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परासिया छात्रावास के कुँए में छात्र की मौत.. होने के बाद अधीक्षक निलंबित… अधीक्षक ने लाया कोर्ट से स्टे..?

परासिया छात्रावास के कुँए छात्र की मौत.. होने के बाद अधीक्षक निलंबित… अधीक्षक ने लाया कोर्ट से लाया स्टे..?

जनजाति विभाग के अधिकारी को ठेंगा दिखा रहे हैं अधीक्षक…, ले रहे कोर्ट का सहारा…!

छिंदवाड़ा के आदिवासी विकास विभाग कोई धनी – मालिक नही…?

जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा द्वारा संचालित छात्रावास के अधीक्षक बेलगाम…?

अफसर भृष्टचार में डूबे, चौथ वसूली से बेलगाम छात्रावास व्यवस्था…

पंचायत दिशा समाचार

छिंदवाड़ा के जनजातीय कार्य विभाग के अधीक्षक एंव विभाग के अधिकारी की लापरवाही से पिछले दिनों एक छात्र की जान ले ली है। विभाग के परासिया – रावनवाड़ा मार्ग पर स्थित अनुसूचित जाति छात्रावास के कुएं में गिरकर कक्षा नवमी में पढ़ने वाले एक छात्र की दर्दनाक मौत हो गई थी । जिस दौरान यह घटना घटी छात्रावास का अधीक्षक छात्रावास में नही था। जानकारी के अनुसार छात्रावास में रहने वाला कक्षा नवमी का छात्र मोहित चौकसे छात्रावास में पानी ना होने के कारण छात्रावास में ही बने कुएं में अपने दोस्त के साथ नहाने गया था। वह नहाने के लिए कुँए में कूदा तो फिर बाहर ही नही आ पाया। कुँए में करीब 20 फिट पानी था। घटना से छात्रावास में हड़कंप मच गया था,तत्काल ही घटना की खबर परासिया पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौका मुआयना कर छात्र के शव को कुएं से बाहर निकलवाकर पोस्टमार्टम के लिए परासिया अस्पताल भेजा था,

घटना की खबर के बाद अधीक्षक संतोष ठाकुर छात्रावास पहुंचे लेकिन उनके पास कोई जवाब नही था कि जब छात्रावास में बाथरूम है तो फिर छात्र कुँए में नहाने क्यो जाने दिया गया था। यदि छात्रावास की पानी टँकी में पानी नही था तो अधीक्षक को व्यवस्था कराना था आखिर कुँए में लगी मोटर क्यो नही चल रही थी। व्यवस्था बनाने की जगह अधीक्षक छात्रावास में ही नही था

दरअसल जनजातीय कार्य विभाग छात्रावास और आश्रमो की व्यवस्था को लेकर भ्रष्टाचार में डूबा है। हर माह की चौथ वसूली के चलते छात्रावासों के अधीक्षक बेलगाम है। ड्यूटी के लिए छात्रावास में मौजूद नही रहते हैं। छात्रावास के लिए शासन करोड़ो का फंड देता है लेकिन होता कुछ नही है। बच्चो के नाम पर विभाग के सहायक आयुक्त, क्षेत्र संयोजक और अधीक्षक चांदी काटते हैं। हर माह कन्या परिसर में छात्रावास अधीक्षकों की बैठक होती है। इस बैठक में छात्रावास व्यवस्था की बात नही होती बल्कि अधीक्षकों से सीधे धन उगाही होती है। जो अधीक्षक धन नही देता तो फिर उसे कारण बताओ नोटिस, निलंबन से लेकर विभागीय जांच तक के नोटिस सहायक आयुक्त के कार्यालय से दे दिए जाते हैं। यह बैठक सहायक आयुक्त और क्षेत्र संयोजक बुलाते हैं। जिन पर छात्रावास और आश्रम के निरीक्षण और व्यवस्था का जिम्मा है। केवल चौथ वसूली के लिए यह बैठक होती है। जिसका परिणाम यह है कि अधीक्षक केवल बजट का ही गोलमाल नही करते बल्कि छात्रावासों को मिलने वाला राशन तक बेच देते हैं।

विभाग के जिले में करीब 110 छात्रावास और 65 आश्रम है। जिनमे एस सी और एस टी वर्ग के गांव के छात्र – छात्राए रहते हैं। 50 से 100 सीटर तक ये छात्रावास और आश्रम है। हाल ही में शासन ने छात्रावास में रिपेयरिंग और सामग्री की खरीदी के लिए हर छात्रावास को 5-5 लाख का बजट सीधे अधीक्षकों के खातों के दिया था। किसी एक भी अधीक्षक ने ना तो छात्रावास में कोई रिपेयरिंग का कार्य कराया ना ही कोई सामग्री खरीदी है। बस शासन से आया बजट फर्जी बिल बाउचर लगाकर समाप्त – कर दिया है। इसके बाद फिर बजट की डिमांड भेज दी है। छात्रावासों का यह हाल विभाग ने बना रखा है। छात्रावासों के प्रभार के लिए अधीक्षकों में लड़ाई इतनी कि वे जूतमपैजार करने में भी पीछे नही है।

अधीक्षक/अधीक्षिका के छात्रावास से स्थानांतरण होने के बाद भी दुसरे अधीक्षक के नहीं देते है चार्ज, सीधे तौर पर सहायक आयुक्त ने आदेश पर ऐसे अधीक्षक पर कोई प्रभाव नही पडता है और वो फिर नेतागिरी करने निकल पडते है और कई दिनों तक नेताओं के दरवाजे खटखटाते रहते हैं.. लेकिन फिर भी सहायक आयुक्त ऐसे लापरवाही करने वालें अधीक्षक पर कोई कार्रवाई नहीं करते है… कई अधीक्षक ने तो पैसे के बल पर कोर्ट से स्टै आकर फिर उसी छात्रावास में नौकरी कर रहे हैं

परीवीक्षा अवधि वाली शिक्षक के बना रखा था अधीक्षिका, शिकायत के बाद हटाया…?
जनजाति कार्य विभाग छिंदवाड़ा में ऐसे ऐसे कारनामा होते है कि जो शिक्षिका ने एक साल भी परीवीक्षा अवधि की नौकरी नहीं किया था और उसे अधीक्षिका प्रभार दे दिया गया था उनकी मूलशाला से हटाकर, शिक्षिका की शिकायत के बाद सहायक आयुक्त ने जाँच उपंरात उन्हें उनकी मूलशाला वापस कर दिया गया, लेकिन शिक्षिका ने अभी तक आपनी मूलशाला पर जॉइनिंग नहीं दी है और सीधे तौर पर सहायक आयुक्त के आदेश की अवहेलना की जा रही है, अब देखना है सहायक आयुक्त ऐसे लापरवाही करने वाली शिक्षिका पर क्या कार्रवाई करते हैं..