकार सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए ब्लॉकों में तथा अल्प संख्यक बाहुल्य शहरी क्षेत्रों में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय संचालित की जा रही है ।इन विद्यालयों में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक परिवार की बालिकाएं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की बालिकाएं उच्च प्राथमिक कक्षाओं 6,7,8 में निशुल्क अध्ययन करने हेतु संचालित हो रही हैं। इन्हें अध्ययन के साथ-साथ समस्त सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं वर्तमान में सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत जिले में 14 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय संचालित हैं। इन विद्यियालयो का उद्देश्य वंचित वर्ग कि उन बालिकाओं को जोड़ना है जो कठिन परिस्थितियों और दुर्गमवास स्थानों में रहते हुए किसी भी कारणवश( यथा सामाजिक पारिवारिक) आदि विधियालयो नहीं जा सकती अथवा जिनकी आयु कक्षा में अध्ययनरत बालिकाओं से अधिक उम्र हो चुकी है उन्हें यहां रखा जाता है लेकिन आज मध्यप्रदेश एवं भारत सरकार इन बालिकाओं के उत्थान के लिए लाखों प्रयास कर रही है। एवं इसके लिये करोड़ों का बजट आवंटित कर रही है ।लेकिन उसके बाद भी बालिकाओं की जीवन शैली बदली नहीं गई है। इसका मुख्य कारण जिले में बैठे प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी जो शासन की योजनाओं को पलीता लगा रहे है। इन बालिकाओं को मिलने वाली सुविधाओं में वार्डन द्वारा भारी गोलमाल कर उनकी बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर रही है
जबकि भारत सरकार एंव मध्य प्रदेश सरकार कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका छात्रावास के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का बजट आवंटित कर रही है ।जिससें इन बालिकाओं को तमाम सुविधा मिल सके इसके लिए शासन ने स्पेशल पैकेज के तहत इन विद्यालयों का संचालन प्रारंभ किया है लेकिन यहां पदस्थ वार्डन सिर्फ इन योजनाओं को कागजों में चला रही है ।और योजनाओं को कागज में दिखाकर लाखों रुपए की हेराफेरी कर रही हैं।जैसें बालिकाओं के नाम से आने वाली योजनाएं जैसे खेल प्रतियोगिता ,खेल सामग्री ,किशोरी मेला, बालिकाओं को आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण ,बालिकाओं के भ्रमण कार्यक्रम, कंप्यूटर शिक्षा आदि योजनाओं के नाम से मध्य प्रदेश एवं भारत सरकार लाखों का बजट आवंटित कर रही है लेकिन यहां पदस्थ वार्डन इन योजनाओं को पलीता लगा रही हैं।जिसके कारण जिले में इन छात्रावास में अध्ययनरत बालिकाओं की दुर्दशा देख कर आप समझ सकते हो
इसका मुख्य कारण है कि यहां पदस्थ वार्डन जो बरसों से एक ही जगह पर पदस्थ हैं।इनको इनकी मूल शाला में बर्षों से नहीं वापस किया गया है । इसका मुख्य कारण जिलें मे बैठे अधिकारी से सांठगठ के कारण इन वार्डन को नहीं हटाया गया है, जबकि मध्यप्रदेश शासन के निर्देश में स्पष्ट है कि जिन वार्डन के 3 वर्ष हो गए हैं उन्हें तत्काल उनके प्रभाव से मुक्त कर उन्हें मूल शालाओं में वापस किया जाए और नजदीक की शालाओं से शिक्षिकाओं को वार्डन बनाया जाए लेकिन जिला परियोजना समन्वयक की सांठगांठ से आज दिनांक तक इन वार्डन को नहीं हटाया गया । और जिलें में बैठे अधिकारी का इनको खुलकर संरक्षण प्राप्त हो रहा है यही कारण है कि जिले में पदस्थ परियोजना अधिकारी इन्हे नही हटा रहे है। सिर्फ दिखावा के लिए हर साल प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देते हैं वह भी अपने ऑफिस में ही बाकि आज तक किसी राष्ट्रीय समाचार पत्र में आज तक निविदा जारी नहीं की गई है, और जिलें में बैठे अधिकारी बरसों से मिली भगत कर इन्हे खुला संरक्षण दे रहे है और कार्यवाही नहीं करते इसी कारण इन आदिवासी बालिकाओं का आज इन छात्रावासों में खुलकर शोषण हो रहा है एवं जिले में बैठे अधिकारी भी इसी कारण सांठगांठ कर खुलेआम भ्रष्टाचार कराकर इन योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कस्तूरबा गांधी छात्रावास आज छिंदवाड़ा जिले में संचालित हो रहे हैं लेकिन यहां सिर्फ देखने के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय हैं बाकी इनका संचालन भगवान भरोसे चल रही है । अब देखना है कि जिलें के अधिकारी एवं प्रदेश में बैठे उच्च अधिकारी इन आवासीय विद्यालय की ओर कब ध्यान देंगे और कब इन आदिवासी हरिजन बालिकाओं का उत्थान होगा ?या सिर्फ छिंदवाड़ा जिले में इनका विकास कागजों पर ही होता दिखेगा और कस्तूरबा गांधी छात्रावास की वार्डन मालामाल होते रहेंगे..?