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हे ‘विष्णु’ जी! आदिवासियों बच्चों के लिए करोड़ो की सामग्री खरीदे आपके अफसरों ने, अब खा रहे हैं धूल..

हे ‘विष्णु’ जी! आदिवासियों के बच्चों के लिए करोड़ो की सामग्री खरीदे आपके अफसरों ने, अब खा रहे हैं धूल..

मध्यप्रदेश के छिदंवाडा जिले में एक अलग ही खेला देखने को मिल रहा है. यहां सरकारी फंड से पिछले दो सालों 20 करोड़ रुपए से अधिक की छात्रावास एंव आश्रम शाला के अध्ययनरत बच्चों के लिए सिर्फ अधिकारियों ने कमीशन के चक्कर में खरीद डालें जो अब धूल खा रहे है या खराब हो रहे है , लेकिन आपको हैरानी होगी कि इनकी शिक्षा-दीक्षा देने के लिए कोई एक्सपर्ट या टीचर स्कूलों में है ही नहीं. आश्चर्य तब और होता है जब पंचायत दिशा समाचार की पड़ताल में पता चला कि इन सामग्री का बच्चों उपयोग ही नहीं कर पा रहें है.जो स्टोर रुम में बंद कर दिया गया है या ये खुले में धूल खा रहे हैं. वहीं आश्रम शाला जो खंडहर जैसे भवन में बच्चों रहने को मजबूर है। जंहा उन्हें गुणवत्ता युक्त भोजन भी नहीं मिल रहा है। और तो और मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल रही है । भवन में शौचालय में गंदगी भरी पड़ी है । आश्रम शाला में पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं..

छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में मूलभूत सुविधाओं के नाम पर करोड़ों की राशि का दुरुपयोग..?


छिदंवाडा जिले के जनजातीय कार्यविभाग में सरकारी राशि के दुरुपयोग का गंभीर मामला सामने आया है. जिम्मेदार अफसरों ने सप्लायर से मिलकर आदिवासी आश्रम शालाओं में 20 करोड़ रुपए से अधिक की छात्रावास एंव आश्रम शाला में सामग्री सप्लाई की गई है ।जबकि जिलें के अधिकांश आश्रम शालाओं में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यहां बच्चों को साफ पानी, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं. आश्रम शालाओं की स्थिति बदतर होती जा रही है, लेकिन सरकारी राशि का उपयोग उन समस्याओं को हल करने के बजाय सामग्री की खरीद में कि जा रही है। आश्रमों में धूल खा रहे हैं. न तो यो बच्चों के लिए उपयोगी साबित हुए, न ही इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया गया ।ऐसे समझिए पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार जनजातीय कार्यविभाग छिदंवाडा जिलें में साल 2022-23 में जिले के आश्रम शालाओं में शिक्षा के साथ आदिवासी बच्चों को मूलभूत सुविधाओं के देने के नाम पर अधिकारियों ने करोड़ों की सामग्री सिर्फ अपनी जेब भराने के लिए खरीदी की गई. हालांकि यह पूरी खरीदी उद्देश्यों की पूर्ति न होकर अफसरों और सप्लायर के कमीशन तक ही सीमित रह गयी. इसके लिए केन्द्र सरकार से मिले करीब करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए.

छात्रावास एंव आश्रमशाला अधीक्षक से दबाव बनाकर मांगा जाता है मांग पत्र फिर होती है सप्लाई

जिले के 184 छात्रावास/ आश्रम शालाओं को बिना किसी प्रस्ताव के अधीक्षक से दबाव बनाकर सामग्री उनके छात्रावास में थोप दिया गया. जबकि जिलें के कई स्कूलों एंव आश्रम शाला में शिक्षक भी नहीं है। ऐसे में अधिकारियों द्वारा खरीदी गई सामग्री अब तक खराब हो चूकि है और स्टोर में पड़ी हुई है। करोड़ों रुपए खरीदी करने में विभागीय अफसरों और सप्लायर की नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
कहीं स्टोर रुम में बंद हैं तो कहीं सांड रही सामग्री तो कही धूल खा रहे हैं ..

जिलें में पिछले दो सालों में करोड़ की लागत से खरीदे गए. सामग्री कहीं स्टोर रुम में तो कही धूल खा रही है सामग्री ..छिदंवाडा जिले में संचालित आश्रम एंव छात्रावास में बिना जरूरत के सामग्री सप्लाई कर डाली जो अब स्टोर रुम एंव छात्रावास में धूल खा रहे है। .

टूटे शौचालय, पानी की सुविधा तक नहीं…

जिले के अधिकांश आश्रम-शालाओं में बच्चों के लिए जरूरी सुविधाएं जैसे कि स्वच्छ शौचालय, पीने का पानी, कक्षाओं में पर्याप्त बैठने की व्यवस्था और शिक्षा के लिए बुनियादी ढांचा नदारद है. कहीं दरवाजे टूटे हैं, तो कहीं शौचालय में पानी की सुविधा तक नहीं है. बदबू से बजबजाते शौचालयों की मानो कई महीनों से सफाई तक नहीं की गई है. ऐसे हालातों में बच्चे आश्रमों में रहकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं.

शिक्षकों का टोटा, जुगाड़ से हो रही पढ़ाई….

प्रदेश सरकार द्वारा आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से जिले के ट्राइबल इलाकों में आश्रम-शालाओं का संचालन किया जा रहा है. जहां बच्चों को आवास और भोजन की सुविधा भी देती हैं, जिससे उन्हें घर से दूर रहकर भी शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है. लेकिन इन आश्रम शालाओं में शिक्षकों का बड़ा टोटा है. छिदंवाडा जिले के तामिया विकासखंड के पीपरढार बालक आश्रम में एक अतिथि शिक्षक के भरोसे बच्चों का भविष्य निर्भर है. ये मात्र पीपरढार आश्रम की समस्या नहीं है, बल्कि जिले में संचालित सभी आश्रमों में शिक्षकों की भारी कमी है. आश्रम शालाओं के सेटअप के अनुरूप यहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है. जिससे आदिवासी बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.

पीपरढार आदिवासी बालक आश्रम में गंदगी के बीच
रहने को मजबूर बच्चें….

जिलें के तामिया ब्लॉक के पीपरढार बालक आश्रम में नहीं मूलभूत सुविधाएं, गंदगी के बीच रहने को मजबूर हैं बच्चे आश्रम में रहने वाले छात्रों को हाल इन दिनों काफी बेहाल हैं. मूलभूत सुविधाओं की बात तो छोड़िए यहां रहने वाले बच्चे गंदगी के कारण खुजली सहित अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं. हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आश्रम शाला अधीक्षक दस सालों से अधिक समय से पदस्य है ।यंहा बच्चों के लियें खाना बनाने वाले रसोईया तक नहीं है ।ना ही कोई चौकीदार है सिर्फ कागजों में इनका नाम चल रहा है। जब हमारी टीम यंहा गई तो अतिथि शिक्षक ने हमारे सामने बच्चों के लिए दोपहर का नाश्ता बनाया बाकी समय इन बच्चों को कैसा भोजन मिलता होगा आप समझ सकते हो। यंहा अधीक्षक भी नदारत थे

जिले के दूरस्‍थ आदिवासी अंचलों के हॉस्‍टलों की स्थिति बेहद ही खराब है…

जिलें के तामिया ब्लॉक के आदिवासी बालक आश्रम शाला पीपरढार में गंदगी का आलम यह है कि आप नाक पर रूमाल रखे बगैर खड़े नहीं हो सकते और जरूरतमंद बच्चे यहां रहकर अपना भविष्य तराश रहे हैं..बरसात का पानी छात्रावास के प्रत्येक कक्ष की छत से टपककर फर्श पर जमा हो जाता है. जिसके कारण कमरों में हमेशा नमी और बदबू बनी रहती है. इसके अलावा पेयजल व दूसरे कामों में प्रयोग किए जाने वाला जल भी दूषित है. इस कारण बच्चों को खुजली सहित अन्य चर्मरोग हो रहे हैं.
बच्‍चों ने बताया कि रोजाना नास्ते से लेकर रात के भोजन तक का पूरा मेन्यू है, लेकिन नास्ते के नाम पर कभी कभी मुरमुरा खिलाया जाता है.अतिथि शिक्षक से जब पूछा गया कि हॉस्‍टल अधीक्षक कहा है तो उन्होंने कहा वो बाहर गयें है। और उन्होंने बताया कि अधीक्षक रात में यंहा नहीं रहते है। साथ ही अतिथि शिक्षक ने अव्यवस्थाओं को भी स्वीकार करते कहा कि इस बारे में वह उच्च अधिकारियों को कई बार सूचित कर चुके हैं.

जिम्मेदारों सहायक आयुक्त नहीं दे रहे ध्यान ?
छिदंवाडा जिलें के जनजातीय कार्यविभाग द्वारा संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं में विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण अभी तक छात्रावास में अध्ययनरत तीन छात्राओं की मौत हो चूकि है। लेकिन फिर भी जिलें में बैठे सहायक आयुक्त कोई ध्यान नहीं दे रहे है। ऐसा ही नजरा आज तामिया ब्लॉक के आदिवासी बालक आश्रम पीपरढार में देखने को मिला जंहा बच्चें मूलभूत सुविधाओं से बंचित है।और बच्चों यंहा भगवान भरोसे रह रहे है। जंहा इनकी निगरानी करने वालें अधीक्षक की लापरवाही चरम पर है। जंहा बच्चों गंदगी में रहने को मजबूर है। अब देखना है कि जिम्मेदार इन लापरवाह अधीक्षक पर क्या कार्यवाही करते है।

गंदगी एंव खड़हार भवन में आदिवासी के बच्चे सवार रहे अपना भविष्य..?

रिपोर्ट- ठा.रामकुमार राजपूत

मोबाइल-8989115284