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स्कूल में बिना छत के कैसे शिक्षा ले रहे बच्चे………आखिर कौन है जिम्मेदार..

बिना छत के स्कूल में पढ़ रहे हैं छोटे- छोटे बच्चे

स्कूल में बिना छत के कैसे शिक्षा ले रहे बच्चे………आखिर कौन है जिम्मेदार

शासकीय हाई स्कूल छाता में खुले आसमान के नीचे चल रहा भविष्य के लिए बुनियादी शिक्षा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भले ही बेसिक शिक्षा को सुधारने का दावा कर रही हो लेकिन सरकारी महकमे के बड़े पद पर बैठे अधिकारियों की लापरवाही के कारण हकीकत कुछ और दिखाई दे रही है सर्व शिक्षा अभियान की पोल खोल रही छाता के हाई स्कूल जहां पर बच्चों को पढ़ने के लिए छत नहीं और ना ही किसी बेसिक व्यवस्था उपलब्ध है।

छिंदवाड़ा– जिले के हरई विकासखंड के अंतर्गत के छाता शासकीय हाई स्कूल का है जहा कक्षाएं आसमान के नीचे चल रही है.छोटे- छोटे बच्चे आसमान के नीचे कड़ाके ठंड में पढ़ने के लिए मजबूर हैं. दो कमरे में ही सभी टीचर बच्चों शिक्षा देते हैं. बेसिक शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है. यह हालत सरकारी स्कूल के इस व्यवस्था को देखने के बाद जरूर पता लग रहा है.


प्रदेश सरकार विकास को लेकर भले ही सख्त हो लेकिन इन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के सिर पर न छत है और न ही शौचालय बच्चों को साफ पीने का पानी भी नहीं मिल रहा है. जब बारिश होती है तो यह बच्चे आस-पड़ोस के मकानों के नीचे पनाह लेते है।


बताया जा रहा है कि पिछले 3 साल से अतिरिक्त कक्ष निर्माण पंचायत द्वारा किया जा रहा है लेकिन अभी तक छत नहीं बन पाई है. स्कूल की बिल्डिंग बनने का काम भी रुका हुआ है. ऐसे में जब शिक्षा व्यवस्था ही बदहाल है तो बच्चे कैसे शिक्षित होंगे, कैसे उनकी बुनियाद मजबूत होगी. संबंध में जब स्कूलों के अध्यापकों से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जैसी व्यवस्था है वैसे ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. इन स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है. न शौचालय है और न ही स्वच्छ पेयजल है।