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जिले में गेंदे की खेती से किसानों को लाखों का मुनाफा, देशभर में बढ़ती मांग…

छिन्‍दवाड़ा/ जिले के मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम पालाखेड़ में किसानों ने गेंदे के फूलों की खेती में नवाचार अपनाकर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यहां के प्रगतिशील किसान श्री देवानंद बादबुधे ने गेंदे की उन्नत किस्मों की खेती करके प्रति एकड़ करीब ढाई से तीन लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है। 26 अक्टूबर को उप संचालक कृषि श्री जितेंद्र कुमार सिंह ने विभाग की टीम के साथ पालाखेड़ के इस प्रगतिशील किसान के खेत का दौरा किया, जहां बड़ी संख्या में आसपास के किसान भी पहुंचे थे।

उन्नत किस्मों से हो रहा है अच्छा उत्पादन-

टेसर कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई गेंदे की उन्नत किस्मों का प्रदर्शन पालाखेड़ गांव में किया गया। यहां करीब 200 एकड़ में किसान गेंदे की खेती कर रहे हैं और मार्केट की कीमतों के आधार पर प्रति एकड़ एक लाख से चार लाख रुपये का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। मोहखेड़ ब्लॉक में कुल मिलाकर लगभग 1000 एकड़ में गेंदे की खेती की जा रही है, जिससे किसानों को लगातार मुनाफा हो रहा है।

रेज्डबेड तकनीक से बढ़ रहा उत्पादन-

किसान बताते हैं कि बारिश के मौसम की शुरुआत में रेज्डबेड तकनीक का उपयोग करके गेंदे की बोनी की जाती है। चार माह की इस फसल से किसानों को दो तुड़ाई का अवसर मिलता है, जिसमें प्रति एकड़ तीन से पाँच टन तक का उत्पादन हो रहा है। नवरात्रि से दीपावली के बीच, जब बाजार में फूलों की मांग और कीमत बढ़ जाती है, किसान प्रति किलो फूल 50 से 100 रुपये में बेचते हैं। इस तरह एक औसत किसान प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रुपये का मुनाफा कमा लेता है।

बाजार में बढ़ती मांग-

छिंदवाड़ा जिले के गेंदे के फूलों की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि व्यापारी इन्हें नागपुर, रायपुर, भोपाल, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों तक सीधे खेतों से ले जा रहे हैं। जिले में फूलों की खेती का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है और वर्तमान में लगभग 2500 एकड़ में फूलों की खेती की जा रही है। त्यौहारों और आयोजनों में फूलों की मांग निरंतर बढ़ने के कारण किसान पारंपरिक फसलों की अपेक्षा फूलों की व्यावसायिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार-

फूलों की खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। कम समय में ज्यादा लाभ मिलने के कारण किसान फूलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस कार्यक्रम में टेसर कंपनी के प्रतिनिधियों समेत बड़ी संख्या में स्थानीय किसान भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस नवाचार और गेंदे की खेती से हो रहे लाभ को देखकर प्रेरणा ली। छिंदवाड़ा जिले के गेंदे की खेती का यह प्रयोग आने वाले समय में दूसरे किसानों के लिए एक आदर्श बन सकता है, जिससे जिले के अन्य किसान भी प्रोत्साहित होकर व्यावसायिक खेती में आगे आ सकेंगे।

रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत

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