कृषि वैज्ञानिकों की सलाह डीएपी से बेहतर विकल्प है एनपीके उर्वरक
जिले में नरवाई प्रबंधन हेतु हैप्पी सीडर / सुपर सीडर ऑन डिमांड उपलब्ध।
जिले मे पहली बार गेहॅू की नई किस्म HI1650, GW-513 के बीज उपलब्ध।
आज दिनांक 05.10.2024 को कलेक्टेªट सभाकक्ष छिंदवाडा में रबी 2024-25 तैयारी हेतु कार्यषाला का आयोजन किया गया हैं। माननीय सांसद महोदय श्री विवेक बंटी साहू जी द्वारा डीएपी से बेहतर विकल्प है एनपीके उर्वरक के केंलेंडर का विमोचन किया गया। सांसद महोदय द्वारा किसानों से अपील की गई कि डीएपी पर निर्भरता के बजाय इसके बेहतर विकल्प एनपीके एवं काम्प्लेक्स उर्वरकों का उपयोग कर फसलों मे पोषक तत्वों की पूर्ति कराये, ताकि किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सकेगा। साथ ही नरवाई न जलाने हेतु अपील करते हुए उसके प्रबंधन हेतु जीरोटिलेज तकनीक से आगामी फसल बोने की बात कही गई, जिस हेतु कृषि यंत्र हेप्पी सीडर एवं सुपर सीडर अनुदान पर ऑन डिमांड शासन स्तर उपलब्ध कराये गये है, जिसको किसान भाई लाभ ले।
नरवाई मे आग न जलाने और उसके प्रबंधन हेतु माननीय सांसद महोदय द्वारा बैठक में शपथ दिलाई गई। माननीय सांसद महोदय के साथ जिले के माननीय जनप्रतिनिधि, महापौर, भाजपा जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ एवं किसान मोर्चा के पदाधिकारी, कलेक्टर महोदय, अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, कृषि वैज्ञानिक गण, प्रगति कृषक एवं कृषि विभाग के समस्त अधिकारी / कर्मचारी उपस्थित रहे।
बैठक मे श्री जितेन्द्र कुमार सिंह उप संचालक कृषि द्वारा जिले के मैदानी अमले के साथ रबी तैयारी हेतु विस्तृत चर्चा की गई। उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता एवं बीज की नवीन किस्मों की जानकारी दी गई। शासन स्तर से जारी योजना ‘‘नरवाई प्रबंधन तकनीक अपनाकर नरवाई जलाने से मुक्त ग्राम’’ की विस्तृत जानकारी मैदानी अमले को दी गई। जिले मे पहली बार गेहॅू की अधिक उपज देने वाली नवीन किस्में HI1650 एवं GW-513 का उन्नत बीज पहली बार जिले के किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा हैं, जिसकी उपज लगभग 30 क्विटल प्रति एकड हैं।
डॉ. आर.सी. शर्मा डीन उद्यानिकी महाविद्यालय चंदनगांव छिंदवाडा द्वारा गेहॅू, चना एवं मसूर की नवीन अधिक उपज देने वाली किस्मों की विस्तृत जानकारी मैदानी अमले को दी गई, साथ ही तकनीकी जानकारी से फील्ड स्टाफ को अवगत कराया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र चंदनगांव के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. डीसी श्रीवास्तव द्वारा किसानों को संतुलित उर्वरकों का उपयोग, मृदा परीक्षण, जैव उर्वरकों का उपयोग के साथ ही पानी की उपलब्धता के आधार पर फसलों एवं किस्मों के चयन पर विस्तृृत जानकारी दी गई।